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यूक्रेन : नॉर्ड स्ट्रीम पर हमले बातचीत की संभावनाएं अब ख़त्म

यह कायरतापूर्ण हमला हुकूमत प्रायोजित था जो केवल इस ओर इशारा करता है कि पश्चिम में शक्तिशाली ताक़तें हैं जो युद्ध को लंबा खींचना चाहती हैं।
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नॉर्ड स्ट्रीम पर हमला उसी वक़्त हुआ जब सोमवार को डोनबास, ज़ापोरोज़े और खेरसॉन इलाकों को रूस में शामिल होने के बारे में जनमत संग्रह चल रहा था। (प्रतिनिधि छवि।) छवि सौजन्य: पजोत्र महोनिन/ विकिमीडिया कॉमन्स

रूस को जर्मनी से जोड़ने वाली नॉर्ड स्ट्रीम 1 और नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइनों में सोमवार को पाए गए तीन लीक का कारण- जो स्वीडन और डेनमार्क के विशेष आर्थिक इलाकों के भीतर से गुजरती हैं, विस्फोट बताया गया है और जो कुछ हुए घंटों के बीच हुए हैं। स्वीडिश विदेश मंत्री एन लिंडे ने ट्वीट के ज़रिए कहा कि यह तोड़-फोड़ शायद किसी "विस्फोट का परिणाम हैं। हम इस बारे में जानकारी इकट्ठा करना जारी रखेंगे और इसके पीछे के किसी भी कारण या मकसद से इंकार नहीं करते हैं।”

स्वीडिश प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडर्सन ने भी वही राय साझा की है, और उन्होने भी इसे "तोड़फोड़ की घटना" के रूप में वर्णित किया है, और कहा कि वर्तमान में इसके पीछे के किसी भी मक़सद से इंकार नहीं किया जा सकता है। डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन को रॉयटर्स ने यह कहते हुए उद्धृत किया कि, "अधिकारियों द्वारा स्पष्ट आकलन है कि ये जानबूझकर की गई कार्रवाई हैं। यह कोई दुर्घटना नहीं थी।" इससे पहले, डेनिश अधिकारियों ने एक बयान जारी कर कहा था कि पाइपलाइन की घटनाएं दुर्घटना के कारण नहीं हुई हैं।

इस बीच, यूरोपीय संसद सदस्य और पूर्व पोलिश विदेश मंत्री राडोस्लाव सिकोरस्की ने नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों को नुकसान पहुंचाने के लिए अमेरिका को धन्यवाद दिया है। "एक छोटी सी बात, लेकिन बहुत खुशी वाली बात," सिकोरस्की ने ट्वीट किया, "धन्यवाद, यूएसए।"

सिकोरस्की ने इस बाबत अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का हवाला दिया, जिन्होंने 7 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू करने से पहले धमकी दी थी कि अगर मास्को ने कीव के खिलाफ कार्रवाई की, तो फिर "कोई नॉर्ड स्ट्रीम नहीं होगा। हम इसे नष्ट कर देंगे।" जब एक पत्रकार ने बाइडेन से स्पष्टीकरण मांगा तो उन्होंने रहस्यमय तरीके से कहा: "मैं आपसे वादा करता हूं, हम ऐसा करने में सक्षम होंगे।"

दरअसल, ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि अमेरिकी युद्धपोतों के दो समूहों को हाल ही में घटना स्थल के 30 किमी के भीतर देखा गया था जहां से नॉर्ड स्ट्रीम पर हमला किया गया था।

सिकोरस्की के अनुसार, नॉर्ड स्ट्रीम के नुकसान ने युद्धाभ्यास के मामले में रूस के दायरे को संकुचित कर दिया है, क्योंकि मॉस्को को अब यूरोप को गैस की आपूर्ति फिर से शुरू करने के लिए ड्रुज़्बा और यमल गैस पाइपलाइनों को नियंत्रित करने वाले देशों यूक्रेन और पोलैंड से बात करनी होगी।

