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राहुल से लगातार पांचवें दिन ईडी की पूछताछ, यशवंत सिन्हा ने तृणमूल छोड़ी और अन्य खबरें

तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा ने मंगलवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि अब वह वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए काम करेंगे।

 

 

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राहुल पांचवें दिन ईडी कार्यालय पहुंचे, पूछताछ जारी

नयी दिल्ली/भाषा: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ‘नेशनल हेराल्ड’ समाचार पत्र से जुड़े कथित धनशोधन के एक मामले में चार दिनों की पूछताछ के बाद मंगलवार को फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय में पेश हुए और जांच एजेंसी उनसे पूछताछ कर रही है।

राहुल गांधी सीआरपीएफ जवानों की ‘‘जेड प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा के साथ सुबह 11 बजकर करीब 15 मिनट पर मध्य दिल्ली में एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर स्थित ईडी मुख्यालय पहुंचे।

केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय के आसपास पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भारी संख्या में तैनात किया गया है तथा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है।

राहुल से सोमवार को करीब 12 घंटे तक पूछताछ की गई थी। पिछले सप्ताह सोमवार, मंगलवार और बुधवार को लगातार तीन दिन ईडी के अधिकारियों ने 52 वर्षीय राहुल गांधी से 30 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी, जिस दौरान धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके बयान दर्ज किये गए थे।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी ईडी ने इसी मामले में 23 जून को तलब किया है। कोविड-19 से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते सोनिया को हाल ही में दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां से उन्हें सोमवार की शाम छुट्टी मिली। कांग्रेस का कहना है कि चिकित्सकों ने उन्हें घर पर आराम करने की सलाह दी है। 

समझा जाता है कि अब तक की पूछताछ में राहुल गांधी से ‘यंग इंडियन’ की स्थापना, ‘नेशनल हेराल्ड’ के संचालन और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को कांग्रेस द्वारा दिए गए कर्ज तथा मीडिया संस्थान के भीतर धन के हस्तांतरण से जुड़े सवाल पूछे गए गए हैं।

‘यंग इंडियन’ के प्रवर्तकों और शेयरधारकों में सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कुछ अन्य नेता शामिल हैं।

कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई को भाजपा नीत केंद्र सरकार की विपक्षी नेताओं के खिलाफ बदले की राजनीति करार दिया है।

यशवंत सिन्हा ने तृणमूल छोड़ी, कहा कि यह वृहद विपक्षी एकता के लिए काम करने का समय है

नयी दिल्ली/भाषा: तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा ने मंगलवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि अब वह वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए काम करेंगे।

कई दिनों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा का नाम आगामी राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में पेश करेंगी।

सिन्हा ने ट्वीट किया, ‘‘ ममता जी ने जो सम्मान मुझे तृणमूल कांग्रेस में दिया, मैं उसके लिए उनका आभारी हूं। अब समय आ गया है जब वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से अलग होना होगा। मुझे यकीन है कि वह (ममता) इसकी अनुमति देंगी।’’

देश में 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के वास्ते अपने संयुक्त उम्मीदवार पर फैसला करने के लिए विपक्षी दलों की मंगलवार को दिल्ली में बैठक होने वाली है।

सड़कें बंद होने के कारण मध्य दिल्ली में यातायात होगा प्रभावित

नयी दिल्ली/भाषा: ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष मंगलवार को पांचवीं बार पेश होने के मद्देनजर मध्य दिल्ली के कुछ हिस्सों में यातायात प्रभावित होगा।

दिल्ली यातायात पुलिस ने कहा कि लोगों को असुविधा नहीं हो, इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। उसने यात्रियों को कुछ विशेष मार्गों पर जाने से बचने की सलाह दी।

उसने ट्वीट किया कि सुबह आठ बजे से 12 बजे तक मोतीलाल नेहरू मार्ग, अकबर रोड, जनपथ और मान सिंह रोड पर यातायात का आवागमन संभव नहीं होगा।

पुलिस ने ट्वीट किया, ‘‘कृपया सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे के बीच गोल मेथी जंक्शन, तुगलक रोड जंक्शन, क्लेरिजेस जंक्शन, क्यू-प्वाइंट जंक्शन, सुनहरी मस्जिद जंक्शन, मौलाना आज़ाद रोड जंक्शन और मान सिंह रोड जंक्शन की ओर से जाने से बचें। विशेष प्रबंधों के कारण इन सड़कों पर यातायात की भारी आवाजाही होगी।’’

