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यूपी: कई ट्रेनें हुईं रद्द, जान जोखिम में डालकर सफ़र कर रहे यात्री

अलग-अलग ज़ोन की कई ट्रेनें कोहरे के कारण रद्द हो गई हैं और कई डायवर्ट कर दी गई हैं। ऐसे में यात्रियों के पास यात्रा का कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
train cancelled
फाइल फ़ोटो। PTI

दिसंबर का महीना आधा बीत चुका है। ठंड और कोहरा बढ़ रहा है साथ ही भारतीय रेलवे की हालत भी ख़राब होती जा रही है। हर दिन 50 से ज़्यादा ट्रेनें रद्द् हो रही हैं और ज़्यादातर के रूट डायवर्ट हो रहे हैं।

एक बार को सुरक्षा की दृष्टि से माना जा सकता सकता है कि कोहरे में ट्रेनें चलाना ठीक नहीं है मग़र सवाल ये है कि इन कैंसल ट्रेनों का कोई विकल्प क्यों नहीं है? जो ट्रेनें चल रही हैं उसमें अतिरिक्त जनरल बोगियां क्यों नहीं लगाई जा रही हैं?

इन सवालों के जवाब नहीं मिल रहे हैं ऐसे में ट्रेन से सफर करने वाली जनता ख़ुद की जान को जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है। कम पैसे में जनरल बोगियों में सफर करने वाली जनता, जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल होते हैं, वो किसी भी ट्रेन को पकड़ने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को विवश हैं।

जैसे तैसे लोग जनरल बोगियों में घुस पाते हैं। बाकी बचे लोग आरक्षित बोगियों में घुस पाए तो ठीक वरना दरवाज़ों पर लटकर कई सौ किलोमीटर तक का सफर तय करते हैं। जिनका टिकट वेटिंग है वो शौचालयों में बैठककर सफर करने को मजबूर हैं।

हालात ये है कि जिनका टिकट कंफर्म होता है वे भी ठीक से अपनी सीट पर बैठकर सफर नहीं कर पाते चाहे एसी हो या स्लीपर। क्योंकि वेटिंग लिस्ट वालों की भीड़ ही बहुत हो जाती है। इसकी एक बानगी आप इस तस्वीर में देख सकते हैं।

इस बारे में की गई शिकायतों से रेलवे ये कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि जब यात्रियों को समझाओं तब वो मारपीट पर उतर आते हैं। ऐसी स्थिति में यात्री करे तो करे क्या।

आपको बता दें कि लखनऊ मंडल के बाराबंकी-अयोध्या-शाहगंज-जफराबाद रूट पर दोहरीकरण, बाराबंकी स्टेशन की यॉर्ड रिमॉडलिंग के कारण तीन दर्जन से ज्यादा ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया है। कई ट्रेनों का रूट भी बदला गया है। इनमें बिहार, मुंबई, राजस्थान, बंगाल रूट की ट्रेनें शामिल हैं। इनमें कई ट्रेनें पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल से चलने वाली वाली है और कई ट्रेनें पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल से गुजरने वाली शामिल हैं।

उत्तर रेलवे प्रशासन ने कोहरे की वजह से 18 ट्रेनें निरस्त कर दी हैं। उत्तर मध्य रेलवे जोन से गुजरने वाली 24 ट्रेनों के फेरे भी घटा दिए हैं। इनमें दिल्ली, बिहार, चंडीगढ़, प्रयागराज, उत्तराखंड, जम्मू समेत लंबी दूरी की 29 ट्रेनें निरस्त की गई है। इससे इस रेलखंड से चलने वाली ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ तीन गुना बढ़ गई है।

