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बलात्कार को लेकर राजनेताओं में संवेदनशीलता कब नज़र आएगी?

अक्सर राजनेताओं के बयान कभी महिलाओं की बॉडी शेमिंग करते नज़र आते हैं तो कभी बलात्कार जैसे गंभीर अपराध को मामूली बताने या पीड़ित को प्रताड़ित करने की कोशिश। बार-बार राजनीति से महिला विरोधी बयान अब सामान्य बात हो गई है।
Image courtesy : Feminism in India
Image courtesy : Feminism in India

एक 14 साल की नाबालिग लड़की जो खून से लथपथ सड़क पर मिली, जिसे पुलिस ने नहीं बल्कि किसी और ने घर पहुंचाया और बाद में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने सड़क पर पड़े हुए खून के सैंपल नहीं जुटाए, न ही क्राइम सीन रीक्रीऐट किया गया। खून के धब्बों की जांच करने के लिए न ही केमिकल टेस्टिंग की गई। पीड़िता के कपड़ों को डीएनए सैम्पल की जांच के लिए भी नही भेजा गया। घटना के वक्त आरोपी ने जो कपड़े पहने थे उन्हें भी जब्त नहीं किया गया। पीड़िता के घर से न ही खून से सनी हुई बेडशीट ही जब्त की गई। पूरा मामला घटना के सबूतों पर आधारित था, लेकिन जल्दबाजी में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

ऊपर लिखी सभी बातें कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल के नादिया रेप और हत्या मामले में पुलिस की जांच में हुई कमियों पर सवाल उठाते हुए कहीं। इतना ही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपी सत्ता पक्ष के नेता का बेटा है, इसलिए मौजूदा परिस्थितियों को देखकर यही लगता है कि पीड़ित परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे सीबीआई जांच के लिए आगे बढ़ा दिया।

हालांकि सूबे की मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी इस मामले में बिल्कुल भी गंभीर नज़र नहीं आ रहीं। उन्होंने एक विवादित बयान देकर पूरे मामले को ही एक अलग दिशा गैंगरेप बनाम प्रेम संबंध की ओर घुमा दिया है। अपने बयान में सीएम ममता ने पीड़िता के परिवार पर ही सवाल उठाते हुए कहा था कि कहीं पीड़िता रेप से पहले ही प्रेग्नेंट तो नहीं थी। घटना की कथित गैंगरेप की ख़बर देने के लिए मीडिया की आलोचना करते हुए बनर्जी ने कहा कि पुलिस अभी भी निश्चित नहीं है कि असल में क्या हुआ लेकिन मीडिया लगातार प्रसारित कर रहा है कि नाबालिग़ की मौत रेप के बाद हुई है।

निराश करने वाला है सीएम ममता का बयान

बता दें कि इस मामले में मृत पीड़िता के परिवार ने तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता समर गोआला के बेटे ब्रजगोपाल गोआला पर उनकी बेटी का रेप कर हत्या करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पुलिस ने ब्रजगोपाल को गिरफ्तार कर लिया है। अदालत में पेशी के बाद 22 वर्षीय ब्रजगोपाल गोआला को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। एक दूसरी गिरफ्तारी मंगलवार, 12 अप्रैल को उसके एक दोस्त प्रभाकर पोद्दार की हुई जिसे मुख्य अभियुक्त के बयान के आधार पर पकड़ा गया। जाहिर है इस मामले में सीएम ममता के बयान ने एक बार फिर पीड़िता को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। वो राज्य की मुख्यमंत्री हैं, गृहमंत्री भी हैं और सबसे पहले एक महिला हैं, बावजूद इसके उनके इस तरह का बयान बेहद निराशाजनक है।

वैसे सीएम ममता अकेली ऐसी राजनेता या सत्ताधारी नेता नहीं हैं, जिन्होंने बलात्कार को लेकर ऐसा विवादित बयान दिया हो। हाल ही में बीजेपी के विधायक टी राजा सिंह भी अपने विवादित बोल को लेकर सुर्खियों में छाए रहे। हैदराबाद में रामनवमी के जुलूस के दौरान उन्होंने एक समुदाय विशेष के लोगों को जमकर गालियां दी। टी राजा सिंह के बोल इतने गंदे थे कि उनका जिक्र भी यहां नहीं किया जा सकता। इनमें उन्होंने समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा करने तक की बात कही और उनके समर्थक हो-हल्ला मचाते हुए उनका समर्थन कर रहे थे।

