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शिक्षक भर्ती घोटाला : न्याय की आस में क़रीब 500 दिनों से आंदोलनरत युवा

उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षक व अन्य 69,000 शिक्षक भर्तियों समेत तमाम भर्तियों में हुए घोटाले में न्याय की मांग युवा अब तेज़ी से उठा रहे हैं। अपनी बात को सदन तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया जा रहा है।
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फ़ोटो : PTI

केंद्र में भाजपा की सरकार को जहां 10 बरस पूरे होने वाले हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ये दूसरा कार्यकाल है, लेकिन नौकरी जैसे वादों की फेहरिस्त अब भी जुमला ही बनी हुई हैं। नेताओं की बातों को सच मानकर बैठा उत्तर प्रदेश का युवा कोचिंग पर पैसे खर्च किए जा रहा है, घर से दूर रह रहा है, ओवरएज हुआ जा रहा है, मगर उसके हक में अभी तक वादों का एक प्रतिशत भी नहीं आया।

दरअसल हम बात कर रहे हैं प्राथमिक शिक्षा भर्ती, एलटी यानी सहायक शिक्षक और पुलिस के करीब 6 लाख खाली पदों की। पिछले कई सालों से युवा मंच प्रदेश कार्यकारिणी इन पदों को बहाल करने की मांग कर रहा है, मगर सरकार अपने कानों में मानों रुई डालकर बैठी हो। अब एक बार फिर जब लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में विधानसभा की तीन दिवसीय विशेष सत्र बुलाई गई है, तब युवाओं के भीतर एक उम्मीद जगी है कि उनकी बात शायद सदन में उठाई जाए।

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अपनी मांगों को सदन तक पहुंचाने के लिए युवा मंच प्रदेश कार्यकारिणी की एक बैठक की गई, जिसमें सोशल मीडिया के माध्यम से रोज़गार का मुद्दा उठाने की बात रखी गई। इसके अलावा दिसंबर के पहले हफ्ते में एक आंदोलन का आह्वान किया गया।

फिलहाल युवा मंच ने सोशल मीडिया पर रोज़गार के मुद्दे के लिए कैंपेन शुरु कर दिया है, जिसमें मांग की गई है कि विधानसभा सत्र में सरकार 6 लाख रिक्त पदों को भरने के चुनावी वायदे को पूरा करने का आश्वासन दे। युवा मंच ने शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज की भी निंदा की है।

वहीं संयुक्त युवा मोर्चा के केंद्रीय टीम के सदस्य और युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने कहा कि 6 लाख खाली पदों को भरने के चुनावी वायदे और बेकारी की विकराल हो रही समस्या के हल करने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। गरिमापूर्ण रोजगार सुनिश्चित करना सरकार की संवैधानिक जवाबदेही है और रोजगार अधिकार के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आवाज उठाना युवाओं का लोकतांत्रिक हक है, लेकिन शांतिपूर्ण आंदोलनों को कुचलने पर सरकार आमादा है।

अभ्यर्थियों का एक बेहद मार्मिक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वो पुलिस के पैर पकड़ कर मदद मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं।

इसके एक समाचार वेबसाइट के अनुसार युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह ने योगी सरकार पर शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन को लेकर गंभीर न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि लाखों युवाओं के भविष्य से जुड़े इस मामले में महज नियमावली की मंजूरी के लिए 3 महीने से ज्यादा समय लग गया, अगर यही हाल रहा तो अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति में 3-4 महीने लगना तय है। अनिल सिंह ने योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वह विधानसभा सत्र में आचार संहिता लागू होने के पहले टीजीटी—पीजीटी 2022 में सभी रिक्त 25 हजार पदों को शामिल कर परीक्षा तिथि घोषित करने समेत लंबित भर्तियां को पूरी करने और एलटी, प्राथमिक शिक्षक, पुलिस आदि भर्तियों की चयन प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दें।

वहीं भाकपा (माले) की ओर से 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के शिकार अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द न्याय देने की अपील की।

आपको बता दें कि आरक्षण घोटाले का शिकार अभ्यर्थी पिछले कई महीनों से लखनऊ के ईको गार्डन में प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन प्रशासन का कोई ध्यान नहीं जाने पर वे लोग ईको गार्डन के गेट पर आ गए। उधर इन अभ्यर्थियों के समर्थन में भाकपा (माले) ने सरकार द्वारा अपनी ग़लतियों को अभ्यर्थियों पर मढ़ने का आरोप लगाया है। आरोप लगाया कि भाजपा सरकार दलित-पिछड़ा आरक्षण को लागू नहीं, उसे खत्म करना चाहती है।

इस मामले में 526 दिनों से ज़्यादा हो चुके लखनऊ के इको गार्डन में जारी आंदोलन की अगुवाई कर रहे विजय कुमार ने न्यूज़क्लिक से बात की।

विजय कुमार ने बताया कि ‘’हम लोग सभी 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी हैं, पिछले 526 दिनों से ज्यादा हो गए, ईको गार्डन में आंदोलन करने को मज़बूर हैं। हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि जो 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण का घोटाला हुआ था, जो राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट 29 अप्रैल 2021 को जारी हुई थी, उसने भी माना और उत्तर प्रदेश सरकार को एक पत्र भेजा, और उसके ज़रिए ये कहा कि इस घोटाले में जो अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं, उन्हें नियुक्ति पत्र दिया जाए। जो दोषी हैं उनपर कार्रवाई किया जाए। उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है, फिर हमने एक साल तक आंदोलन किया कि कोई रिपोर्ट लागू हो। इसके बाद हमने लगातार आंदोलन किया, तो 23 दिसबर 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमारे पांच सदस्य के प्रतिनिधमंडल को मिलने बुलाया, और हम लोगों को न्याय देने की बात की। अधियारियों को जल्द से जल्द न्याय करने के लिए निर्देशित किया। जिसके अनुपालन में अधिकारियों ने 5 जनवरी 2022 को 6800 आरक्षित वर्ग की सूची जारी की, और ये लोग थे जो घोटाले में प्रभावित हुए थे, विसंगति की वजह से जिनका चयन नहीं हो पाया था। लेकिन आज तक नियुक्ति पद जारी नहीं हो पाया।"

उन्होंने आगे कहा कि, "हमलोगों ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की, जो बेहद निराशाजनक रही। उन्होंने हम लोगों से जाति के साथ नाम पूछे।"

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए विजय ने बताया कि हमारे एक साथी ने अपने नाम के आगे सिंह लगाया हुई था, तो केशव प्रसाद मौर्य ने उन्हें डाटते हुए पूछा कि तुम ठाकुर हो क्या? इस पर शख्स ने जवाब दिया कि नहीं मैं पटेल हूं। इन्होंने बताया कि हमारे साथ जातिगत भेदभाव किया गया।

आपको बता दें कि 69,000 शिक्षक भर्ती घोटाले में आंदोलनरत अभ्यर्थी ने विधानसभा सत्र शुरु होने से एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष अखिलेश यादव से सदन में आवाज़ उठाने की गुहार लगाई थी।

फिलहाल देखना होगा कि विपक्ष इस घोटाले के लिए सदन में सरकार से किस तरह अपनी बात रखता है, और सरकार किस हद तक इन अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने के आगे बढ़ती है।

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