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पोल्स ऑफ पोल: भाजपा ‘गुजरात’ तो कांग्रेस ‘हिमाचल’ में चैंपियन

भारतीय टीवी चैनलों ने गुजरात में भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई है, जबकि हिमाचल मामला कांटे का है, हालांकि दोनों ही जगह आम आदमी पार्टी को निराशा हाथ लगी है। ऐसे में 8 दिसंबर को आने वाले असल नतीजों पर सबकी नज़रें रहेंगी।
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सौजन्य- द फाइनेंसियल एक्सप्रेस

चुनावों से पहले गुजरात की जिन 182 विधानसभा सीटों पर हो-हल्ला मचा हुआ था, वहां फिलहाल शांति पसरी हुई है। जीत के लिए जी-जान झोंक देने वाली पार्टियां 8 दिसंबर की महत्वपूर्ण तारीख़ पर नज़रे गड़ाए हुए हैं। हालांकि राज्य में लंबे वक्त से राज कर रही है भारतीय जनता पार्टी को हमारे देश के टीवी चैनल्स ने झूमने का मौका ज़रूर दे दिया है। वहीं कागज़ों पर अपने आत्मविश्वास की स्याही से सीटें तक लिख देने वाले अरविंद केजरीवाल के लिए ख़बरे अच्छी नहीं है, जबकि राज्य में अपना राजनीतिक सूखा खत्म करने उतरी कांग्रेस को भी निराशा ही हाथ लग रही है। लेकिन ये सब कुछ हो रहा है टीवी चैनल्स की स्क्रीन पर दिखाए गए एग्ज़िट पोल के ज़रिए... यानी असल आंकड़ों में क्या छिपा है इसका इंतज़ार अभी बाकी है।

ठीक इसका उलटा हिमाचल प्रदेश में है, वहां हमारे देश के टीवी चैनल्स ने एक हद तक कांग्रेस को मौका दिया है, यानी एक बार फिर यही दिखाई पड़ रहा है, कि पहाड़ों में रिवाज़ नहीं राज ही बदलेगा। जबकि भारतीय जनता पार्टी भी बहुत ज्यादा पीछे नहीं रखा है, कहीं न कहीं हिमाचल में वो कांग्रेस को टक्कर ज़रूर दे रही है, इसके अलावा शुरुआत में गर्म और बाद में नर्म पड़ चुकी आम आदमी पार्टी को किसी भी टीवी चैनल ने खुश करने की कोशिश नहीं की है। हालांकि यहां भी किसी दल को बहुत जल्दी जश्न नहीं मनाना चाहिए, क्योंकि यहां के असल नतीजे भी 8 दिसंबर को ही आएंगे।

फिलहाल एक नज़र में देख लेते हैं, कि किस टीवी चैनल ने गुजरात में किसे कितनी सीटें दी हैं।

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अगर एग्ज़िट पोल की मान लें, तो भारतीय जनता पार्टी अभी तक का सारा रिकॉर्ड तोड़ती दिख रही है। क्योंकि भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें 2002 के विधानसभा चुनाव में मिली थीं, उसके बाद से लगातार उसकी सीटें और वोट प्रतिशत घटता ही आया है, लेकिन इस बार भाजपा ऐतिहासिक क्लीन स्वीप करती दिखाई पड़ रही है।

जबकि पिछले यानी 2017 के चुनावों में जी-जान से लड़ने वाली और भाजपा को 99 सीटों पर रोक देने वाली कांग्रेस को बहुत बड़ी निराशा हाथ लगती दिखाई पड़ रही है। और अगर सच में ऐसा होता है तो कांग्रेस का अध्यक्ष बदलना, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और गुजरात के आंतरिक संगठन में बड़े सवाल खड़े होंगे।

भाजपा और कांग्रेस के अलावा सबसे ज्यादा आत्मविश्वास से लबरेज़ थी, आम आदमी पार्टी। इसके संयोजक और अरविंद केजरीवाल तो कागज़ों पर लिख कर दे रहे थे, कि कांग्रेस की पांच से कम सीटें आएंगी और भाजपा पिछली बार से कम सीटें पाएगी। यानी वो दबी ज़ुमान में कह रह थे, कि गुजरात में उनकी सरकार बनेगी। हालांकि एग्ज़िट पोल में वो दूसरे नंबर की पार्टी बनते भी नहीं दिख रहे हैं।

कारणों की बात करें, तो अगर एग्ज़िट पोल सच होते हैं तो गुजरात में कांग्रेस को हाईकमान द्वारा प्रचार नहीं करना, कोई बड़ा चेहरा नहीं होना, देर से प्रचार करना, और भाजपा के हिंदुत्ववादी कार्ड का तोड़ नहीं निकाल पाना ही होगा। दूसरी ओर ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के वोटों में गहरी सेंधमारी की है।

इसके अलावा गुजरात में इस बार कम वोटिंग परसेंट को आम आदमी पार्टी बीजेपी की 27 साल की एंटी इनकंबेंसी बता रही है, वहीं भाजपा इस वोटिंग प्रतिशत पर भी कॉन्फिडेंट हैं कि उनकी पार्टी को भारी वोट मिले हैं। इसके पीछे गृहमंत्री अमित शाह और राज्य के अन्य नेताओं की रणनीति बता रही है, भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के काम को देखते हुए लोग भाजपा को वोट कर रहे हैं।

ख़ैर... भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की बयानबाज़ी से दूर असल नतीजे क्या कहते हैं इसके लिए अभी इंतज़ार की ज़रूरत है।

इसके बाद हिमाचल प्रदेश के आंकड़ों पर भी एक नज़र डाल लेते हैं।

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हिमाचल प्रदेश में अगर सरकार बदलती है, तो सबसे पहले यही कहेंगे कि वहां परंपरा के कारण कांग्रेस को जीत मिली है। दूसरा ये कि लोगों के बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रति लोगों में नाराज़गी, ओल्ड पेंशन स्कीम, पानी की समस्याएं और सेब किसानों पर पड़ती मार बड़ा कारण होगा। इसके अलावा भाजपा को हराने के पीछे निर्दलीय उम्मीदवारों का बड़ा हाथ हो सकता है। हालांकि नतीजे आने के बाद भी सरकार बनने तक इंतज़ार करना होगा, क्योंकि अगर जीतने वाले निर्दलीयों की संख्या ज्यादा होती है, तो ये देखना भी दिलचस्प हो जाएगा कि कौन किसकी ओर जाएगा।

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