यातायात पुलिस ने एक अन्य ट्वीट में बताया कि गोल डाक खाना जंक्शन, पटेल चौक, विंडसर प्लेस, तीन मूर्ति चौक और पृथ्वीराज रोड से आगे बसों का जाना प्रतिबंधित होगा।

उसने कहा, ‘‘विशेष यातायात व्यवस्था के कारण कृपया सुबह छह से नौ बजे तक नेताजी सुभाष मार्ग और निषादराज मार्ग पर जाने से बचें।’’

यातायात पुलिस ने कहा, ‘‘विशेष यातायात व्यवस्था के कारण कृपया अपराह्न बारह बज कर 45 मिनट से एक बज कर पंद्रह मिनट तक एस पी मार्ग, धौला कुआं फ्लाईओवर और गुड़गांव रोड पर जाने से बचें।’’

शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे से संपर्क नहीं हो पा रहा, गुजरात में होने की संभावना: पार्टी नेता

मुंबई/भाषा: महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) को राज्य विधान परिषद चुनावों में हार से झटका मिलने के एक दिन बाद पार्टी के एक नेता ने मंगलवार को कहा कि राज्य के मंत्री और शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पार्टी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था।

यह घटनाक्रम शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के गठबंधन एमवीए को खटक सकता है, क्योंकि माना जाता है कि शिवसेना के कुछ विधायक शिंदे के संपर्क में हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि शिंदे कुछ विधायकों के साथ गुजरात में हो सकते हैं।

नेता ने उन विधायकों की संख्या और उनके विवरण का खुलासा नहीं किया जो शिंदे के साथ हो सकते हैं। शिंदे का मुंबई के कुछ उपनगरों में प्रभाव है।

नेता ने कहा, ‘‘वह (शिंदे) सोमवार को विधानसभा परिसर में शिवसेना कार्यालय में थे, जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे वहां मौजूद थे। लेकिन उसके बाद उनके बारे में किसी को पता नहीं है। वह मतगणना (विधान परिषद चुनावों के लिए) के दौरान मौजूद नहीं थे।’’

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को राज्य विधान परिषद में 10 सीटों के चुनाव में पांच उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार एवं दलित नेता चंद्रकांत हांडोर हार गए। इस महीने की शुरुआत में हुए राज्यसभा चुनावों के बाद एमवीए के लिए यह एक और झटका था।

शिवसेना और राकांपा के दो-दो उम्मीदवार जीते, जबकि कांग्रेस सिर्फ एक सीट हासिल करने में सफल रही। विधान परिषद की 10 सीटों पर चुनाव होना था और 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। विधान परिषद का चुनाव राज्यसभा चुनाव के कुछ दिन बाद हुआ है, जिसमें भाजपा से शिवसेना के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।

अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिकाएं : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में कैविएट दायर की

नयी दिल्ली/भाषा: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में एक कैविएट दायर की है और ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अदालत द्वारा कोई भी आदेश पारित किए जाने से पहले इस पर सुनवाई करने का आग्रह किया है।

अग्निपथ योजना 14 जून को घोषित की गई थी, जिसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवाओं को संविदा के आधार पर चार वर्ष के लिए सशस्त्र बलों में भर्ती करने का प्रावधान है। चार साल बाद इनमें से 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित की जाएगी। इस योजना के खिलाफ देश के कई राज्यों में हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया।

इस बीच, उच्चतम न्यायालय में सोमवार को दायर एक याचिका में ‘अग्निपथ’ योजना पर पुनर्विचार करने के संबंध में केंद्र को निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

अधिवक्ता हर्ष अजय सिंह द्वारा दायर याचिका में सैन्य मामलों के विभाग, रक्षा मंत्रालय को जानकारी मुहैया कराने के लिए एक समिति के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में सेवानिवृत्ति के बाद 75 प्रतिशत अग्निवीरों को नौकरी के अवसर प्रदान करने के मकसद से योजना में संशोधन के लिए सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों से सुझाव लेने का भी आग्रह किया गया है।

