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उत्तराखंड: रुड़की सामूहिक बलात्कार मामले में तीन दिन बीतने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली

बलात्कार के मामलों में उत्तराखंड का औसत राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में साल 2020 में इजाफा देखने को मिला था।
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पहाड़ी राज्य उत्तराखंड एक बार फिर बलात्कार की खबरों को लेकर सुर्खियों में है। यहां रुड़की में एक महिला और उसकी छह साल की बच्ची के साथ चलती कार में गैंगरेप का मामला सामने आया है। फिलहाल महिला और बच्ची दोनों अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद भी आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस मामले की जांच चलने और जल्द गिरफ्तारी की बात तो कह रही है, लेकिन अभी उसे कोई खास कामयाबी मिलती दिख नहीं रही।

बता देें कि बलात्कार के मामलों में उत्तराखंड का औसत राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में साल 2020 में इजाफा देखने को मिला था। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में उत्तराखंड में बलात्कार के 487 मामले दर्ज हुए थे। जबकि 2019 में 450 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए थे।

पहाड़ी राज्यों के आंकड़े देखें तो यहां उत्तराखंड में रेप के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं और पिछले साल इनमें 30 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में राज्य में रेप के 570 मामले सामने आए थे और 2021 में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत बढ़कर 741 हो गया। राज्य में महिला विरोधी अपराधों में भी 36 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। 2020 में 2,810 के मुकाबले 2021 में 3,836 महिला विरोधी अपराध हुए।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक घटना 25 जून देर रात की है। यह महिला और उसकी छह साल की बेटी धार्मिक स्थल पिरान कलियार से अपने घर लौट रही थीं, वहीं रास्ते में उन्हें सोनू नाम का एक व्यक्ति मिला। उसने उन्हें अपनी गाड़ी से घर तक छोड़ देने की पेशकश की। महिला और उसकी बेटी कार में बैठ गए। कार में सोनू के कुछ दोस्त पहले से ही बैठे थे। आरोप है कि इन लोगों ने आरोपियों ने महिला और उसकी बेटी का गैंगरेप किया और घटना के बाद उन्हें एक नहर के पास फेंक दिया।

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार मूल प्राथमिकी में सोनू को अकेला आरोपी बनाया गया था। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 376-सी (16 साल से कम उम्र की महिला से बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने आगे की जांच के बाद सामूहिक बलात्कार के आरोप जोड़े गए। ऐेसे में पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। सबसे बड़ा सवाल अपराधियों की गिरफ्तारी को लकेर उठ रहा है। पुलिस पहचान और सुराग के दावे कर रही है लेकिन घटना के चार दिन बीतने के बाद भी अभी तक पुलिस के हाथ खाली ही हैं।

पुलिस का क्या कहना है?

रुड़की के एसपी प्रमेंद्र डोभाल ने मीडिया को बताया कि किसी तरह आधी रात के बाद महिला अपनी बेटी को लेकर पुलिस थाने पहुंच पाई। उसने अपनी पूरी आपबीती पुलिस को बताई जिसके बाद केस दर्ज करके महिला और उसकी बेटी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां मेडिकल में दोनों के रेप की पुष्टि हुई है।

पुलिस के मुताबिक, महिला को केवल एक आरोपी सोनू का नाम पता है। गाड़ी में और कितने लोग थे या उनके नाम क्या थे इसे लेकर महिला को कोई जानकारी नहीं है। फिलहाल पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस रजिस्टर किया है और सभी की तलाश जारी है।

गौरतलब है कि इसी तरह का एक मामला 25 अप्रैल को राजस्थान के दौसा से आया था। जहां महिला जयपुर से अपने मायके दौसा जा रही थी। बस स्टैंड से अपने घर की ओर पैदल जाते वक्त एक शख्स ने उसे लिफ्ट देने के बहाने कार में बैठाया। इसके बाद कथित तौर पर उसका गैंगरेप करके उसकी हत्या कर और उसका शव कुएं में फेंक दिया। महिला जब घर नहीं पहुंची तो घरवालों ने गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस को जयपुर के जिले बस्सी थाना क्षेत्र के एक कुएं में महिला का शव मिला। महिला की उम्र 35 वर्ष थी। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।

बहरहाल, हमारे देश की सरकारें भले ही तमाम महिला सुरक्षा के दावे करें लेकिन सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़ती पार्टियां अपने राज्यों में अपराध की घटनाओं पर चुप्पी साध लेती हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में 2020 में बलात्कार के प्रतिदिन औसतन करीब 77 मामले दर्ज किए गए। वहीं पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले रिपोर्ट हुए जो 2019 में 4,05,326 थे और 2018 में 3,78,236 थे। बलात्कार के सबसे अधिक मामले राजस्थान और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि भले ही इन दोनों राज्यों में सरकारें अलग- अलग पार्टियों की है लेकिन बीते कुछ सालों में दोनों राज्यों में पितृसत्तात्मक राजनीति की समानता और शासन-प्रशासन, कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने की समानता नज़र आ रही है। कुल मिलाकर देखें तो यूपी से लेकर राजस्थान तक सब जगह महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न की कहानी एक सी ही लगती है।

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