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जूलियन असांज का न्यायिक अपहरण

हम में से कौन-कौन जूलियन असांज के साथ लम्बे समय तक चल रहे न्यायिक उपहास जैसे इस न्यायिक अपहरण के सिलसिले में महज़ तमाशाई बने रहने के बजाय उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं?
Julian Assange

"हमारे साथ जो कुछ हो रहा है, अगर हमारे भीतर यह सब देखने की कुव्वत है, तो आइये, हम ख़ुद को देखें।"- जीन-पॉल सार्त्र

जूलियन असांज को उस संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्यर्पित करने के ब्रिटेन के उच्च न्यायालय के अजीब-ओ-ग़रीब फ़ैसले के बाद सार्त्र के ये शब्द हम तमाम लोगों के दिल-ओ-दिमाग़ में गूंजने चाहिए, जहां उन्हें "जीवित मौत" का सामना करना पड़ेगा। उन्हें यह सज़ा प्रामाणिक, सटीक, साहसी, बेहद अहम पत्रकारिता के अपराध को लेकर दी जा रही है।

जनवरी में सबूतों के इन दरीचों को खोलने में एक ज़िला अदालत के न्यायाधीश की मंज़ूरी के ख़िलाफ़ एक अमेरिकी अपील को बरक़रार रखने के सिलसिले में पिछले शुक्रवार को ब्रिटेन के पारंपरिक व्यवस्था वाले सर पर रोयेंदार विग लगाये सभासदों को सिर्फ नौ मिनट का समय लगा। धरती पर पसरा यह नर्क अटलांटिक के पार असांज का इंतज़ार कर रहा था। यह एक ऐसा नर्क है, जिसमें ख़ास तौर पर इस बात की भविष्यवाणी की गयी थी कि वह ख़ुद की जान लेने का एक रास्ता तलाश लेंगे।

बहुत सारे ऐसे जानकार लोग, जिन्होंने जूलियन की जांच की और उनका अध्ययन किया था और उनके आत्मकेंद्रित और उनके एस्परगर सिंड्रोम को चिह्नित किया था और इस बात का ख़ुलासा किया था कि वह पहले से ही ब्रिटेन के ख़ुद के नर्क, यानी बेलमार्श जेल में ख़ुद की जाने लेने की स्थिति में आ गये थे, लेकिन, फिर भी उस बात को नज़रअंदाज कर दिया गया था।

एक अहम एफ़बीआई मुखबिर और अभियोजन पक्ष के एक धोखेबाज और लगातार झूठ बोल रहे शख़्स ने हाल में ही यह क़ुबूल किया था कि उसने जूलियन के ख़िलाफ़ अपने सबूतों को गढ़ा था, लेकिन इस तथ्य को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया था। उस रहस्योद्घाटन की भी अनदेखी कर दी गयी थी कि लंदन स्थित इक्वाडोर दूतावास में स्पेनिश-संचालित सुरक्षा फ़र्म, जहां जूलियन को राजनीतिक शरण दी गयी थी, दरअस्ल वह एक सीआईए मोर्चा था, और जो जूलियन के वकीलों और डॉक्टरों और विश्वासपात्रों (जिसमें मैं ख़ुद भी शामिल था) की जासूसी किया करता था।

अक्टूबर में उच्च न्यायालय के सामने बचाव पक्ष के वकील की ओर से हाल ही में किये गये उस पत्रकारीय ख़ुलासे को ग्राफ़िक्स रूप से दोहराया गया कि सीआईए ने किस तरह से लंदन में जूलियन की हत्या कराने की योजना बनायी थी, लेकिन अफ़सोस की बात है कि इस बात को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया था।

इन तमाम "मामलों" में से हर एक मामला मायने रखता था। जैसा कि वकील का कहना है कि किसी न्यायाधीश के लिए यह बात अपने आप में पर्याप्त थी कि वह एक भ्रष्ट अमेरिकी न्याय विभाग और ब्रिटेन में उनके किराये के हत्यारों की ओर से असांज के ख़िलाफ़ लगाये गये अपमानजनक मामले को खारिज कर दे। पिछले साल ओल्ड बेली में अमेरिका के नागरिक जेम्स लुईस, क्यूसी ने ज़ोर-शोर से इस बात को कहा था कि जूलियन की मानसिक स्थिति उस ‘मैलिंजरिंग’ यानी "रोग के बहाने" से ज़्यादा कुछ भी नहीं है। यह यह बात ग़ौरतलब है कि मैलिंजरिंग मानसिक बीमारी के अस्तित्व को नकारने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक पुरातन विक्टोरियन शब्द है।