जर्मन सुरक्षा एजेंसियों की राय है कि केवल किसी हुकूमत से जुड़ा अधिकारी ही पानी के नीचे की पाइपलाइन को क्षतिग्रस्त कर सकता था, जो यह दर्शाता है कि "गोताखोरों या किसी  मिनी-पनडुब्बी" के ज़रिए पाइपलाइन पर माइंस या विस्फोटकों को लगाया गया होगा। जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से इस पर टिप्पणी करने को कहा गया, तो वे बोले कि, "ये प्रारंभिक रिपोर्ट (तोड़फोड़ की) हैं और हमने अभी तक इनकी पुष्टि नहीं की है। लेकिन अगर इसकी पुष्टि हो जाती है, तो यह स्पष्ट रूप से किसी के हित में नहीं है।"

अमेरिकी दृष्टिकोण के हिसाब से, जैसा कि ब्लिंकन ने भी कहा कि, यूरोप की ऊर्जा आपूर्ति के संदर्भ में "आने वाले महीनों में स्पष्ट चुनौतियां" हैं, इलसिए "दो चीजें करने का यह एक बहुत महत्वपूर्ण अवसर भी है।" पहला "आखिरकार रूसी ऊर्जा पर यूरोप की निर्भरता को समाप्त करना" और दूसरा है "नवीकरणीय ऊर्जा के लिए संक्रमण को तेज करना" ताकि पश्चिम "जलवायु चुनौती" का समाधान कर सके।

स्पष्ट है कि, वाशिंगटन की प्राथमिकता रूसी तेल निर्यात पर एक मूल्य कैप लगाना है और यूरोप को एलएनजी की आपूर्ति में "वृद्धि" करना है, अब चूंकि अमेरिका इस साल दुनिया का सबसे बड़ा एलएनजी निर्यातक बन गया है वह भी आंशिक रूप से रूस पर प्रतिबंध के कारण ऐसा हुआ है। लेकिन मूल्य सीमा के निर्णय पर यूरोपीय यूनियन की मोहर लगाना जरुरी है।

इसका भू-राजनीतिक प्रभाव भी स्पष्ट हैं। नॉर्ड स्ट्रीम पर हमला तब हुआ जब सोमवार को डोनबास, ज़ापोरोज़े और खेरसॉन जैसे इलाकों को रूस में शामिल करने के लिए जनमत संग्रह चल रहा था। रविवार को, इस संदर्भ में बाइडेन ने एक कड़ा बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि अमेरिका कभी भी यूक्रेन के इलाकों को यूक्रेन के हिस्से के अलावा किसी और के इलाके के रूप में मान्यता नहीं देगा और "रूस का जनमत संग्रह एक दिखावा है।"

मुद्दा यह है, जैसा कि सिकोरस्की ने भी बताया, कि नॉर्ड स्ट्रीम के घातक नुकसान के बाद, यदि रूस को भविष्य में जर्मनी को गैस की आपूर्ति फिर से शुरू करनी भी है, तो यह केवल सोवियत युग की पाइपलाइनों के ज़रिए ही हो सकती है जो पोलैंड और यूक्रेन से होकर गुजरती हैं। लेकिन वारसॉ और कीव मौजूदा हालात में सहयोग करने के मूड में नहीं होंगे।

मुख्य रूप से, रूस एक ऐसे मोड़ पर है जब वह जर्मन नीतियों की वजह से जो कुछ भी लाभ उठा सकता था वह उसे खो चुका है, क्योंकि जर्मनी एक गंभीर आर्थिक संकट के साथ आगे बढ़ रहा है और नॉर्ड स्ट्रीम 2 के कमीशन के खिलाफ बर्लिन के फैसले की समीक्षा करने की मांग आम जनता एमिन बढ़ रही है। पिछले हफ्ते, इस बारे में जर्मनी में बड़े प्रदर्शन हुए थे, जिसमें मांग की गई थी कि ऊर्जा की कमी को दूर करने के लिए नॉर्ड स्ट्रीम 2 को चालू किया जाए। 

