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UPSC (CSE) : बात सिर्फ़ एक एक्स्ट्रा अटेंप्ट की नहीं, सवाल 'अधूरे' सपने का है!

पिछले कुछ महीनों से UPSC की तैयारी कर रहे कुछ छात्र लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली के राजेंद्र नगर, मुखर्जी नगर और जंतर-मंतर पर लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। शुक्रवार 3 जनवरी को भी UPSC उम्मीदवारों ने जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
UPSE

UPSC मतलब यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन। ये कमीशन हमारे देश में सिविल सर्विस एग्ज़ाम (CSE) करवाता है। ये एग्ज़ाम देश के कई छात्रों के लिए महज़ एक एग्ज़ाम नहीं है बल्कि एक ख़्वाब है।

लाखों छात्र इस ख़्बाव को पूरा करने की कोशिश करते हैं, सालों-साल मेहनत करते हैं। इनमें से कुछ छात्र देश के दूर दराज के इलाक़ों से बेहद साधारण फैमली बैकग्राउंड से आते हैं। ऐसे कई छात्र हैं जो दिल्ली में हर साल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए आते हैं और ख़ासतौर पर पढ़ाई के साथ-साथ सिविल सर्विस की तैयारी करते हैं।

लेकिन पिछले कुछ महीनों से UPSC की तैयारी कर रहे कुछ छात्र लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली के राजेंद्र नगर, मुखर्जी नगर और जंतर-मंतर पर लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। शुक्रवार 3 जनवरी को भी UPSC उम्मीदवारों ने जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन की वजह क्या है?

इस आंदोलन से जुड़े सोहन जो धरने के दौरान भूख हड़ताल पर भी बैठे थे उन्होंने हमें बताया कि, ''सभी UPSC अभ्यर्थी जिनका साल 2020, 2021 और 2022 में कोविड की वजह से अटेंप्ट ख़राब हुआ या जिनका लास्ट अटेंप्ट था उन्हें केंद्र सरकार कंपेनसेटरी अटेंप्ट देने का काम करे ताक़ि ये अभ्यर्थी दोबारा से अपनी परीक्षा दे सकें और अपने भविष्य को बना सकें।"

आख़िर क्यों की जा रही है एक्स्ट्रा अटेंप्ट की मांग?
 
लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि कोविड की वजह से देशभर में होने वाली तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्र प्रभावित हुए हैं। कई छात्र UPSC की परीक्षा नहीं दे पाए थे जिसकी कई वजहें थीं-किसी के घर में परिवार के किसी सदस्य को कोरोना हो रखा था या फिर कई छात्र ख़ुद ही कोरोना से पीड़ित थे। ऐसे में इनकी मांग है कि सरकार को इन्हें एक एक्स्ट्रा अटेंप्ट देना चाहिए। सोहन कहते हैं कि, ''ये सेंट्रल लेवल का एग्ज़ाम है। लाखों छात्र इससे प्रभावित हुए हैं। अगर राज्यों की बात करें तो 16 से ज़्यादा राज्य SSC GD और कई दूसरे एग्ज़ाम में रिलैक्सेशन (छूट) दे चुके हैं, तो UPSC के छात्रों को भी एक एक्स्ट्रा अटेंप्ट दिया जाना चाहिए।"

कौन से छात्र होंगें सबसे ज़्यादा प्रभावित?
 
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे एक अभ्यर्थी अमरदीप कहते हैं, "साल 2019 में कोरोना महामारी आई थी लेकिन साल 2020 आते-आते हालात बहुत ख़राब हो गए, न सिर्फ़ सेंट्रल लेवल की बल्कि राज्य स्तर पर भी होने वाली सभी परीक्षाएं प्रभावित हुई थीं। हर लेवल के एग्ज़ाम को तीन से चार महीने आगे बढ़ाया गया था।"

आगे अमरदीप कहते हैं, "हमारी जानकारी के मुताबिक़ UPSC के इतिहास में शायद ये पहली बार हुआ था कि एग्ज़ाम चार महीने के लिए पोस्टपोन (टाल दिया गया था) हुआ था। 22 से 30 फ़ीसदी छात्र ऐसे थे जिनकी उम्र जा रही थी लेकिन अटेंप्ट बचे हुए थे। (उम्र के हिसाब से उनका आख़िरी मौक़ा था ) जबकि कुछ ऐसे छात्र थे जिनके अटेंप्ट जा रहे थे लेकिन उम्र बची हुई थी। तो कुछ 'एज-बार' कैंडिडेट थे तो वहीं कुछ 'अटेंप्ट-बार' कैंडिडेट थे। हमारी सरकार से गुज़ारिश है कि या तो हमें दो अतिरिक्त मौक़े दिए जाएं, या हर वर्ग में दो साल तक आयु सीमा में छूट दे दी जाए।"

किस उम्र तक दे सकते हैं परीक्षा?

जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों को 32 साल तक की आयु सीमा तक कुल 6 अटेंप्ट मिलते हैं। जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को 35 साल की आयु तक 9 अटेंप्ट मिलते हैं। तो वहीं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवारों को 37 साल की आयु तक असीमित संख्या में अटेंप्ट मिलते हैं।

जानकारों का मानना है कि पूरी दुनिया के लिए कोरोना काल में जैसे असाधारण हालात बने थे उसके हवाले से अगर इन छात्रों को छूट दे दी जाए तो क्या ग़लत होगा? जानकार ये भी कहते हैं कि हो सकता है UPSC के लिए ये थोड़ा मुश्किल हो लेकिन जिन मुश्किल हालातों से पूरी दुनिया निकल कर आई है अगर उसमें छात्र एक एक्स्ट्रा अटेंप्ट मांग रहे हैं तो उन्हें नज़रअंदाज़ क्यों किया जा रहा है?

कोर्ट तक पहुंचा मामला 

UPSC में एक्स्ट्रा अटेंप्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। इस मामले में कुछ सुनवाइयां भी हो चुकी हैं। सोहन बताते हैं कि 6 फ़रवरी को इस मामले में सुनवाई होने की संभावना है। सीनियर वकील सलमान ख़ुर्शीद याचिकाकर्ताओं की तरफ़ से इस केस को देख रहे हैं।

लेकिन जब हमनें उनसे पूछा कि देश में क़ानूनी मामले काफी लंबे खिचते हैं, तो ऐसे में छात्रों की पढ़ाई का नुक़सान नहीं होगा? इसपर सोहन कहते हैं, "हम धरने पर अपनी कॉपी-किताब लेकर पहुंचते हैं जब मौक़ा मिलता है तो पढ़ाई भी करने की कोशिश करते हैं।"

वहीं दूसरी तरफ़ अमरदीप कहते हैं, ''इस मामले में कोर्ट में बहुत बार सुनवाई हो चुकी हैं लेकिन हर सुनवाई में सरकार की तरफ़ से गोल-मोल जवाब आया है। कभी कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जाओ, कभी कहते हैं कि ये UPSC का फैसला है, UPSC ने कहा कि ये सरकार का फैसला है, तो आख़िर ये फ़ैसला है किसका ?”

वहीं हिंदुस्तान में छपी एक ख़बर के मुताबिक़ UPSC एक्स्ट्रा चांस देने के बारे में कोई विचार नहीं कर रहा है। और UPSC के मुताबिक अगर उसने ऐसा किया तो आगामी परीक्षा में भी इस तरह की सहूलियत की मांग उठने लगेगी।

अब आगे क्या होगा?

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बताया कि कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने नाउम्मीद होकर दूसरी फील्ड की तरफ़ रुख कर लिया है लेकिन अब भी कई छात्र ऐसे हैं जो डटे हुए हैं और वो एक एक्स्ट्रा अटेंप्ट की मांग पर डटे रहेंगें। वहां मजूद एक छात्र ने कहा कि ये कोई छोटी-मोटी परीक्षा नहीं है, लोग सालों इसमें लगे रहते हैं सरकार को हमारी बात सुननी होगी।" जबकि एक छात्र राज राठौर कहते हैं, ''जंतर-मंतर पर हमारे प्रदर्शन को अब चुनौती समझा जाए और 15-20 दिन के अंदर अगर छात्रों की बातों को नहीं सुना जाता तो आने वाले समय में संसद का घेराव किया जाएगा। हम ओपन चैलेंज कर रहे हैं सरकार को।"

जहां एक तरफ UPSC CSE 2023 का नोटिफिकेशन आ चुका है वहीं दूसरी तरफ़ छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं ऐसे में ये उम्मीदवार कब पढ़ाई करेंगें और कब उन छात्रों के लिए धरने में शामिल हो पायेंगें जो उन्हीं की तरह एक सपना लेकर देश की सबसे सम्मानित परीक्षा की तैयारी में जुटे थे? 

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