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इक्वाडोर के नारीवादी आंदोलनों का अप्रतिबंधित गर्भपात अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प

16 अप्रैल को इक्वाडोर में  वह विधेयक, जो बलात्कार के कारण हुई प्रेग्नन्सी के दौरान गर्भपात कराने की अनुमति देता है,  बतौर क़ानून बन गया। महिला अधिकार आंदोलनों के मुताबिक़, यह क़ानून दरअस्ल इस अधिकार की गारंटी देने के बजाय बलात्कार पीड़ितों के लिए गर्भपात तक पहुंच को ही सीमित कर देता है। 
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हरे रंग की तख़्ती लिए महिलायें, जिस पर लिखा है-"मातृत्व का इरादा होगा या नहीं होगा"। फ़ोटो: प्लान वी/ट्विटर

16 अप्रैल को इक्वाडोर में वह विधेयक बतौर क़ानून अधिनियम बन गया,जो बलात्कार के कारण हुई प्रेग्नन्सी के दौरान गर्भपात कराने की अनुमति देता है। कोई शक नहीं कि यह क़ानून पिछले क़ानून से कुछ हद तक अग्रगामी है, क्योंकि पिछला क़ानून गर्भपात की इजाज़त तभी देता था, जब गर्भावस्था के चलते किसी महिला की ज़िंदगी ख़तरे में पड़ जाती हो, और जब वह गर्भावस्था किसी दिमाग़ी बीमारी वाली महिला से साथ हुए बलात्कार का नतीजा हो। हालांकि, नारीवादी और महिला अधिकार आंदोलनों ने हाल ही में इस घोषित क़ानून को खारिज कर दिया है, इसके दायरे को देखते हुए इसकी आलोचना की जा रही है और अप्रतिबंधित प्रजनन अधिकारों को पाने के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने के संकल्प को दोहराया है।

इक्वाडोर के संवैधानिक न्यायालय ने अप्रैल 2021 में बलात्कार के मामलों में गर्भपात को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था और वहां की नेशनल असेंबली को उस क़ानून में ज़रूरी संशोधन करने का आदेश दिया था। फ़रवरी, 2022 में देश की एकसदनीय संसद ने एक ऐसे विधेयक को मंज़ूरी दे दी थी, जिसमें बलात्कार के मामलों में ज़्यादतर वयस्क महिलाओं के लिए गर्भपात के 12 हफ़्ते तक गर्भपात की अनुमति दी गयी है। हालांकि,इस क़ानून में ग्रामीण इलाक़ों की नाबालिग़ों और महिलाओं के लिए इस समय सीमा का विस्तार करते हुए 18 हफ़्ते तक का समय दे दिया गया है। विधेयक के पक्ष में 75 मत पड़े थे, 41 मत इसके विरोध में पड़े थे और 14 मत ग़ैर-मौजूद रहे,इसके साथ ही वह विधेयक पारित कर दिया गया। उस समय नारीवादियों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस बात को लेकर आलोचना की कि यह विधेयक बलात्कार पीड़ितों के लिए क़ानूनी और सुरक्षा तक वास्तविक और प्रभावी पहुंच की गारंटी दे पाने में नाकाम रहा है। उनका कहना था कि यह निर्धारित समय सीमा बहुत ज़्यादा अवरोधक है और इससे महिलायें असुरक्षित परिस्थितियों में ग़ैर-क़ानूनी गर्भपात की तलाश जारी रखने के लिए मजबूर हो जायेंगी। राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो के गर्भपात विरोधी रुख़ से अवगत होने के बावजूद उन्होंने इस विधेयक को राष्ट्रपति से वीटो करने और कांग्रेस को वापस करने का आह्वान किया है, ताकि सांसद इन प्रतिबंधों को ख़त्म कर सके और एक ऐसे नये विधेयक को मंज़ूरी दे सके, जो वास्तव में निष्पक्ष और महिलाओं को मज़बूत करने वाला हो।