जहां तक जर्मन नेतृत्व का सवाल है, उसके पास अब रूसी गैस की आपूर्ति को फिर से शुरू करने का विकल्प नहीं है (केवल पोलैंड और यूक्रेन से यमल और द्रुज़बा पाइपलाइनों को फिर से खोलने में सहयोग करने के लिए भीख माँगने के अलावा यह संभव नहीं है।) दूसरी ओर, जर्मन चांसलर स्कोल्ज़ द्वारा पिछले सप्ताह के अंत में की गई खाड़ी क्षेत्र (सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर) की यात्रा, अधिक तेल आपूर्ति की तलाश विफल रही जिनकी उन्होंने उम्मीद की थी।

सऊदी अरब, जो तेल उत्पादन को विनियमित करने पर रूस के साथ गठबंधन में है, वैश्विक मंच पर एक अस्पष्ट स्थिति बनाए रखे हुए है क्योंकि पश्चिम कुल ऊर्जा स्वतंत्रता के मामले में रूस से टक्कर ले रहा है। संयुक्त अरब अमीरात में, स्कोल्ज़ ने ऊर्जा सुरक्षा पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करके कुछ बेहतर परिणाम हासिल किए, जो 2022 के अंत से पहले एलएनजी की डिलीवरी प्रदान कर पाएगा।

एक अन्य दृष्टिकोण यह भी है कि, नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइनों को यूक्रेन युद्ध के निर्णायक पल में बेकार कर दिया गया है तब-जब पतझड़ ए लेकर दिसंबर तक मंदी की उम्मीद की जा रही है। निश्चित रूप से, यह मास्को के साथ बातचीत में एक छोटी सी खिड़की प्रस्तुत करता है। ऐसी अफवाहें हैं कि स्कोल्ज़ के खाड़ी दौरे का उद्देश्य सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मदद लेना भी था, जिनके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बेहतरीन संबंध हैं। (प्रिंस सलमान ने हाल ही में मॉस्को और कीव के बीच कैदी विनिमय की व्यवस्था की थी, जहां 23 सितंबर को वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक रिपोर्ट के अनुसार, रूसी कुलीन और राजनेता रोमन अब्रामोविच ने मध्यस्थ के रूप में काम किया है।)

लब्बोलुआब यह है कि यूरोप और रूस के बीच बातचीत के किसी भी खाके में, यूरोप में आर्थिक संकट को कम करने के लिए रूसी ऊर्जा आपूर्ति को फिर से शुरू करना एक कठिन काम होगा। इसलिए, जिसने भी नॉर्ड स्ट्रीम पर हमला किया, उसे समय की सही समझ थी। यह कायरतापूर्ण काम राज्य प्रायोजित है और यह केवल इस बात को दर्शाता है कि पश्चिम में शक्तिशाली ताकतें हैं जो संघर्ष को लंबा खींचना चाहती हैं और युद्धविराम और वार्ता की आकांक्षा रखने वाले किसी भी शुरुआती हलचल को दबाने के लिए, चाहे कुछ भी हो, पूरी तरह से तैयार हैं। 

इस तरह की "जानबूझकर तोड़फोड़ की कार्रवाई" के लिए बहुत पहले से योजना बनाने की जरूरत होती है। अप्रत्याशित रूप से, क्रेमलिन का कहना है कि यह "घटना के बारे में बेहद चिंतित है।" जो हुआ है वह मार्च के अंत में कीव और मॉस्को के बीच इस्तांबुल समझौते के एंग्लो-अमेरिकन तोड़फोड़ का मात्र एक हिस्सा है, जिसने युद्ध को पांच महीने तक बढ़ा दिया है। 

वर्तमान मामले में, युद्ध लॉबी ने पोंटून पुल को हटा दिया है और यह सुनिश्चित किया है कि यूरोपीय देशों के पास अब रूसी गैस के स्रोत और उनकी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने के मामले में कोई साधन न बचे। जैसा कि हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने व्यंग्यात्मक रूप से टिप्पणी की, अमेरिकी तेल कंपनियां "युद्ध मुनाफाखोर" बन गई हैं। अमेरिका ने न केवल रूसी ऊर्जा आपूर्तिकर्ता की जगह ले ली है, बल्कि उसने यूरोपीय लोगों को गज़प्रोम के साथ अनुबंधित मूल्य के मुक़ाबले 8-10 गुना अधिक भुगतान करने पर मजबूर कर दिया है।

एमके भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।

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