तक़रीबन हर बचाव पक्ष के गवाह, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान की गहराई से इन बातों की व्याख्या की है, लुईस के लिए बर्बर अमेरिकी जेल प्रणाली को बाधित, दुरुपयोग, बदनाम किया जाना था। उसके पीछे बैठा नौजवान, छोटे बालों वाला, स्पष्ट रूप से एक आइवी लीग आदमी उसे नोट्स देते हुए उसका अमेरिकी संचालक था।

महज़ नौ मिनट में पत्रकार असांज के भाग्य को खारिज करने वालों में ब्रिटेन के दो सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे, जिनमें लॉर्ड चीफ़ जस्टिस, लॉर्ड बर्नेट (सर एलन डंकन के आजीवन दोस्त, बोरिस जॉनसन के पूर्व विदेश मंत्री (जिन्होंने इक्वाडोर के दूतावास से असांज के बेरहम पुलिस अपहरण की व्यवस्था की थी) शामिल थे। उन्होंने ज़िला न्यायालय में पिछली सुनवाई में रखी गयी सच्चाईयों में से एक सच्चाई का भी ज़िक़्र नहीं किया। ये ऐसी सच्चाईयां थी, जिन्हें एक अजीब शत्रुतापूर्ण न्यायाधीश, वैनेसा बाराइटर की अध्यक्षता वाली निचली अदालत में सुनवाई को लेकर संघर्ष करना पड़ा था। साफ़ तौर पर त्रस्त असांज के प्रति उनका व्यवहार अपमानजनक था। जेल में बंद दवा के कोहरे से अपने इलाज को लेकर ख़ुद के नाम को याद रखने का उनका वह संघर्ष अविस्मरणीय है।

सही मायने में पिछले शुक्रवार की जो चौंकाने वाली बात थी, वह यह थी कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश लॉर्ड बर्नेट और लॉर्ड जस्टिस टिमोथी होलीरोड ने अपने फ़ैसले को पढ़ते हुए जूलियन को उनके ज़िंदा रहते हुए या दूसरी किसी भी स्थिति में मौत के दरवाज़े के हवाले करने में कोई झिझक नहीं तक दिखायी। उन्होंने असांज की सज़ा को कम करने में भी कोई रुचि नहीं दिखायी, उन्होंने असांज की मानसिक दशा को देखते हुए किसी तरह की क़ानूनी या यहां तक कि बुनियादी नैतिकता का ख़्याल भी नहीं रखा।

पक्ष में उनका निर्णय, अगर संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से नहीं, तो पारदर्शी रूप से कपटपूर्ण उस "आश्वासन" पर आधारित ज़रूर था, जिसे बाइडेन प्रशासन की ओर से जनवरी में दिया गया था कि इंसाफ़ की जीत होगी।

ये "आश्वासन" कि एक बार अमेरिकी हिरासत में असांज आ जाते हैं, तो असांज ऑर्वेलियाई सैम्स, यानी विशेष प्रशासनिक उपाय, जो उन्हें एक ऐसा व्यक्ति बना देगा, जिसकी राजनीतिक दुराचार के ज़रिये अनदेखी कर दी जायेगी; उन्हें उस एडीएक्स फ़्लोरेंस में क़ैद नहीं किया जायेगा, जो कोलोराडो स्थित वह जेल है, जिसे लंबे समय से न्यायविदों और मानवाधिकार समूहों की ओर से अवैध घोषित किया गया है, इस जेल को "सज़ा का गड्ढा और गुम होने की घाटी कहा गया" है; यह भी कहा गया था कि उन्हें अपनी सज़ा पूरी करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है।

न्यायाधीशों ने जिन बातों को नहीं कहा, उनमें एक तरह का बेतुकापन निहित है और वह यह बात है कि अगर असांज कुछ ऐसा करते हैं, जो उसके जेलरों को नाराज़ करता है, तो अपने "आश्वासन" की इस पेशकश में अमेरिका कुछ भी गारंटी नहीं देने के अधिकार को सुरक्षित रखता है। दूसरे शब्दों में जैसा कि एमनेस्टी ने बताया है कि अमेरिका किसी भी वादे को तोड़ने के अधिकार को सुरक्षित रखता है।

अमेरिका के ऐसा करने की बहुत सारी मिसालें हैं। जैसा कि खोजी पत्रकार रिचर्ड मेडहर्स्ट ने पिछले महीने ख़ुलासा किया था कि डेविड मेंडोज़ा हेरार्ट को इसी तरह के "वादे" पर स्पेन से अमेरिका में प्रत्यर्पित किया गया था कि वह स्पेन में अपनी सज़ा काटेंगे। लेकिन, स्पेनिश अदालतों ने इसे एक बाध्यकारी शर्त माना।

