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कटाक्ष: यह हुई न विश्व गुरु वाली बात!

ट्रम्प के शपथ ग्रहण में नहीं थे, तब तो हर तरफ़ मोदी जी ही मोदी जी थे।
Modi and trump
फ़ाइल फ़ोटो

मोदी जी को ट्रम्प के शपथ ग्रहण का न्योता नहीं मिलने पर ताने मारने वाले, अब बोलें क्या कहेंगे? शपथ ग्रहण में नहीं थे, तब तो हर तरफ मोदी जी ही मोदी जी थे। ट्रम्प की चाल में मोदी, ट्रम्प की जुबान पर मोदी, ट्रम्प के हर काम में मोदी। यही तो होती है विश्व गुरु वाली बात। 

अगर मोदी जी वहां पहुंच भी जाते, तब तो कैपिटल हिल पर मोदी जी के सिवा और कोई नजर ही नहीं आता। यार की शादी में भी मोदी जी ही दूल्हा नजर आते, यह क्या ठीक होता? सो मोदी जी ने खुद ही ट्रम्प को समझा लिया कि उनको न्यौता नहीं भेजा जाए। न न्यौता आएगा और न उन्हें सशरीर यार के बड़े दिन पर पहुंचकर, उससे रौशनी चुराने से इंकार करना पड़ेगा। तभी तो मोदी जी को न्योता नहीं मिला, मोदी जी को यानी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता को। दुश्मन चीन के शी जिन पिंग तक को न्यौता मिल गया हालांकि, वह न्योता मिलने के बाद भी नहीं पहुंचे। पहले ही मना कर दिया और अपने किसी सहायक को भेज दिया। अर्जेंटीना के मिलेई को, इटली की मेलोनी को, पेरू के पेना को और भी न जाने किन-किन कुर्सीधारियों को न्यौता मिल गया और सब सशरीर पहुंचे भी। बस मोदी जी को ही न्योता नहीं मिला। 

और तो और अपने मुकेश भाई और नीता भाभी को भी न्योता मिल गया और उन्हें बाकायदा दूल्हे के साथ फोटो खिंचाने और फोटो दिखाकर खरबपति क्लब के अपने प्रतिद्वंद्वियों को खिझाने का मौका भी मिल गया। यह दूसरी बात है कि उनके प्रतिद्वंद्वियों ने भी कानों-कान और सोशल मीडिया में इसकी खबर फैलाकर अपनी खीझ उतार ही ली कि उनका न्योता, न्योता नहीं, सर्कस के शो का टिकट था--पैसा फेंको और तमाशा देखो! और करोड़ों का टिकट खरीदकर, इतना महंगा शो देखने कौन जाए, जबकि मोदी जी की कृपा से अपने यहां इससे ज्यादा चमक-दमक वाले शो देखने को मिल जाते हैं!

स्वदेशी और स्वावलंबन की इस पुकार में लीड वॉइस अडानी जी की थी। उस पर राजभक्ति का तडक़ा और--जिस तमाशे में भारत के प्रधानमंत्री तक को नहीं बुलाया गया, उसे टिकट खरीदकर देखने जाना तो देशभक्ति का काम नहीं है। पर अंबानी भी कहां हार मानने वाले थे। चुपके से सुर्रा छोड़ दिया--अडानी भाई को घुसकर तमाशा देखने का तो खूब शौक है, पर अमरीका में घुसकर तमाशा देखने में जरा जोखिम था। सौर ऊर्जा वाले मामले में स्वदेशी रिश्वत खिलाने के लिए, परदेश में गिरफ्तारी का जोखिम; सो रपट पड़े तो हर-हर मोदी।

पर ये अडानी-अंबानी भी क्या जानें मोदी जी के डबल-डबल रोल। जब मोदी जी शरीर से आमंत्रित नहीं थे, तो मोदी जी ही ट्रम्प की नयी पारी के उद्घाटन में सबसे ज्यादा आमंत्रित थे। सबसे ज्यादा क्या अकेले आमंत्रित थे, इकलौते अशरीरी आमंत्रित। प्लीज इसे भुतहा मामला मत कर दीजिएगा। ये नॉन बायोलॉजीकलों की बातें हैं। नॉन बायोलाजीकलों की बातें, क्या जानें बायोलाजीकल अंबानी-अडानी भी। मोदी जी जब नॉन बायोलाजीकल रूप से पहुंचे तो सिर्फ डीयर फ्रेंड ट्रम्प को दिखाई दिए। बाकी किसी को दिखाई ही नहीं दिए। ट्रम्प की आत्मा यह देखकर और भी प्रसन्न हो गयी कि मोदी जी सिर्फ उसे दिखाई, सुनाई दे रहे थे यानी सिर्फ और सिर्फ उसी के लिए पहुंचे थे। यानी मौके पर विश्व गुरु वाला ज्ञान और वोह भी डायरेक्टली।  