वकील कुमुद लता दास के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि यह योजना 24 जून से लागू की जानी है और चार साल की लघु अवधि के लिए नौकरी के प्रावधान एवं ‘‘प्रशिक्षित अग्निवीरों के भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं’’ के कारण अग्निपथ योजना के खिलाफ बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना व पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में प्रदर्शन हुए हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह एक ‘‘अधूरा सुधार’’ है, जिसके कई प्रभाव पड़ेंगे। इसमें कहा गया है, ‘‘इस सुधार में कई कमियां हैं और चर्चा करके इसे बेहतर सुधार के रूप में क्रियान्वित किया जाना चाहिए था।’’

याचिका में दावा किया गया है कि इस योजना के तहत प्रशिक्षित अग्निवीरों के भटक जाने की बहुत संभावना है और भारतीय सशस्त्र बलों की युवा ब्रिगेड में मूल्यों व लोकाचार को विकसित करने के लिए चार साल की अवधि अपर्याप्त है।

याचिकाकर्ता ने योजना के क्रियान्वयन पर रोक लगाए जाने का अनुरोध किया है।

इस मामले में शीर्ष अदालत में पहले भी दो याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।

न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका में केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों और इस दौरान रेलवे समेत विभिन्न सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में केंद्र और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा एवं राजस्थान सरकारों को हिंसक विरोध-प्रदर्शनों पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है।

याचिका में अग्निपथ योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सेना पर इसके प्रभाव की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

इसके अलावा, केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक और याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए वर्षों पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और इसके लिए संसद की मंजूरी भी नहीं ली गई है।

याचिका में 14 जून की अधिसूचना या प्रेस नोट को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए उन्हें रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के समूह नेता के पद से एकनाथ शिंदे को हटाया गया : संजय राउत

मुंबई/भाषा: शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी के समूह नेता पद से एकनाथ शिंदे को हटा दिया गया है।

राउत ने संवाददाताओं से कहा कि शिंदे की जगह अजय चौधरी को विधानसभा में शिवसेना का समूह नेता बनाया गया है।

राउत ने कहा, ‘‘शिंदे को महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के समूह नेता पद से हटा दिया गया है।’’

सोमवार को महाराष्ट्र विधान परिषद चुनावों में शिवसेना के नेतृत्व वाले महा विकास आघाडी को झटका लगने के बाद शिंदे से संपर्क नहीं हो पा रहा है। वह पार्टी के कुछ विधायकों के साथ गुजरात के सूरत शहर स्थित एक होटल में डेरा डाले हुए हैं।

राहुल से पूछताछ और ‘अग्निपथ’ के विरोध में कांग्रेस ने ‘सत्याग्रह मार्च’ निकाला

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़े कथित धन शोधन मामले में अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ और सेना में भर्ती की नयी ‘अग्निपथ’ योजना के विरोध में मंगलवार को यहां ‘सत्याग्रह मार्च’ निकाला, जिसके बाद पार्टी के कई नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
 
मुख्य विपक्षी दल ने राहुल से ईडी की पूछताछ को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पूछताछ सिर्फ उसके पूर्व अध्यक्ष को नीचा दिखाने के लिए की जा रही है, क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में कुछ भी संवैधानिक और कानूनी नहीं है।

‘सत्याग्रह मार्च’ से पहले कांग्रेस ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने उसके मुख्यालय के सामने रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) तैनात की है।

मार्च से पहले कांग्रेस मुख्यालय के परिसर में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेता, सांसद एवं कार्यकर्ता एकत्रित हुए। उन्होंने ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा और राहुल से पूछताछ के मुद्दे को लेकर भी अपना विरोध जताया।
 
गहलोत ने कहा, ‘‘कांग्रेस नेतृत्व के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है, वो निंदनीय है। पूरा देश देख रहा है। यही इंदिरा गांधी जी के समय में हुआ था। पूरे देश को मालूम है कि राहुल गांधी जी एकमात्र नेता हैं, जो मोदी जी का मुकाबला करते हैं।’’

उन्होंने महाराष्ट्र के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि पहले राजस्थान और विपक्ष शासित कुछ अन्य राज्यों में सरकार गिराने की कोशिश हुई और अब महाराष्ट्र में भी यही प्रयास किया जा रहा है।
 
