बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
बिहार के चिकित्सा व्यवस्था की आए दिन पोल खुलती रहती है। नीतीश सरकार के विकास के बड़े दावों के बावजूद बहुत कुछ अब तक नहीं बदला है। अस्पताल की इमारतें जरूर बन गए हैं और इन अस्पतालों में इलाज के लिए मशीनें भी आ गई हैं लेकिन आज भी इलाज के अभाव में लोगों के मरने और इलाज के लिए लोगों की भटकने की खबरें राज्य में आम बात है। इतना ही नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रुरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स 2020-21 के मुताबिक बिहार में जिला और अनुमंडल स्तर के अस्पतालों में डॉक्टरों के बड़ी संख्या में पद खाली हैं। सबसे ज्यादा पद अनुमंडलीय अस्पतालों में खाली हैं। ये आंकड़े 31 मार्च 2021 तक के हैं।
इन आंकड़ों के अनुसार राज्य में जिला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं जबकि 668 पद खाली हैं। वहीं राज्य के अनुमंडल अस्पतालों की बात की जाए तो उनमें डॉक्टरों के 1595 पद स्वीकृत हैं जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं जबकि 1048 पद खाली हैं।
इन अस्पतालों में पैरा मेडिकल स्टाफ की बात करें तो जारी आंकड़ों के मुताबिक इनके आधे से अधिक पद खाली हैं। राज्य के जिला अस्पतालों में पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए 8208 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 3020 स्टाफ ही पदस्थापित हैं इस तरह राज्य भर के जिलों में 5188 पद खाली हैं। वहीं अनुमंडल अस्पतालों में 4400 स्वीकृत पदों में केवल 1056 पैरा मेडिकल स्टाफ पदस्थापित हैं।इस तरह इस स्तर पर 3344 पद खाली हैं।
बिहार के ग्रामीण इलाकों में हेल्थ वर्कर (महिला)/एएनएम के आधे से अधिक पद खाली हैं। आंकड़ों के मुताबिक एएनएम के 45109 पद स्वीकृत हैं जिनमें 20403 ही पदस्थापित हैं। इस तरह 24706 पद खाली हैं। इन इलाकों के सीएचसी में स्पेशलिस्ट के 836 स्वीकृत पद हैं जिनमें केवल 106 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं जबकि 730 पद खाली हैं। वहीं इस क्षेत्र के पीएचसी और सीएचसी में फार्मासिस्ट के 4126 स्वीकृत पदों में केवल 1077 पद ही भरे हैं जबकि 3049 पद खाली हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों में पीएचसी और सीएचसी में भारी संख्या में लैब टेक्निशियन के पद खाली हैं। 4331 स्वीकृत पदों में 979 पदों पर ही टेक्निशियन पदस्थापित हैं जबकि 3352 पद खाली पड़े हैं।
हालांकि बिहार में ग्रामीण क्षेत्र के सब सेंटर तथा पीएचसी में एएनएम की संख्या में वर्ष 2020 की तुलना में 2021 वृद्धि हुई है। वहीं पीएचसी में भी डॉक्टरों की संख्या में वर्ष 2021 में वृद्धि हुई है। वहीं सीएचसी में स्पेशलिस्ट की संख्या में गिरावट देखी गई है।
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