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जेएनयू : सोशल मीडिया के जरिये झूठ का माहौल, क्या लिंचिंग की है तैयारी?

छात्रों का कहना है कि एबीवीपी द्वारा वाम समर्थक कार्यकर्ताओं के बारे में पूरे संगठित तरीके से अफवाह फैलाई जा रही हैं जिसमें उन्हें नक्सली और आउट साइडर के रूप में पेश किया जा रहा है।
 लिंचिंग की है तैयारी

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हिंसा के बाद छात्र संगठनों की सोशल मीडिया पर भी मुहिम जारी है। वाम समर्थक छात्रों का कहना है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की ओर से उनके बारे में फेसबुक समेत अन्य सोशल प्लेटफार्म पर दुष्प्रचार किया जा रहा है। ये झूठा प्रचार इस कदर है और उनके खिलाफ इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि कोई भी दक्षिणपंथी कार्यकर्ता उनके ऊपर हमला कर सकता है।

छात्रों का कहना है कि एबीवीपी द्वारा वाम समर्थक कार्यकर्ताओं के बारे में पूरे संगठित तरीके से अफवाह फैलाई जा रही हैं जिसमें उन्हें नक्सली और आउट साइडर के रूप में पेश किया जा रहा है। इसके साथ ही कई अन्य लोगों को सोशल मीडिया पर धमकी दी जा रही है। मीडिया के लोगों को जो उनसे सवाल पूछ रहे हैं उन्हें भी अफजल समर्थक कहकर डराने की कोशिश की जा रही है।

एबीवीपी से 2017 में संस्कृत स्कूल और इंडिक स्टडीज से जेएनयूएसयू काउंसलर योगेंद्र भारद्वाज की भी सोमवार को लिखी गई फेसबुक पोस्ट यही बताती है कि विरोधी छात्रों के विरुद्ध किस तरह का प्रचार किया जा रहा है।

योगेंद्र भारद्वाज अपनी पोस्ट में लिखते हैं कि इस आदमी... ने पांच एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला किया और उन्हें जख्मी किया था। काउंटिंग के दौरान भी और कल  रात (रविवार) भी। ये जेएनयू का छात्र नहीं है, बल्कि HCU से आया हुआ  नक्सली है और शायद इसका नाम ... है, पहले जब जेएनयू में था तो अफजल की बरसी मनाई  थी। आज छात्रों को लहूलुहान करने में शमिल है। मेरा प्रशासन से अनुरोध है इस नम्बर की बाइक की जाँच करे और इस आदमी को जेएनयू से OUT of BOUNDERY करे... ।

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योगेंद्र जब ये सब लिख रहे तब वो कुछ बुनियादी जानकारी जुटाना भूल गए या फिर जानबूझकर भूलने की कोशिश की, क्योंकि वे कोई नए आम छात्र नहीं बल्कि एबीवीपी के नेता रहे हैं। जिस छात्र नेता सुरेश के बारे में वो लिख रहे हैं वो 2015 से जेएनयू के छात्र हैं और तभी से विश्वविद्यालय की राजनीति में सक्रिय हैं और एसएफआई राज्य कमेटी के सयुंक्त सचिव भी हैं। अभी वो जेएनयू के स्कूल ऑफ़ सोशल साइंस से पीएचडी कर रहे हैं

और छात्रावास के निवासी हैं।

सुरेश ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि वो कोई बाहरी छात्र नहीं हैं ये योगेंद्र भारद्वाज भी जानता है। मैंने इस वर्ष भी हर वर्ष की तरह जेएनयू में अपना पुन: नामांकन कराया है। वो कहते हैं की ये सब एक सोची समझी रणनीति के तहत हम लोगों को डराने के लिए किया जा रहा है, पर वो नहीं जानते कि हम उनकी इन धमकी से डरने वाले नहीं हैं।

सुरेश ने कहा ये जो फोटो फेसबुक पर चलाई जा रही है, वो सोमवार को तकरीबन 2 बजे के आसपास ली गई है जब वो अपनी एक महिला साथी के साथ थे। ये फोटो कहीं से छिप कर ली गई है। ये सब काउंटिंग वाले दिन से ही चल रहा है। एबीवीपी ने अपनी हार को देखते हुए मतगणना को भी रोकने की कोशिश की थी और जिस कारण मतगणना करीब 15 घंटे की देरी से हुई है। वे सिर्फ आम कार्यकर्ताओं को नहीं धमका रहे हैं, बल्कि आम छात्रों को भी प्रताड़ित कर रहे हैं। खासतौर से उन छात्रों को जिन्हें वो अपना मतदाता समझते थे परन्तु उन्होंने उनके खिलाफ वोट दिया है।

क्या हमले या लिंचिंग की जमीन तैयार की जा रही है?

