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नए श्रम क़ानूनों के तहत मुमकिन नहीं है 4 डे वीक

नई श्रम संहिताओं के लागू होने के बाद 4 डे वीक की संभावना के बारे में हाल की ख़बरें कानूनी रूप से संभव नहीं हैं। ऐसी जानकारी जनता के मन में अनावश्यक भ्रम पैदा करती है।
Four-Day Work
Image courtesy : Mint

हाल के दिनों में, सार्वजनिक डोमेन और आम तौर पर मीडिया में चर्चा यह है कि भारत में चार दिवसीय कार्य सप्ताह लागू होगा तब जब श्रम संहिता, विशेष रूप से मजदूरी 2019 पर बनी संहिता, जल्द ही लागू की जाएगी। समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यवसाय सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर चार श्रम संहिताएं अगले वित्तीय वर्ष तक लागू होने की संभावना है। मंत्रालय के अधिकारी ने बताया है कि, "केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। लेकिन चूंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य भी केंद्र के साथ इसे लागू करें।"

हिंदुस्तान टाइम्स ने विशेषज्ञों का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, क्योंकि यह अनुमान लगाया गया है कि प्रस्तावित संहिता भारत में कर्मचारियों को अगले साल से पांच दिनों के बजाय चार-दिवसीय कार्य सप्ताह का विशेषाधिकार दे सकते हैं। श्रम संहिताएं 2022-23 के अगले वित्तीय वर्ष में लागू होने की संभावना है क्योंकि बड़ी संख्या में राज्यों ने इन पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। चूंकि श्रम संहिता एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य भी इन्हे एक साथ लागू करें।"

डेक्कन हेराल्ड की दिनांक 22 दिसंबर 2021 में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में श्रमिक वर्ग के लिए जल्द ही चार-दिवसीय कार्य सप्ताह एक वास्तविकता बन सकता है। यह इसलिए संभव होगा क्योंकि केंद्र सरकार अगले वित्तीय वर्ष तक चार नई श्रम संहिताओं को लागू करेगी। चार नई संहिताएँ मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यवसाय सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर हैं।" इसी तरह की एक रिपोर्ट मिंट में भी प्रकाशित हुई थी।

इंडियन एक्सप्रेस ने केंद्रीय श्रम सचिव के हवाले से कहा है कि प्रस्तावित नए श्रम कोड कंपनियों को सप्ताह में चार कार्य दिवसों का लचीलापन प्रदान कर सकते हैं, यहां तक ​​कि एक सप्ताह के भीतर 48 घंटे काम के घंटे की सीमा पवित्र रहेगी। हालांकि, श्रम सचिव ने स्पष्ट किया कि कार्य दिवसों की संख्या कम होने का मतलब सशुल्क छुट्टियों में कटौती नहीं है। इसलिए, जब नए नियम चार कार्य दिवसों का लचीलापन प्रदान करेंगे, तो इसका अर्थ होगा तीन भुगतानशुदा छुट्टियां।

राज्यसभा में केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव के जवाब के अनुसार, कोड़ ऑन वेजेज़ (वेतन संहिता) 2019 पर 24 राज्यों ने मसौदा नियमों को पहले ही प्रकाशित कर दिया है। ये राज्य मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, पंजाब, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, राजस्थान, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, मिजोरम, तेलंगाना, असम, मणिपुर, केंद्र शासित प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली शामिल है। इस संदर्भ में, इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि वेतन 2019 पर संहिता (कोड़ ऑन वेजेज़) को बहुत जल्द लागू कर दिया जाएगा, और भारत में चार-दिवसीय कार्य सप्ताह एक मानक अभ्यास बन सकता है।

हालांकि, जैसा कि मौजूदा और प्रस्तावित श्रम कानूनों में कहा गया है, उसके मुताबिक कानूनी प्रावधान चार-दिवसीय सप्ताह की संभावना को स्वीकार नहीं करते हैं। कोड ऑन वेज 2019 में दैनिक कार्य-समय निर्धारित किया गया है, और वह आठ घंटे का काम है। फिर भी, सार्वजनिक डोमेन में एक धारणा बनाई जा रही है कि यह आठ कार्य-घंटे 12-घंटे हो जाएंगे और तकनीकी रूप से, इसलिए चार-दिवसीय सप्ताह संभव हो सकता है, यह देखते हुए कि साप्ताहिक कार्य समय 48 घंटे का है। लेकिन यह कानूनी जांच में खरा नहीं उतरता है। भले ही केंद्रीय श्रम सचिव को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रपट में उद्धृत किया गया था और मंत्रालय के विश्वसनीय स्रोतों को पीटीआई की रिपोर्ट में उद्धृत किया गया था, लेकिन जब इसे कोड ऑन वेजेज 2019, ड्राफ्ट कोड ऑन वेजेज (सेंट्रल) रूल्स 2020 के नियम के साथ पढ़ा गया तो जो प्रावधान मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है, वह ऐसा नहीं है जैसा कि बताया जा रहा है। 12 घंटे का कार्य/दिन जरूरी है। आइए इसके प्रासंगिक प्रावधानों पर फिर से विचार करें।

कोड़ ऑन वेजेज़ 2019 (वेतन संहिता 2019) की धारा 13 के तहत दैनिक कार्य समय का प्रावधान होता है। धारा 13(1) इस प्रकार है:

13. (1) जहां इस संहिता के तहत मजदूरी की न्यूनतम दरें तय की गई हैं, उपयुक्त सरकार - (ए) काम के घंटों की संख्या तय कर सकती है, जो एक या अधिक तय अंतरालों को मिलाकर एक सामान्य कार्य दिवस होगा;

