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गार्डेनिया गेटवे सोसायटी के लोगों को बैंक ने थमाया घर खाली करने का नोटिस

बिल्डर ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 78 करोड़ रुपये का फर्जी तरीके से लोन लिया था, ऐसा बैंक के प्रतिनिधियों ने दावा किया है। इसलिए, 200 से अधिक परिवारों के सामने बेघर होने का संकट आ गया है।
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Image Courtesy : City Spidey

नोएडा सेक्टर-75 स्थित गार्डेनिया गेटवे सोसायटी के 200 से अधिक परिवारों के सामने बेघर होने का संकट आ गया है। सोसायटी के कुछ परिवारों को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नोटिस देकर फ्लैट खाली करने को कहा है। इससे फ्लैट की पूरी कीमत बिल्डर को दे चुके सोसायटी के लोगों में अफरातफरी का माहौल है।

गौरतलब है कि अपनी मेहनत की कमाई से अपने घर का सपना देखने वाले कई बार ठगी के शिकार हो जाते हैं। कभी तय समय पर खरीदारों को घर नहीं मिल पाता तो कभी उसका निर्माण नक्शे के अनुरूप नहीं होता। लेकिन नोएडा के गार्डेनिया गेटवे सोसायटी के इस मामले से सभी हैरान हैं। 

दरअसल यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से सोसायटी के निवासियों को बताया गया कि गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड ने बैंक से दिसंबर 2015 में 78.45 करोड़ रुपये का लोन लिया था जिसे चुकाया नहीं गया है। ऐसे में बैंक के पास अधिकार है कि वो लोन की भरपाई के लिए कंपनी की संपत्ति जब्‍त कर सकती है।

बता दें कि गार्डेनिया गेटवे सेक्टर 75 में करीब 500 फ्लैट के निर्माण की योजना थी, जिसमें से 200 घर पर खरीदारों को 2015 में कब्जा मिल गया था। अब नोटिस मिलने के बाद सभी सकते में हैं। हालांकि अभी बैंक की ओर से 6 लोगों को ही नोटिस दिया गया है। बैंक द्वारा नोटिस 5 अगस्त को भेजा गया है तथा 15 दिनों यानी 20 अगस्त को घर खाली करने को कहा गया है।

न्यूज़क्लिक से बातचीत में खरीदारों ने आरोप लगाया कि उन्होंने बिल्डर गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को चार वर्ष पहले ही पूरा भुगतान कर फ्लैट लिया था। अब उन्हें उसी फ्लैट को खाली करने का नोटिस क्यों पकड़ाया गया है।

खरीदारों का कहना है कि इस धोखाधड़ी में नोएडा प्रशासन भी बराबर भागीदार है, जबकि बिल्डर पर प्राधिकरण का भी कई करोड़ रुपये बकाया हैं। इसके बाद भी प्राधिकरण ने बिल्डर को एनओसी कैसे जारी की। खरीदारों ने सवाल किया कि अब जब बिल्डर लोन वापस नहीं कर रहा है तो इसके लिए फ्लैट मालिक जिन्होंने पूरा पैसा दे दिया है वो कैसे जिम्मेदार हैं? खरीदारों ने केंद्र व राज्य सरकार से अपील की है कि वह उनकी समस्या का समाधान करें।

एक फ्लैट मालिक ने बताया कि, बिल्डर ने प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखी थी इसके बारे में हमें जानकारी नहीं थी। ऐसे में हम क्यों अपना घर खाली करें, हमारी क्या गलती है।

गार्डेनिया गेटवे सोसायटी के निवासी दीपक का कहना है कि हमें कभी ऐसे किसी नोटिस की उम्मीद नहीं की थी। हम फिलहाल कानूनी समाधान के उपायों पर विचार कर रहे हैं।

एक अन्य खरीदार ने बताया कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने आम्रपाली के आदेश में साफ कहा है कि फ्लैट मालिकों को कोई भी उनके घरों से नहीं निकाल सकता। चाहे वह बैंक हो जिसने धोखे से बिल्डर को लोन दिया या फिर नोएडा प्राधिकरण जिसको बिल्डर ने जमीन की कीमत तक अदा नहीं की। घर खरीदार लगभग तीन साल से बिल्डर को अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन बिल्डर ने घर खरीदारों से पूरा भुगतान लेने के बाद भी परियोजना का काम अभी तक पूरा नहीं किया है।

वेलफेयर असोसिएशन ऑफ गार्डेनिया गेटवे के प्रेजिडेंट बीएस लवानिया ने न्यूज़क्लिक से कहा,'घर मिलने से पहले हमने पूरा पैसा बिल्डर को चुका दिया था। बिल्डर की गलती का खामियाजा फ्लैट खरीदार क्यों भुगतें? हमें पता नहीं है कि अब फ्लैट मालिकों को कौन सी और समस्या का सामना करना है।' 

सोसायटी के लोगों का कहना है कि वो इसके वे खिलाफ कानूनी कदम उठाएंगे। इस मामले में सभी लोगों ने मिलकर नोएडा के सेक्‍टर 49 स्थित पुलिस थाने में शिकायत दी है।

इस पूरे मसले पर गार्डेनिया गेट-वे प्रोजेक्ट हेड अतिरिक्त निदेशक सुरेंद्र देयोल का कहना है कि बैंकों की ओर से गलत नोटिस जारी किया गया है। इसकी जानकारी से बिल्डर को अवगत नहीं कराया गया है। बैंक के बोर्ड से बातचीत हो चुकी है। करीब दस दिन में स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो जाएगी।

रियल स्टेट मसलों को देखने वाले वकील महेश शर्मा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि इस तरह के मामलों में बैंक सीधे तौर पर निवासियों को घर खाली करने का नोटिस नहीं भेज सकता है। बैंक से ऋण बिल्डर ने लिया है, तो नियम के अनुसार पहले बिल्डर से ही प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए थी।

गौरतलब है कि देश में रियल स्टेट के मसलों में आए दिन गड़बड़ी की खबरें आम हैं, लेकिन इस तरह बिल्डरों की गलती की सजा खरीदारों को भुगतनी पड़े तो जाहिर है स्थिति चिंताजनक है।

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