कांग्रेस के कई नेताओं, सांसदों और कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय से ‘सत्याग्रह मार्च’ निकाला। हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोक दिया। कांग्रेस का कहना है कि उसके कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

इससे पहले, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राहुल गांधी के नेतृत्व से भाजपा की हालत हो गई है पतली, इसीलिए भाजपा ने बनाया है ईडी को अपनी कठपुतली...। पांच दिनों की पूछताछ संवैधानिक और कानूनी नहीं है, बल्कि निजी भय है। राहुल गांधी इस सरकार को वर्षों से आईना दिखा रहे हैं, इसलिए यह सब हो रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह मामला धन शोधन का है तो धन का हस्तांतरण कहां हुआ? स्पष्ट है कि यह द्वेष की भावना से बनाया गया मनगढ़ंत मामला है।’’

सिंघवी ने दावा किया, ‘‘बार-बार पूछताछ के लिए बुलाने का मकसद सिर्फ राहुल गांधी को नीचा दिखाना है। इससे भाजपा के समर्थक भी शर्मिंदा हैं। अगर आप सोचते हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस इससे दब जाएंगे तो आप मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं।’’

गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय आज राहुल गांधी से फिर पूछताछ करेगा। उसने सोमवार को करीब 12 घंटे तक उनसे पूछताछ की थी। पिछले सप्ताह सोमवार, मंगलवार और बुधवार को लगातार तीन दिन ईडी के अधिकारियों ने 52 वर्षीय राहुल गांधी से 30 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी, जिस दौरान धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके बयान दर्ज किए गए थे।

ईडी ने सोनिया गांधी को इसी मामले में 23 जून को तलब किया है।

कांग्रेस ‘अग्निपथ’ योजना का भी विरोध कर रही है। उसका कहना है कि यह देश और सेना के हितों के खिलाफ है।

यशवंत सिन्हा के नाम पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में सहमति

नयी दिल्ली: कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित 13 विपक्षी दलों ने मंगलवार को बैठक के बाद राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के नाम पर सहमति जतायी है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार पर फैसला करने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई बैठक के लिए संसद भवन में एकत्र हुए विपक्षी नेताओं ने सिन्हा के नाम पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस आशय की घोषणा जल्द ही किए जाने की संभावना है।

सिन्हा का नाम पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फारूक अब्दुल्ला के राष्ट्रपति पद के चुनाव की दौड़ से बाहर होने के बाद सामने आया।  
बैठक में कांग्रेस, राकांपा, तृणमूल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रतिनिधि शामिल हुए।      

बैठक में शामिल होने वालों में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, द्रमुक के तिरुचि शिवा, माकपा के सीताराम येचुरी और भाकपा के डी राजा शामिल थे।      

पांच क्षेत्रीय दल - तेलगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बीजु जनता दल (बीजेडी), आम आदमी पार्टी (आप), शिरोमण अकाली दल (शिअद) और युवाजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) इस बैठक से दूर रहे। इन पार्टियों को किसी भी धड़े में नहीं माना जाता। ये पार्टियां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई 15 जून की बैठक से भी दूर रही थीं।

विपक्ष के बयान में कहा गया है कि हम भाजपा और उसके सहयोगियों से राष्ट्रपति के रूप में यशवंत सिन्हा का समर्थन करने की अपील करते हैं ताकि हम एक योग्य ‘राष्ट्रपति’ को निर्विरोध निर्वाचित कर सकें।

संयुक्त बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए कायम हुई विपक्षी दलों की एकता आने वाले महीनों में और मजबूत होगी 

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार चुने गए, वह भारत के धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य हैं। 

आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा ने मंगलवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा था कि अब वह वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए काम करेंगे।

कई दिनों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा का नाम आगामी राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में पेश करेंगी।

सिन्हा ने पार्टी की सदस्यता छोड़ने के बाद ट्वीट किया था कि, ‘‘ ममता जी ने जो सम्मान मुझे तृणमूल कांग्रेस में दिया, मैं उसके लिए उनका आभारी हूं। अब समय आ गया है जब वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से अलग होना होगा। मुझे यकीन है कि वह (ममता) इसकी अनुमति देंगी।’’

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