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बृजभूषण शरण सिंह + दिल्ली पुलिस: अब आगे क्या?

चार्जशीट की मौजूदा सभी धाराएं Cognizable offence तो हैं, लेकिन इन सभी मामलों में बृजभूषण शरण सिंह को आसानी से ज़मानत भी मिल जाएगी।
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भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन उत्पीड़न मामले में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार, 15 जून को राउज़ एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है। इस कोर्ट में पूर्व और मौजूदा सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ मामलों की सुनवाई होती है। खबरों के मुताबिक कोर्ट में दायर चार्जशीट में बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ तीन धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं। वहीं दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो एक्ट का मामला रद्द करने की भी सिफ़ारिश की है।

सरकारी वकील के अनुसार राउज़ एवेन्यू कोर्ट में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ दायर की गई पहली चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (स्त्री की शालीनता को ठेस पहुंचाने के इरादे से उसपर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 354-ए ( यौन उत्पीड़न) और 354-डी (पीछा करना) के तहत आरोप लगाए गए हैं। इन सभी आरोपों में लगभग एक से पांच वर्ष के बीच सज़ा का प्रावधान है। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख़ 22 जून तय की गई है।

बृजभूषण के साथ सचिव विनोद तोमर भी आरोपी

सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा है कि मामले में दो लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। बृजभूषण के साथ एक और अभियुक्त विनोद तोमर के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 , 354-ए, 354-डी और 506(1) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए गए हैं। विनोद तोमर भारतीय कुश्ती महासंघ के असिस्टेंट सेक्रेटरी थे, जिन्हें बाद में खेल मंत्रालय द्वारा सस्पेंड कर दिया गया था।

पीटीआई के मुताबिक़ सरकारी वकील का कहना है कि पॉक्सो से जुड़े मामले में अब पटियाला कोर्ट पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर ये तय करेगी कि उन्हें पोक्सो हटाने की उसकी सिफ़ारिश माननी चाहिए या नहीं। दिल्ली पुलिस ने पॉक्सो केस रद्द करने की सिफ़ारिश लड़की के पिता के बयान के आधार पर पेश की है। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो के मामले में कोई सबूत नहीं मिले हैं। पॉक्सो से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही पटियाला हाउस कोर्ट में अब इस केस की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।

बता दें कि पॉक्सो के तहत लगे आरोप हटाए जाते हैं तो ये बृजभूषण सिंह के लिए बड़ी राहत होगी। क्योंकि बाकी सभी धाराओं में अगर बृजभूषण सिंह को जेल भी हो जाती है, तो उन्हें आसानी से बेल मिल जाएगी, जो महिला पहलवानों के संघर्ष के लिए एक बड़ा झटका होगा। कानून के अनुसार मौजूदा सभी धाराएं संज्ञेय अपराध तो हैं, जिनमें पुलिस अभियुक्त को बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकती है लेकिन इन सभी मामलों में ज़मानत अभियुक्त का अधिकार है।

नाबालिग़ के पिता का बयान से पीछे हटना और डर का सवाल

ध्यान रहे कि बृजभूषण सिंह की छवि एक दबंग और बाहुबली नेता के तौर पर है। उन पर दर्जनों आपराधिक मामले भी दर्ज हैं, वहीं वो बीजेपी के एक फायरब्रांड नेता भी हैं, जिसके चलते इस केस में निष्पक्ष जांच के लिए शुरुआत से ही उनकी गिरफ्तारी की मांग चल रही है। जंतर-मंतर पर खिलाड़ियों का पूरा प्रदर्शन ही बृजभूषण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी को लेकर था, वो बार-बार बीजेपी सांसद के पावर और केस को मैनिपुलेट करने का डर भी जता रहे थे। इन सब के बीच एक बड़ा मोड़ नाबालिग पहलवान के पिता का पॉक्सो के तहत अपने आरोपों से पीछे हटने को लेकर भी देखा गया, जिसे लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

हालांकि पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के आश्वासन के बाद 15 जून तक प्रदर्शन स्थगित कर दिया था। अनुराग ठाकुर ने प्रदर्शनकारी पहलवानों को आश्वासन दिया था कि 15 जून तक बृजभूषण के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो जाएगा। मंत्री का ये आश्वासन भी सवालों के घेरे में है कि आखिर उन्हें पुलिस चार्जशीट की इतनी डिटेल कैसे पता थी, क्या पुलिस उन्हें रिपोर्ट कर रही थी या उनके निर्देशों पर काम कर रही थी।

चार्जशीट पर प्रतिक्रिया

आरोप पत्र दाखिल होने के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों की ओर से ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने मीडिया में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारा अगला कदम तब आएगा जब हम सब कुछ देख लेंगे कि जो वादे किए गए थे वे पूरे हो रहे हैं या नहीं। फिलहाल हम इंतजार कर रहे हैं।

साक्षी मलिक ने आगे ये भी कहा कि चार्जशीट में साफ तौर पर कहा गया है कि बृजभूषण शरण सिंह दोषी हैं। लेकिन हमारे वकील ने एक आवेदन दायर किया है, जिससे वह जल्द से जल्द चार्जशीट देखकर आरोपों का पता लगा सकें। सब कुछ जानने के बाद ही हम अगला कोई कदम उठाएंगे। अभी हम इसका इंतजार कर रहे हैं।

वहीं पुलिस की चार्जशीट पर किसान नेता राकेश टिकैत ने भी मीडिया में अपना बयान दिया है। उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उनके मुताबिक ये सब बृजभूषण सिंह को बचाने के लिए सरकार की योजना है। उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि किसान यूनियन पहलवानों का समर्थन जारी रखेगी।

कांग्रेस ने गिरफ़्तारी में देरी को लेकर उठाया सवाल

उधर, आरोप पत्र को लेकर कांग्रेस ने भी मोदी सरकार को घेरा है। महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने कहा कि ‘बेटी बचाओ’ का फर्जी नारा गढ़ने वाली मोदी सरकार का असली मकसद ‘अपराधी बचाओ' है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर नाबालिग के केस में एफआईआर होने के एक महीने बाद भी बृजभूषण की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई?

डिसूजा ने कहा कि नियम के मुताबिक पॉक्सो की शिकायत पर आरोपी सांसद बृजभूषण सिंह को तुरंत हिरासत में लिया जाना चाहिए था। लेकिन सांसद न केवल सरेआम घूम रहा था, बल्कि मीडिया को इंटरव्यू भी दे रहा था और ओलंपिक मेडल की कीमत 15 रुपये का बता रहा था। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से इस मामले में दिल्ली पुलिस ने काम किया है, क्या अब कोई भी परिवार किसी अपराधी, बाहुबली के खिलाफ इंसाफ मांगने की हिम्मत जुटा पाएगा?

गौरतलब है कि इस मामले में शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार सवालों के घेरे में रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की भूमिका पर भी सवालिया निशान हैं। महिला संगठन लगातार अपने प्रदर्शनों से इन पहलवानों का साथ और सत्ता को चुनौती दे रहे है। ऐसे में बहुत संभव है कि इस चार्जशीट और पॉक्सो में क्लीनचीट को लेकर जल्द ही एक बड़ा संघर्ष सड़कों पर देखने को मिल सकता है।

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