ट्रम्प ने गले लगाकर कहा, एक तो फ्रैंड ऊपर से नॉन बायोलाजीकल, तुम तो मुझ में ही समा जाओ। नॉन बायोलाजीकल जी ने कहा तथास्तु।

फिर क्या था, ट्रम्प ने धड़ाक से अमरीका का स्वर्ण काल शुरू होने का एलान कर दिया। भीतर से आवाज आयी, जो सिर्फ ट्रम्प के कानों के लिए थी--बहुत सही जा रहे हो ! हमारा यही रास्ता है। ट्रम्प के हौसले और बढ़ गए। उसने एक और एलान किया--अमरीका की पतन यात्रा आज से खत्म होती है और उत्थान की चढ़ाई शुरू होती है। भीतर से और आवाज आयी--बहुत अच्छे! ट्रम्प ने कहा, अमरीका को फिर से महान बनाना है। सारी दुनिया से फिर से अमरीका का लोहा मनवाना है। अमरीका को सारी दुनिया के सिर पर बैठाना है। सारी दुनिया को अमरीका से डरना सिखाना है। अमरीका को सबसे महान बनाना है। अमरीका को सबसे धनवान बनाना है। अमरीका को यह बनाना है, अमरीका को वह बनाना है। अमरीका को चीन की टक्कर का देश बनाना है। भीतर से आवाज आयी, बाकी सब सही, चीन वाली बात कहने के लिए नहीं थी। ट्रम्प के मुंह से बरबस निकल गया-सॉरी। फिर झट से जोड़ दिया--चीन को भी रास्ते पर लाना है।

नाच-गाने और एलन मस्क के छोटे से ब्रेक के बाद, ट्रम्प फिर चालू हो गया। मैं आज से एलान करता हूं कि अब तक जो मैक्सिको की खाड़ी हुआ करती थी, उसका नाम बदलकर अब अमरीका की खाड़ी कर दिया गया है। और यह तो शुरूआत है। आगे भी हम और बहुत सी जगहों के नाम बदलेंगे। बहुत सी जगहों के नये नाम में अमरीका जोड़ देंगे। ऐसे ही तो अमरीका का विस्तार होगा और अमरीका फिर से महान बनेगा। फिर अपनी शर्ट के अंदर झांककर धीमे से फुसफुसाया, नाम बदलकर महानता पाने के इस आइडिया के लिए मैं अपने फ्रेंड फ्रॉम इंडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं! फिर लगा अमरीका को फिर से महान बनाने के अपने प्रोग्राम के और पन्ने पढ़ने। मैक्सिको वाले रास्ते पर आ जाएं, वर्ना मैक्सिको की खाड़ी के साथ, मैक्सिको को भी अमरीका में मिला लूंगा। पनामा नहर से हमें अब कोई परेशानी नहीं हो, वर्ना पनामा नहर का नियंत्रण में अपने हाथ में ले लूंगा। पर्दे के पीछे से चीन को इस नहर पर नियंत्रण हासिल नहीं करने दूंगा। मैं डेन्मार्क से ग्रीन लैंड्स खरीद लूंगा। मैं मंगलग्रह पर अंतरिक्ष यात्री भेजकर, वहां अमरीका का झंडा फहरा दूंगा। मैं विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमरीका को अलग कर लूंगा। मैं पर्यावरण पर पेरिस समझौते से नाता तोड़ लूंगा। मैं चार साल में अमरीका को फिर से महान बनाकर रहूंगा।

ट्रम्प को अभी और भी एलान सूझ रहे थे, पर फ्रेंड मोदी ने विदाई मांग ली। उन्हें उनकी बायोलॉजीकल वाली भूमिका पुकार रही थी। ट्रम्प ने भी पूर्ण विराम लगा दिया--इतना ही आज तक, बाकी आगे तक। अब की बायोलॉजीकल बनकर मोदी जी जाएंगे, तभी ट्रम्प जी अमरीका को फिर से महान बनाने के अगले कदम उठाएंगे।  

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।)

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