यात्रियों का हाल जानने के लिए हम सुबह के वक्त लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां राजीव यादव नाम के शख्स अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ गोरखपुर जा रहे थे। दोनों बच्चों की उम्र 10 साल से नीचे ही थी। राजीव का कहना था कि हमें जल्‍दी से जल्‍दी अपने गांव पहुंचना है। अक्सर हम जनरल बोगी में सफर करते हैं क्योंकि रिजरवेशन करवाने में बहुत पैसे खर्च होते हैं। मग़र ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ देखकर पीछे हट जाते हैं कि कहीं बच्चों पर कोई बात न आ जाए। आपको बता दें कि हमने राजीव से तब बात की जब वो गोरखपुर अपने गांव जाने की बजाय बच्चों और पत्नी को लखनऊ के अपने ठिकाने पर वापस छोड़ने जा रहे थे और कह रहे थे कि मुझे अकेला ही जाना पड़ेगा।

इसी तरह एक परिवार से और बात हुई। उन्होंने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि हम तीन दिनों से दिल्ली जाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। हम जनरल बोगी में जा नहीं सकते क्योंकि हमारे साथ बुज़ुर्ग महिला है। लेकिन रिज़र्वेशन नहीं हो पा रहा है जिस ट्रेन का हुआ वो कैंसिल हो गई। अब ट्रेनों में इतनी भीड़ है कि हिम्मत नहीं हो रही। वोल्वो बस से जा नहीं सकते है क्योंकि किराया पहुंच से बाहर है।

सिर्फ बात लंबे रूट की नहीं है छोटे रूट की ट्रेनें भी कोहरे के चलते रद्द कर दी गई हैं। कानपुर, प्रयागराज रेलखंड से आवागमन करने वाली कई ट्रेनों को एक दिसंबर से एक मार्च तक रद्द कर दिया गया है। इनमें ट्रेन नंबर 14118 भिवानी-प्रयागराज कालिंदी एक्सप्रेस कानपुर सेंट्रल-प्रयागराज के बीच एक दिसंबर से 29 फरवरी तक रद्द रहेगी। वापसी में नई ट्रेन संख्या 14117 प्रयागराज-भिवानी कालिंदी एक्सप्रेस दो दिसंबर से एक मार्च 2024 तक प्रयागराज-कानपुर सेंट्रल के बीच रद्द कर दी गई है।

ट्रेन से सफर करने की उम्मीद लिए यात्रियों को मायूसी हाथ लग रही हैं। इसके पीछे वजह है कि लखनऊ मंडल की आधे से ज्यादा नियमित ट्रेनें तीन महीने के लिए रद्द हैं। इस वजह से जो ट्रेनें चल रही हैं उनमें सीटों के लिए मारामारी जैसी स्थिति बनी हुई है। आलम ये है कि सभी ट्रेनों में हर श्रेणियों की सीटें फुल हो गई हैं। वर्तमान में चल रहे नियमित, स्पेशल ट्रेनों में भी सीटें नहीं मिल रही हैं। लिहाजा दिल्ली की नियमित ट्रेनों में वेटिंग 174 और बिहार-मुंबई की ट्रेनों में वेटिंग 212 पार के टिकट मिल रहे हैं।

वैसे तो अक्सर सर्दियों में धुंध के कारण ट्रेने लेट होना या रद्द होना आम बात है मग़र इसका विकल्प तलाशना भी ज़रूरी है। विकल्प के तौर पर देखा जाए तो ट्रेनों में जनरल बोगियां बढ़ाई जा सकती हैं मग़र उन्हें बढ़ाने की जगह ये कहकर घटा दिया गया है कि डिब्बे स्टेशन के बाहर निकल जाते हैं। उदाहरण के तौर पर2 साल पहले तक गोरखधाम एक्सप्रेस में 9 जनरल बोगियां लगती थीं लेकिन इसी साल जनवरी महीने में गोरखधाम को सिर्फ तीन बोगियों वाली ट्रेन बना दिया गया। मज़े की बात ये है कि इन बोगियो की जगह रेलवे ने इस ट्रेन में 7 एसी बोगियां जोड़ दी हैं।

ऐसे में कोई बताए कि जनरल बोगियों में सफर करने वालों की संख्या ज्यादा है या फिर एसी कोच में। सवाल भी खड़ा होता है कि क्या देश के गरीबों को वक्त पर सफर करने का अधिकार नही है?

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