लेकिन, इस अनुदार राष्ट्रपति ने अपने निजी धारणाओं को ज़्यादा अहमियत दी। राष्ट्रपति लासो ने मार्च, 2022 में इस विधेयक को आंशिक रूप से वीटो कर दिया, और समय सीमा को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बिना किसी अपवाद के सभी के लिए गर्भपात की उस समय सीमा को 12 हफ़्ते तक कर देने का सुझाव दिया। इसके अलावे, उन्होंने यह प्रस्ताव दिया कि गर्भपात कराने लिए तीन "ज़रूरतों" में से कम से कम एक को पूरा किया जाना ज़रूरी होगा। ये तीन ज़रूरतें थीं- शिकायत को पेश करना, एक हलफ़नामे पर हस्ताक्षर करना, या यौन उत्पीड़न की पुष्टि करने वाली एक चिकित्सा जांच कराना। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि लड़कियों और किशियरियों को इसके लिए क़ानूनी प्रतिनिधियों से इजाज़त लेने की आवश्यकता होगी। उन्होंने गर्भपात के मामलों से निपटने के लिए मेडिकल स्टाफ़ की ओर से पेश किये जाने वाले किसी भी तरह की ईमानदार आपत्तियों का सम्मान किये जाने की बात भी कही। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से इस विवादास्पद फ़ैसले का व्यापक रूप से आलोचना हुई। उनमें से कई संगठनों और जानकारों का कहना था कि राष्ट्रपति के वीटो और उनके प्रस्तावित संशोधनों ने बलात्कार पीड़िता को गर्भपात की गारंटी देने के बजाय, इस गारंटी के दायरे को और कम कर दिया है।

नेशनल असेंबली के पास राष्ट्रपति के इस वीटो को ख़त्म करने का अवसर और 30 दिनों का समय 16 अप्रैल तक ही थे। हालांकि, इस आंदोलनों से हताश संसद वीटो पर चर्चा करने और फ़ैसला करने में नाकाम रही। कांग्रेस ने 15 अप्रैल को पक्ष में 17 मतों, विरोध में 73 मतों और इस प्रक्रिया में भाग नहीं लने वाले 40 मतों के साथ प्रगतिशील यूनियन ऑफ होप गठबंधन के विपक्षी सांसद पियरीना कोरिया की ओर से राष्ट्रपति के वीटो को हटाने के लिए पेश किये गये उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ग्वाडालूप लोरी ने उस वीटो पर एक प्रस्ताव तक पहुंचने के उद्देश्य से अन्य प्रस्तावों पर संसदीय बहस का रास्ता दिये बिना विधायी सत्र को तुरंत निलंबित कर दिया। लोरी ने संक्षेप में "सत्र स्थगित है, शादनदार छुट्टी मुबारक!" कहते हुए पूर्ण सत्र को स्थगित कर दिया। बाद में अगले दिन का सत्र भी स्थगित कर दिया गया।

चूंकि नेशनल असेंबली निर्धारित समय सीमा के भीतर इस मामले पर फ़ैसला देने में विफल रही, लिहाज़ा राष्ट्रपति लासो के बिल का यह संस्करण कुल 61 बदलावों के साथ क़ानून मंत्रालय की ओर से अनुमोदित कर दिया गया और वह लागू हो गया।

व्यापक रूप से ख़ारिज

नेशनल असेंबली के अध्यक्ष के इस पैंतरे को महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, संगठनों और विपक्षी सांसदों ने ज़बरदस्त तरीक़े से नकार दिया है।

महिला अधिकार संगठन सुरकुना ने लोरी की इस कार्रवाई को "ओछी हरक़त और क्रूर" क़रार देते हुए ख़ारिज कर दिया और कहा कि "इतिहास आपको बलात्कार पीड़ितों की यातना में एक सहयोगी के रूप में याद रखेगा।"

