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संदीप सिंह मामला: महिला कोच के समर्थन में प्रदर्शन, खेल विभाग की चार्जशीट का विरोध!

मंत्री पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला कोच के ख़िलाफ़ खेल विभाग ने चार्जशीट दाख़िल की है। इसके विरोध में एडवा और न्यायिक संघर्ष समिति ने प्रदर्शन किया।
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हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह को लेकर एक बार फिर मनोहर लाल खट्टर सरकार सवालों के घेरे में है। मंत्री संदीप सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली जूनियर महिला कोच के ख़िलाफ़ ही खेल विभाग ने चार्जशीट दाखिल की है। इसके विरोध में जनवादी महिला संगठन (एडवा) और न्यायिक संघर्ष समिति ने बुधवार, 27 सितंबर को लघु सचिवालय पर धरना-प्रदर्शन किया और इसे सरकार की ओर से पीड़ित को और प्रताड़ित करने की साज़िश बताया।

बता दें कि हरियाणा के खेल विभाग ने मीडिया में सीएम मनोहर लाल खट्टर को लेकर गलत भाषा के इस्तेमाल का हवाला देते हुए जूनियर महिला कोच के ख़िलाफ़ ये कार्रवाई की है, जिसके बाद से सस्पेंड चल रही महिला कोच को परमानेंटली टर्मिनेट करने की आशंका जताई जा रही है।

जनवादी महिला समिति की राज्य अध्यक्ष सविता ने न्यूज़क्लिक को जानकारी दी कि उनका संगठन एडवा और न्यायिक संघर्ष समिति पीड़ित महिला कोच के साथ पूरी मजबूती से खड़े हैं और आगे भी खड़े रहेंगे। उनकी मांग है कि सरकार तुरंत चार्जशीटेड मंत्री संदीप सिंह को मंत्रिमंडल से हटाए और हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से भी सिंह की बर्खास्तगी हो।

पीड़ित को प्रताड़ित करने का आरोप

लघु सचिवालय पर धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सविता, न्याय संघर्ष समिति के संयोजक रमेश जाखड़ सरोहा और सीटू जिला अध्यक्ष सरोज ने एक स्वर में महिला कोच के ख़िलाफ़ दायर मामले की निंदा करते हुए संदीप सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। सभी वक्ताओं का संयुक्त तौर पर कहना था कि "बीजेपी महिला विरोधी है और इसे साबित करते हुए उन्होंने एक बड़ा सबूत जनता को दिया है। मुख्यमंत्री इतने गंभीर मामले में चार्जशीटिड मंत्री संदीप सिंह का खुलेआम बचाव कर रहे हैं, लेकिन 9 महीने से अपनी जान हथेली पर रखकर अन्याय व उत्पीड़न के ख़िलाफ़ लड़ने वाली जूनियर कोच को लगातार परेशान किया जा रहा है।"

अपने वक्तव्य में नेताओं ने कहा कि "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली बीजेपी सरकार असल में बेटियों को दबाने और अपराधियों को संरक्षण देने का काम कर रही है। इससे अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं और पीड़िताओं का मनोबल टूटता है। भाजपा सरकार के इन कारनामों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।"

प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने बताया कि "वे एक साथ जनता में बीच में बीजेपी सरकार के इस महिला विरोधी चरित्र की पोल खोलने के लिए अभियान चलाएंगे।" इसके साथ संगठनों ने 5 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली महिला रैली में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने पर ज़ोर दिया।

मालूम हो कि हरियाणा खेल विभाग के निदेशक यशेंद्र सिंह ने 14 सितंबर को हरियाणा सिविल सेवा (दंड और अपील) नियम 2016 के नियम 7 के तहत 6 सज़ाओं के लिए आरोप पत्र जारी किया है। इसकी सजा में सेवा से बर्खास्तगी, सेवा से निष्कासन, अनिवार्य सेवानिवृत्ति, कम वेतन संरचना में कटौती, पदोन्नति रोकना और वेतन वृद्धि रोकने को शामिल किया गया है।

"मैं ये जानना चाहती थी, सीएम संदीप सिंह को क्यों बचा रहे हैं?”

वेब पोर्टल गांव सवेरा की ख़बर के मुताबिक, "आरोपपत्र में कहा गया है कि कोच ने मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ गलत भाषा का इस्तेमाल किया और उनके सम्मान और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है जो यह दर्शाता है कि वह एक 'गैर-ज़िम्मेदार' और 'लापरवाह' कोच हैं। इसमें आगे कहा गया है कि महिला कोच ने हरियाणा सिविल सेवा (सरकारी कर्मचारी आचरण) नियमों के नियम 5 (iv) और नियम 13 (सरकार की आलोचना के लिए) का उल्लंघन किया है। महिला कोच को 45 दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया है।"

ख़बर के अनुसार महिला कोच को 14 अगस्त को उनके निलंबन के बारे में सूचित किया गया था। जिसका ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मैं इस घोषणा से परेशान थी कि मंत्री तिरंगा फहराएंगे। मैं उत्तेजित थी लेकिन मैंने सीएम को गाली नहीं दी। दरअसल, सीएम ने पहले मुझे फोन करके गाली दी थी।” उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडियाकर्मियों से कहा, "मैं सिर्फ यह जानना चाहती थी कि वह संदीप सिंह को क्यों बचा रहे थे।"

SIT के विरोध के बावजूद मंत्री को ज़मानत

गौरतलब है कि हाल ही में 15 सितंबर को चंडीगढ़ पुलिस की SIT के विरोध के बावजूद मंत्री संदीप सिंह को अदालत से अग्रिम ज़मानत मिल गई थी। उनके ख़िलाफ़ 25 अगस्त को आईपीसी की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 354 ए, 354 बी, 342 (गलत तरीके से कैद करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (शब्द, इशारा या अपमान करने का इरादा) के मामले में SIT ने चार्जशीट दायर की थी।

ध्यान रहे कि इस मामले में शुरू से ही राज्य की खट्टर सरकार पर सवाल उठते रहे हैं। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में भी ये मामला सुर्खियों में था। आरोप है कि महिला संगठन और नागरिक समाज के चौतरफा दबाव के बाद भी संदीप सिंह को खुद मुख्यमंत्री खट्टर का खुले तौर पर साथ मिलना कई गंभीर सवाल खड़े करता है। न्यायिक संघर्ष समिति लगातार सरकार को घेरते हुए मंत्री संदीप सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार पर आरोप है कि वो शुरुआत से ही सब कुछ अनसुना कर रही है।

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