बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा : 28 अक्टूबर से तीन चरणों में मतदान, 10 नवंबर को मतगणना
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तीन चरणों में, 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को, मतदान होगा जबकि सभी चरणों के लिए मतगणना 10 नवंबर को होगी। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को यह घोषणा की।
आयोग ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मौजूदा हालात में बिहार चुनाव दुनियाभर में होने वाले सबसे बड़े चुनावों में से एक होंगे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के चुनाव के लिए कार्यक्रम का ऐलान करते हुए कहा कि उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में मतदान का समय एक घंटा बढ़ाया जाएगा और सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होगा।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 रोगी आखिरी एक घंटे में मतदान कर सकते हैं। संक्रमित लोगों के लिए विशेष प्रोटोकॉल तैयार किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि देश में दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद कोई चुनाव नहीं हुआ है और तब से दुनिया में व्यापक बदलाव हुए हैं और कोविड-19 महामारी ने जीवन के सभी पहलुओं में नयी स्थितियां पैदा कर दी हैं।
अरोड़ा ने कहा, ‘‘बिहार विधानसभा चुनाव कोविड-19 महामारी के मौजूदा हालात में दुनियाभर में होने वाले सबसे बड़े चुनावों में से एक होगा।’’
यहां एक संवाददाता सम्मेलन में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि सुरक्षा बंदोबस्त और त्योहारी सीजन समेत कई अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुये बिहार चुनाव के चरण कम किए गए हैं।
28 अक्टूबर को पहले चरण में 71 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जबकि तीन नवंबर को दूसरे चरण का मतदान 94 सीटों पर होगा। सात नवंबर को तीसरे चरण का मतदान 78 विधानसभा सीटों पर होगा।
सभी सीटों के लिए मतगणना 10 नवंबर को होगी।
चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार चुनाव के लिए सात लाख हैंड सैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख पीपीई किट, 6.7 लाख फेस शील्ड और 23 लाख जोड़ी दस्तानों की व्यवस्था कर ली गई है।
अरोड़ा ने कहा कि कोविड-19 के साए में होने जा रहे बिहार चुनाव के दौरान जहां भी जरूरत होगी और आग्रह किया जाएगा, वहां डाक मतदान की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जनसभाओं में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा।
अरोड़ा ने आगे कहा कि चुनावों के दौरान किसी ने भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल सांप्रदायिक तनाव भड़काने जैसे किसी गलत उद्देश्यों के लिए किया तो उसे परिणाम भुगतने पड़ेंगे, जबकि घृणा फैलाने वाले भाषण से भी चुनाव आयोग सख्ती से निपटेगा।
वहीं, निर्वाचन आयोग चुनाव कराने के समय को लेकर कुछ राज्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों के संबंध में 29 सितंबर को समीक्षा बैठक के बाद लोकसभा की एक और विधानसभा की 64 सीटों के लिए उपचुनाव पर फैसला करेगा और उसी शाम बाद में इस संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाएगी।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना एक अक्टूबर को जारी की जाएगी, जबकि नामांकन की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर होगी और उम्मीदवार अपना नामांकन 12 अक्टूबर तक वापस ले सकते हैं।
दूसरे चरण के लिए नौ अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी, 16 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे और 19 अक्टूबर नामांकन वापसी की आखिरी तिथि होगी।
तीसरे चरण की अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी की जाएगी, नामांकन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर होगी और उम्मीदवारी वापसी की अंतिम तिथि 23 अक्टूबर निर्धारित की गई है।
नामांकन दाखिल करने के लिए उम्मीदवार के साथ जाने वाले लोगों की संख्या दो तक ही सीमित की गई है, जबकि घर-घर प्रचार अभियान में उम्मीदवार सहित अधिकतम पांच लोग हो सकते हैं।