सुरकुना ने ट्वीट किया, “आज का दिन इक्वाडोर में बलात्कार पीड़िताओं के लिए एक दर्दनाक दिन है। एक बार फिर मानवाधिकारों पर धार्मिक मान्यतायें थोपी दी गयी हैं। एक बार फिर, राज्य की संस्थाओं ने हमें नाकाम कर दिया है।”

इस बीच रेडियो ए ला कैले के साथ बातचीत में सुरकुना की संयोजिकाओं में से एक संयोजिका वेरोनिका वेरा ने आलोचना करते हुए कहा "कार्यकारी प्रमुख (राष्ट्रपति) के वीटो ने इस बिल के मूल पाठ के 97% हिस्से को बदल दिया है, जिसमें इसका यह उद्देश्य भी शामिल है कि बलात्कार मामलों में गर्भपात तक पहुंच की गारंटी देना था।" वेरा ने कहा कि "नेशनल असेंबली के अध्यक्ष, ग्वाडालूप लोरी ने जो रुख़ अख़्तियार किया है, उसमें राष्ट्रपति के साथ उनकी मिलीभगत दिखती है।राष्ट्रपति ने यौन अधिकारों और महिलाओं के अधिकार के ख़िलाफ़ बात की है।"

नारीवादी वकील लिटा मार्टिनेज अल्वाराडो ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि "हमारे अधिकारों का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक समझौते आज बेपर्द हो गये हैं! गिलर्मो लासो के इस वीटो से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाली लड़कियां और महिलायें हैं, जो सबसे कमजोर हैं ! लेकिन, नारीवादी आंदोलन के साथ हम संगठित रहेंगे और लड़ाई लड़ते रहेंगे।

डेमोक्रेटिक लेफ्ट पार्टी की सांसद और मूल विधेय को लेकर होने वाली बैठक की रिपोर्ट करने के लिए नियुक्त  जोहाना मोरेरा ने भी आलोचना करते हुए कहा, "नेशनल असेंबली के अध्यक्ष 'भूल गये' कि 5 अप्रैल को सांसद एलेजांद्रो जारामिलो गोमेज़ की ओर से प्रस्तुत अनुसमर्थन प्रस्ताव पर वोटिंग होना लंबित था। उनके और गिलर्मो लासो के बीच इस अधिकार-विरोधी वीटो को लागू करने को लेकर हुआ समझौता उजागर हो चुका है।” उन्होंने बताया कि "महिलाओं और एलजीबीटीक्यूआई के साथ बाक़ी समुदाय को बिना किसी लड़ाई के हमें कोई अधिकार नहीं मिलने वाला है" और आगे ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि "हम मानवाधिकारों की रक्षा जारी रखने को लेकर तैयार रहेंगे, क्योंकि बलात्कार के बाद गर्भपात तक पहुंच हमारा अधिकार है।"

सांसद एलेजांद्रो जारामिलो गोमेज़ ने भी लोरी के इस क़दम को शर्मनाक बताते हुए ख़ारिज कर दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "एक बार फिर ग्वाडालूप लोरी ने सरकारी खेल खेल दिया। उन्होंने उस रेप बिल के गर्भावस्था के दौरान स्वैच्छिक गर्भपात से सम्बन्धित मूल पाठ में सुधार किये जाने की पुष्टि करने वाले उस प्रस्ताव पर विचार किए बिना ही सत्र को स्थगित कर दिया। दस्तावेज़ 5 अप्रैल को पेश किया गया था और हमारे पास 92 वोट थे !”

मोरेरा और गोमेज़ दोनों ने यह संकेत दिया कि वे इस क़ानून को चुनौती देंगे ।गोमेज़ ने लिखा, "हम इस लड़ाई को जारी रखने जा रहे हैं। एक बार जैसे ही यह लॉरी के कानून मंत्रालय में दाखिल हो जाता है, जैसा कि लोरी चाहते भी थे कि- इक्वाडोर की लड़कियों, किशोरियों और महिलाओं के इन अधिकारों को कुचल दिया जाये,वैसे ही हम इसके संविधान सम्मत नहीं होने का मुकदमा दायर कर  देंगे।"

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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