इसके बाद, पिछले साल जुलाई में प्रकाशित और मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कोड़ ऑन वेजेज़ के केंद्रीय, नियम 2020 पर संहिता की धारा 6 के तहत काम के घंटों की संख्या तय की गई थी। मसौदा नियम 2020 की धारा 6 इस प्रकार है:

6. काम के घंटों की संख्या जो एक सामान्य कार्य दिवस का गठन करता है। - (1) धारा 13 की उप-धारा (1) के खंड (ए) के तहत सामान्य कार्य दिवस में आठ घंटे का काम और आराम के एक या अधिक अंतराल शामिल होंगे जो कुल मिलाकर एक घंटे से अधिक नहीं होंगे।

(2) किसी कर्मचारी के कार्य दिवस को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाएगा कि विश्राम के अंतरालों सहित, यदि कोई हो तो, यह किसी भी दिन बारह घंटे से अधिक नहीं होगा। 

 (4) इस नियम की कोई भी बात कारखाना अधिनियम, 1948 (1948 का 63) के प्रावधानों को प्रभावित करने वाली नहीं समझी जाएगी। 

मसौदा नियमों की धारा 6(1) (2) और (4) के साथ पढ़ी जाने वाली संहिता की धारा 13(1) का तात्पर्य है कि एक दिन में वास्तविक कार्य घंटे आठ घंटे से अधिक नहीं हो सकते हैं। यह और बात है कि आराम की अवधि और ओवरटाइम सहित घंटों को 12 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है लेकिन नियमित काम के घंटे आठ घंटे तय किए गए हैं। 12 घंटे के स्प्रेड-ओवर में आराम के घंटे और ओवरटाइम शामिल होंगे। फैक्ट्री अधिनियम 1948 के अनुसार किसी भी कर्मचारी को कम से कम आधे घंटे के ब्रेक के बिना पांच घंटे से अधिक काम करने की अनुमति नहीं है। इसका मतलब है कि अधिकतम 12 घंटे के फैलाव में कम से कम आधे घंटे का आराम शामिल होगा।

चार दिन के सप्ताह का तर्क इस आधार पर सामने आता है कि दैनिक काम के घंटे 12 घंटे होंगे और चार दिनों में कुल काम करने की अवधि 48 घंटे होगी। फैक्ट्रीज एक्ट 1948 में एक हफ्ते में 48 घंटे काम करने का प्रावधान है। यदि 48 कार्य घंटे चार दिनों में पूरे किए जा सकते हैं, तो शेष तीन दिनों में छुट्टियों की जा सकती है।

हालांकि, कोड़ ऑन वेजेज़ 2019 और उसके तहत बनाए गए नियमों के मसौदे के तहत दैनिक 12 घंटे का कार्यदिवस निर्धारित करना कानूनी रूप से संभव नहीं है। दैनिक कार्य का समय केवल आठ घंटे निर्धारित किया गया है। इसे स्प्रेड-ओवर करके 12 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन दैनिक कार्य-समय और उसे बढ़ाना समान नहीं हैं। यह भ्रम इसलिए पैदा होता है क्योंकि काम के घंटे और फैलाव को पर्यायवाची समझा जाता था, जो वे नहीं हैं।

कोड़ ऑन वेजेज़ 2019 में दैनिक कार्य-घंटे और साप्ताहिक कार्य घंटे मौजूदा कानूनों जैसे न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 और फैक्ट्री अधिनियम 1948 में बने हुए हैं। केवल जो परिवर्तन इसमें प्रभावित होता है वह स्प्रेड-ओवर सीमा के संबंध में है। मौजूदा स्प्रेड ओवर अधिकतम साढ़े 10 घंटे है, जिसे अब नए कोड के तहत बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है। ऐसा लगता है कि यह भ्रम पैदा कर रहा है और चार-दिवसीय कार्य सप्ताह की गलत धारणा को जन्म दे रहा है।

यहां, यह उल्लेख किया जा सकता है कि दैनिक आठ घंटे की कार्यसूची एक ऐसी चीज है जिसे सार्वभौमिक रूप से लागू किया जाता है और इसे बुनियादी श्रम अधिकारों में से एक माना जाता है। इसे 12 घंटे के काम तक बढ़ाने से अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन होगा और यह कोड़ ऑन वेजेज़ 2019 और इसके तहत बनाए गए नियमों के मसौदे में भी प्रदान नहीं किया गया है। हाल के दिनों में मीडिया और सार्वजनिक डोमेन में जो दावा किया जा रहा है वह भ्रामक है और कानूनी रूप से मान्य नहीं है। यदि इस तरह के बयान मंत्रालय के उच्च अधिकारियों द्वारा दिए गए थे, तो यह कानूनी प्रावधानों की गलत व्याख्या और मौजूदा प्रावधानों और मानकों के विपरीत होगा। यह समय है कि श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार, चीजों को स्पष्ट करने और कानूनी प्रावधानों की गलत व्याख्या को दूर करने की कोशिश करे और अपने आशय को स्पष्ट करे। 

व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।

डॉ किंग्शुक सरकार एक स्वतंत्र शोधकर्ता हैं। उन्होंने मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल सरकार के एक श्रम प्रशासक के रूप में काम किया है और वी वी गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, नोएडा में फेकल्टी के रूप में भी काम किया है। उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है

मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित लेख को नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

Four-Day Work Week not Legally Tenable Under New Labour Law Regime

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