अरोड़ा ने कहा कि बिहार के 38 जिलों में लगभग 18.87 लाख प्रवासी हैं, जिनमें से 16.6 लाख वोट देने के पात्र हैं। 13.93 लाख लोगों के नाम पहले से ही मतदाता सूची में हैं, जबकि 2.3 लाख और मतदाताओं को पंजीकृत किया गया है और प्रक्रिया अभी भी जारी है।
जेडीयू नहीं भाजपा से सीधी लड़ाई : तेजस्वी
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चुनाव की तारीख़ों की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि ये चुनाव नीतीश सरकार को हटाने वाला होगा।
तेजस्वी यादव ने कहा कि इस चुनाव में जेडीयू मायने नहीं रखती है, उनकी सीधी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी से है। लोग इस सरकार से नाराज़ हैं और छुटकारा चाहते हैं।
तेजस्वी के अलावा आरजेडी के ही सांसद मनोज झा ने भी नीतीश सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मतदान सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक होना चाहिए। साथ ही, एक पोलिंग बूथ पर 750 मतदाता ही वोट दें। इसलिए इस कोरोना काल में इसलिए मतदान केंद्रों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए।
जनता ‘कुशासन’ से छुटकारा चाहती है: कांग्रेस
कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि बिहार की जनता भाजपा एवं जदयू के ‘कुशासन’ से छुटकारा चाहती है और महागठबंधन सकारात्मक एजेंडे के साथ चुनाव मैदान में उतरेगा।
कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने उम्मीद जताई कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए समान विचारधारा वाले सभी दल इस चुनाव में भाजपा-जदयू के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चुनाव आयोग ने बिहार की जनता को भाजपा-जदयू के कुशासन से मुक्ति की तिथियों की घोषणा की है। हम इसका स्वागत करते हैं। राज्य की जनता इस कुशासन से छुटकारा चाहती है। बिहार में चुनाव जनता के मुद्दों और कुशासन के बीच है।’’
गोहिल के मुताबिक, नीति आयोग ने कहा है कि सतत विकास में बिहार सबसे निचले पायदान पर है।
उन्होंने दावा किया, ‘‘कोरोना महामारी से निपटने में बिहार की सरकार पूरी तरह विफल रही है। देश के विकास की नीव रखने वाले बिहार के श्रमिकों को संकट के समय भगवान भरोसे छोड़ दिया गया।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने 1.20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन आरटीआई में खुलासा हुआ है कि इस पैकेज का एक रुपये नहीं दिया गया।’’
उन्होंने उम्मीद जताई, ‘‘बिहार में कांग्रेस और गठबंधन की सरकार बनेगी। हम सकारात्मक एजेंडे के साथ जनता के बीच जाएंगे। 2015 के चुनाव में भी हमारा स्ट्राइक रेट अच्छा था। इस बार भी हम और हमारे साथी मिलकर सरकार बनाएंगे।’’
महागठबंधन के घटक दलों के बीच खींचतान के बारे में पूछे जाने पर गोहिल ने कहा, ‘‘हमारी बातचीत चल रही है। बिहार की जनता बदलाव चाहती है और वो चाहती है कि हम सब मिलकर चुनाव लड़े हैं। जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए समान विचारधारा वाली पार्टियां साथ लड़ेंगी।’’
मुख्यमंत्री पद के चेहरे से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हम साथ बैठकर तय करेंगे और जो भी गठबंधन के हित में होगा वो फैसला लिया जाएगा।
चुनाव में भाजपा-जदयू को सबक सिखाने के लिए बिहार की जनता पूरी तरह तैयार: माले
बिहार में वामपंथी दलों ने भी एकजुट चुनाव लड़ने की घोषणा की है। महागठबंधन को लेकर भी अभी बातचीत जारी है। वामपंथी दल भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार की जनता और हमारी पार्टी विश्वासघाती भाजपा-जदयू सरकार को चुनाव में सबक सिखाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। आज किसानों के प्रतिवाद में इसकी झलक भी मिली है। तथाकथित डबल इंजन की सरकार डबल बुलडोजर की सरकार साबित हुई है, इस सरकार को सत्ता से बाहर दिखलाना ही हमारा उद्देश्य है।
उन्होंने कहा कि भाजपा-जदयू के खिलाफ मजदूर-किसान, छात्र-नौजवान, स्कीम वर्कर, मनरेगा मजदूर, प्रवासी मजदूर, शिक्षक समुदाया, आशा-आंगनाबाड़ी-रसोइया आदि सभी कामकाजी हिस्सा गोलबंद होने लगे हैं, और चुनाव में इनके आक्रोश का विस्फोट होगा, जिमसें नीतीश सरकार इस बार दह-बह जाएगी और बिहार में वैकल्पिक सरकार की स्थापना होगी।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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