"यह गोपनीय दस्तावेज़ मैड्रिड में अमेरिकी दूतावास की ओर से दिये गये राजनयिक आश्वासनों और अमेरिका ने प्रत्यर्पण की शर्तों का उल्लंघन कैसे किया" का ज़िक़्र करता है। मेडहर्स्ट ने लिखा है, " स्पेन लौटने की कोशिश में मेंडोज़ा ने अमेरिका में छह साल बिता दिये। अदालत के दस्तावेज़ दिखाते हैं कि अमेरिका ने कई बार उनके स्थानांतरण आवेदन को ख़ारिज कर दिया।"

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जो मेंडोज़ा मामले और वाशिंगटन के इस आदत को बार-बार दोहराये जाने के बारे में जानते थे, वह जूलियन असांज के सलिसले में इस "आश्वासन" का वर्णन "एक सरकार की ओर से दूसरी सरकार को दी गयी गंभीर प्रतिबद्धता" के रूप में करते हैं। इस लेख की फिर कोई सीमा नहीं होगी, अगर मैं उन वाक़यों को सूचीबद्ध करता चलूं, जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया की बाक़ी सरकारों के साथ की गयी इस "गंभीर प्रतिबद्धता" को तोड़ा है। उसकी यर करतूत ठीक उसी तरह की है, जिस तरह उसने संधियों को चिंदी-चीदी करता रहा है और गृह युद्धों को हवा देता रहा है। जैसा कि इतिहास हमें बताता है कि जिस तरह से पहले ब्रिटेन ने साम्राज्यवादी तरीक़े से दुनिया पर शासन किया था, वैसे ही इस समय वाशिंगटन कर रहा है।

यही वह संस्थागत झूठ और वह दोहरापन है, जिसे जूलियन असांज ने सरेआम कर दिया था और ऐसा करके उन्होंने इस दौर में शायद सबसे बड़ी सार्वजनिक सेवा की है, जो किसी भी पत्रकार के लिए एक आदर्श सेवा हो सकती है।

जूलियन ख़ुद एक दशक से ज़्यादा समय से झूठ बोलने वाली सरकारों के क़ैदी रहे हैं। इन लंबे सालों के दौरान मैं कई अदालतों में बैठता रहा हूं, और जैसा कि मैंने देखा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें और विकीलीक्स को चुप कराने के लिए क़ानून में हेरफेर करने की कोशिश की है।

यह मामला उस समय एक अजीब-ओ-ग़रीब स्थिति में पहुंच गया था, जब इक्वाडोर के छोटे से दूतावास में उन्हें और मुझे एक दीवार से अलग रहने के लिए मजबूर कर दिया गया था। हम दोनों एक नोटपैड के सहारे बातचीत करते थे, हम एक दूसरे को जो कुछ लिख रहे थे, उस पर नज़र रखने के लिए सर्वव्यापी जासूसी कैमरों से हमपर निगरानी रखी जा रही थी। जैसा कि अब हम जानते हैं कि वह कैमरा दुनिया के सबसे स्थायी आपराधिक संगठन, सीआईए के एक भाड़े के आदमी ने लगा रखा था।

यह स्थिति मुझे इस लेख की शुरुआत में उद्धृत सार्त्र के उसी उद्धरण की ओर खींच लाती है, जिसमें वह कहते हैं-"हमारे साथ जो कुछ हो रहा है, अगर हमारे भीतर यह सब देखने की कुव्वत है, तो आइये, हम ख़ुद को देखें।"

ज्यां-पॉल सार्त्र ने इसे फ़्रांज़ फ़ैनन की द रिच्ड ऑफ़ द अर्थ की प्रस्तावना में लिखा था, जो इस बात का क्लासिक अध्ययन है कि उपनिवेश बनाने वाले, बहकाने वाले और ज़बरदस्ती करने वाले और हां, पागल लोग किस तरह ताक़तवर की बोली लगाते हैं।

हम में से कौन जूलियन असांज के न्यायिक अपहरण जैसे लम्ब समय तक चलने वाले उपहास के सिलसिले में महज़ तमाशाई बने रहने के बजाय उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार है ? जो कुछ दांव पर है,वह दो चीज़ें हैं। एक तरफ़ एक साहसी व्यक्ति का जीवन दांव पर है,तो दूसरी तरफ़ अगर हम चुप रहें, तो हमारी बुद्धि की विजय और सही और ग़लत की भावना दांव पर है और सच कहा जाये,तो हमारी मानवता भी दांव पर लगी हुई है।

जॉन पिल्गर एक पुरस्कार विजेता पत्रकार, फ़िल्म निर्माता और लेखक हैं। यहां उनकी वेबसाइट पर उनकी पूरी जीवनी पढ़ें, और ट्विटर पर उन्हें फ़ॉलो करें। उनका ट्विटर अकाउंट है: @JohnPilger।

यह लेख ग्लोबट्रॉटर के साथ मिलकर तैयार किया गया है।

स्रोत: ग्लोबट्रॉटर

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

The Judicial Kidnapping of Julian Assange

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