अल्पसंख्यक महिलाओं को बार-बार बलात्कार की धमकी

सोशल मीडिया पर वायरल वायरल वीडियो में वो एक गाना भी गा रहे हैं, जिसके बोल कुछ इस तरह से हैं...'काशी-मथुरा में झंडा अब लहराना है, हिंदू विरोधियों को अब खून के आंसू रुलाना है। जो राम का नाम ना ले, उसको भारत से भगाना है, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है।' इसी जुलूस के अन्य वीडियो में राजा सिंह ने देश के अल्पसंख्यकों को धमकियां दीं हैं। बीजेपी विधायक इतने आतुर थे कि अल्पसंख्यक महिलाओं से यौन हिंसा करने तक की धमकी देने लगे।

टी राजा सिंह इससे पहले भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी बयानबाज़ी को लेकर खबरों में छाए हुए थे। उन्होंने कहा था कि योगी आदित्यनाथ को वोट नहीं देने वालों को चुनाव के बाद नतीजे भुगतने होंगे। टी राजा सिंह ने धमकी दी थी कि योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर तैयार कर लिए हैं। उनके इस बयान के बाद चुनाव आयोग ने उनके चुनाव प्रचार करने पर 72 घंटे का बैन लगा दिया था।

खैर, राजनीति से ये सिर्फ दो मामले नहीं बल्कि ताज़ा उदाहरण हैं। बलात्कार को लेकर ओछी बात हो या महिला विरोधी बयान, महिलाओं पर अभद्र टिप्णियां करने वाले नेताओं में हर पार्टी के लोग शामिल हैं और महिलाओं पर विवादित बयानों की ये फ़ेहरिस्त लंबी है.. मसलन मुलायम सिंह का बलात्कार पर बयान कि 'लड़कों से ग़लती हो जाती है और इसके लिए उन्हें मौत की सज़ा नहीं देना चाहिए कभी-कभी फंसाने के लिए भी लड़कों पर ऐसे आरोप लगा दिए जाते हैं।' या सांसद साक्षी महाराज की टिप्पणी कि हिंदू महिलाओं को अपने धर्म की रक्षा करने के लिए 'कम से कम चार बच्चे पैदा करने चाहिए।'

राजनेताओं के महिला विरोधी बयान और राजनीति का गिरता स्तर

इससे पहले मुलायम की तरह बिहार की राजनीति का बड़ा चेहरा और वर्तमान में एलजेडी नेता शरद यादव भी अपने बयानों से चर्चा में रह चुके हैं। उन्होंने एक बार कहा था, 'वोट की इज्जत आपकी बेटी की इज्जत से ज्यादा बड़ी होती है। अगर बेटी की इज्जत गई तो सिर्फ गांव और मोहल्ले की इज्जत जाएगी लेकिन अगर वोट एक बार बिक गया तो देश और सूबे की इज्जत चली जाएगी।' वहीं टीएमसी नेता चिरंजीत चक्रवर्ती भी रेप को लेकर आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं। उन्होंने एक बार कहा था, 'रेप के लिए कुछ हद तक लड़कियां भी जिम्मेदार हैं। उनकी स्कर्ट दिन पर दिन छोटी होती जा रही है।'

बीते साल कर्नाटक विधानसभा के पूर्व स्पीकर और कांग्रेस विधायक रमेश कुमार का महिलाओं पर दिया शर्मनाक बयान शायद ही कोई भूला हो। रमेश कुमार ने सदन में चर्चा के दौरान स्पीकर से कहा था कि जब बलात्कार होना ही है, तो लेटो और मजे करो। इससे भी ज्यादा शर्म की बात यह थी कि जब रमेश कुमार यह बोल रहे थे तब स्पीकर भी कार्रवाई के बजाय हंसते नजर आए थे।

ऐसे बयानों के बावजूद अक्सर ये राजनेता हल्की फुल्की फ़टकार के बाद बच निकलते हैं। ये बयान कभी महिलाओं की बॉडी शेमिंग करते नज़र आते हैं तो कभी बलात्कार जैसे गंभीर अपराध को मामूली बताने की कोशिश और साथ ही ये संदेश भी जाता है कि महिलाओं के बारे में हल्के और आपत्तिजनक बयान देना सामान्य बात है। हालांकि ये बात आम और खास से कहीं ऊपर एक महिला के अस्तित्व से जुड़ी हुई है। जेंडर को लेकर राजनीति से इस तरह की असंवेदनशीलता रहेगी, देश में कुछ भी बदलने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

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