अगर हम इस पूरे घटनाक्रम को देखें तो ये दिख रहा है कि ये एक प्रकार से लोगों को भड़काने और उकसाने का प्रयास है, जब वो फेसबुक पर यह लिख रहे हैं कि इस व्यक्ति विशेष को पहचान लीजिए यह एक नक्सली और हत्यारा है इसे रोकने की जरूरत है। इसके साथ ही आप उनकी गाड़ी का नम्बर और उनकी फोटो को भी शेयर कर रहे हैं। यह सिर्फ फेसबुक तक सीमित होगा यह कहना मुश्किल है, हम जानते है भाजपा और आरएसएस के व्हाट्सएप के कितने ग्रुप्स हैं। उनके जरिए भी इसका झूठा प्रचार हुआ होगा। जिस तरह की ये पूरी पोस्ट थी उससे कोई भी दक्षिणपंथी कार्यकर्ता इस उकसावे में आकर मौका मिलते ही अन्य छात्रों पर हमला कर सकता है। इस पोस्ट पर इस तरह के कमेंट भी आ रहे थे।

इस पोस्ट को लेकर बहुत से छात्र-छात्राओं ने फेसबुक पर शिकायत की जिसके बाद फेसबुक ने योगेंद्र भारद्वाज की आईडी ब्लॉक कर दी।

 

महिला कार्यकर्ताओं को रेप की धमकी

छात्रा श्रेयसी बिसवास जो जेएनयू की पूर्व काउंसलर रही हैं उन्होंने कहा कि सोमवार सुबह 8.45 बजे जब मैं अपने छात्रावास में वापस जा रही थी, तब उन्हें  एबीवीपी कार्यकर्ताओं के एक समूह ने धमकी दी थी। उन्होंने कहा वो एसएल (स्कूल ऑफ लैंग्वेज) छात्र थे लेकिन वो उनके नाम नहीं जानती। वो बताती हैं कि उन्होंने मुझे गंदी गाली दी और कहा कि “हम आपको सिखाएंगे कि व्यवहार कैसे करें। परिसर के बाहर आओ और हम आपको दिखाएंगे। आप बहुत सक्रिय हैं और आपको एक कठोर सबक चाहिए।”

ये सब मुझे अप्रत्यक्ष रूप से बलात्कार की धमकी लगी। उस समय मैं बड़ी मुश्किल से मुख्य सड़क तक पहुंची।  शनिवार की रात भी उन्होंने सतलुज छात्रावास के बाहर मेरे साथ मारपीट की थी। मैं इन गुंडों की इस तरह की हिम्मत और धमकियों से अवाक हूं, और मैंने इस बारे में एक आधिकारिक शिकायत दायर की है। मुझे वास्तव में उम्मीद है कि प्रशासन कम से कम कुछ जिम्मेदारी दिखाएगा।

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कृति रॉय जो इसबार सयुंक्त वाम की ओर काउंसलर का पद जीती हैं, उन्होंने कहा कि गीता कुमारी, रैना, बिहु चमड़िया, श्रेयसी  विश्वास, अदिति चटर्जी, सतरूपा चक्रवर्ती, क्रिटी रॉय और कई अन्य लोगों सहित कई महिलाएं कार्यकर्ताओं को कैंपस और सोशल मीडिया में एबीवीपी के गुंडों द्वारा टारगेट किया  जा रहा हैं। उन्हें पीटा जा रहा है,मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया गया है और धमकियां दी गई हैं। मैं खुद 15 सितंबर को उनमें से एक द्वारा प्रताड़ित की गई। वे प्रगतिशील दृढ़ महिलाओं को क्यों  सहन नहीं कर सकते हैं? हमारे साथ दुर्व्यवहार करके, हमें मारना और हमें धमकी देकर आप हमें पीछे नहीं लौटा सकते हैं। हम में से प्रत्येक का विरोध करना जारी रहेगा और आपकी प्रतिक्रियात्मक गंदी राजनीति के खिलाफ बात करना जारी रहेगी।

कृति ने अपने फेसबुक पर एक स्क्रीनशॉट शेयर किया है जिसमें लिखा है कि "अगर दम है तो चाय पे चर्चा जेएनयू से बहार आकर करो ... आकर देखो एक बार"

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इसपर उन्होंने कहा कि एबीवीपी वह कर रही है जो वे सबसे अच्छे तरह से कर सकती है, यानी लोगों को धमकी देना अगर कल किसी भी जेएनयू छात्र के साथ दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी होता है, तो एबीवीपी के लोग गी जिम्मेदार होंगे।

हद तो तब हो गई जब एबीवीपी के नेता सौरभ शर्मा ने एक पत्रकार के साथ भी दुर्व्यवहार किया। शर्मा को यह भी नहीं पता कि पत्रकार के साथ व्यवहार कैसे किया जाए। यह तब होता है जब आप कोई सवाल पूछते हैं। इब्रार जो टाइम्स ऑफ़ इण्डिया के पत्रकार हैं वो भी इसका शिकार हुए जब वे एबीवीपी से सवाल करते हैं तब उन्हें “अफजलगिरी”और “नक्सलगिरी” न करने की हिदायत दी जाती है।

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