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केंद्र सरकार पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को खत्म करने की फ़िराक में

यह फैसला ऐसे समय में किया जा रहा है जब देश पहले से ही बढ़ती बेरोज़गारी की चपेट में है I
बेरोज़गारी

सालाना 1 करोड़ नए रोज़गार पैदा करने के वायदे की सीढ़ियाँ चढ़ सत्ता तक पहुँचने वाली मोदी सरकार, अब पाँच से ज़्यादा सालों से खाली पड़े सरकारी पदों को ख़त्म करने की फिराक़ में है I सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों से इस विषय में उनकी विस्तृत रिपोर्ट माँगी हैI लेकिन अचम्भे की बात यह है कि ये पद विभिन्न सरकारों की वजह से खाली पड़ें हैं और उनकी गलतियों की वजह से अब नयी भर्तियों को तिलांजलि दी जा रही है I यह पद इसलिए खाली हैं क्योंकि सरकार ने नियुक्तियाँ नहीं कीं और अब सरकार ही इन खाली पदों को खत्म करने पर आमादा है!   

16 जनवरी 2018 को वित्त मंत्रालय ने एक नए ऑफिस मेमोरेंडम में कहा है कि कुछ मंत्रालयों और विभागों ने 12 अप्रैल 2017 को भेजे गये पुराने मेमोरेंडम का जवाब दिया है लेकिन ज़्यादातर ने विस्तृत रिपोर्ट की बजाये सिर्फ एक ब्यौरा भर दे दिया है I

12 अप्रैल 2017 को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यय विभाग ने सभी मंत्रालयों और विभागों से उनकी रिपोर्ट माँगी थी, जिसमें कि उन क़दमों का विस्तार से बयान माँगा गया जो उन्होंने पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को ख़त्म करने के लिए उठाये हैं I यह निर्देश सभी मंत्रालयों/विभागों, उनसे सम्बद्ध दफ़्तरों, अधीनस्त दफ़्तरों, संवैधानिक निकायों आदि पर लागू हैंI

मेमोरेंडम में कहा गया कि, “सभी मंत्रालय/विभाग इस विभाग को, तीन महीने के भीतर, अपनी-अपनी कार्यवाही रिपोर्ट भेजें जिनमें उन उपायों का ब्यौरा हो जो मंत्रालयों/विभागों ने अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को खत्म करने के लिए किये हैं I साथ ही, किसी भी तरह के नये पदों या पुराने ख़ारिज पदों को पुन: भरने के लिए यदि कोई भी नया प्रस्ताव दिया जाता है, तो इसके साथ एक सर्टिफिकेट भी दिया जाना चाहिए जिससे साबित हो कि पाँच साल से ज़्यादा से खाली पड़े पदों को, प्रस्ताव दाखिल करने की तारीख़ तक, ख़त्म कर दिया गया हैI”

नये मेमोरेंडम से वित्त मंत्रालय ने एक बार फिर पाँच साल से ज़्यादा से खाली पदों को खत्म करने की अपने पुराने निर्णय को पुन: लागू किया है I इस निर्णय को लागू करने के एक प्रयास के रूप में सभी मंत्रालयों/विभागों के वित्तीय सलाहकारों और सह-सचिवों को निर्देश दिया है कि वे इस तरह के सभी पदों की जल्द-से-जल्द पहचान करें और इन्हें ख़त्म करने के लिए रिपोर्ट भेजें I

इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपने सभी अतिरिक्त सचिवों, सह-सचिवों, पेरा-मिलट्री फोर्सेज़ के चीफ़ों और दूसरे सम्बद्ध संगठनों से विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है I यह जानकारी गृह मंत्रालय के एक अफ़सर ने दी है I

केंद्र सरकार के नागरिक कर्मचारियों की आय और भत्तों पर 2016-17 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 1 मार्च 2016 तक केंद्र सरकार के नियमित नागरिक कर्मचारियों की अधिकृत क्षमता 36.34 लाख थी जबकि असल में कुल 32.21 लाख पदों पर ही लोग काम कर रहे हैं I

इसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए, 20 दिसम्बर 2017 को केंद्रीय राज्य मंत्री (कार्मिक) जितेन्द्र सिंह ने संसद को सूचित किया कि विभिन्न मंत्रालय/विभाग मिलाकर 36,33,935 कर्मचारियों की अधिकृत क्षमता में से 4,12,752 पद खाली पड़े हैं I

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक, हर साल 1 करोड़ नये रोज़गार देने का वायदा करने वाले मोदी जी की सरकार ने पिछले साल अक्टूबर तक कुल 8,23,000 नए रोज़गार ही दिए, इनमें से भी ज़्यादातर नौकरियाँ असुरक्षित ही हैं I मोदी सरकार का नौकरियाँ खत्म करने का यह कदम ऐसे समय में आया है जबकि देश पहले से ही बेरोज़गारी के संकट से जूझ रहा है I  

इंडियन काउन्सिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकॉनोमिक रिलेशंस (ICRIER) की राधिका कपूर के एक हालिया अध्ययन, “Waiting for Jobs” ने इंगित किया है कि पिछले कुछ सालों से देश में नये रोज़गार बहुत सुस्त गति से उत्पन्न हुए हैं Iइस अध्ययन में कुछ आँकड़े दिए गये हैं जिनसे देश में बेरोज़गारी के गहराते संकट की हमारे सामने आती है I

पहला, लेबर ब्यूरो के सालाना हाउसहोल्ड एम्प्लॉयमेंट सर्वे से पता चलता है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के 48.04 करोड़ के कुल रोज़गार के मुक़ाबले वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल रोज़गार घटकर 46.76 करोड़ रह गया I इसी काल में, उत्पादन क्षेत्र (संगठित और असंगठित दोनों) में भी रोज़गार के अवसर 5.14 करोड़ से घटकर 4.81 करोड़ ही रह गये I  

अध्ययन में जो दूसरा विश्लेषण मिलता है वह है एनुअल सर्वेस ऑफ इंडस्ट्रीज (ASI) द्वारा उपलब्ध डेटा का, यह सर्वे संगठित उत्पादन क्षेत्र के उद्यमों में ही किया जाता है I हालांकि, यहाँ रोज़गार के अवसर साल 2013-14 में 1.29 करोड़ से बढ़कर साल 2014-15 में 1.32 करोड़ हो गये, लेकिन इनमें से 85.02% नौकरियाँ ठेके पर थीं I

इस अध्ययन ने हाल ही में शुरू हुए नेशनल करियर सर्विसेज (NCS) सहित विभिन्न प्रशासनिक डेटा को भी अपने विश्लेषण में शामिल किया I मार्च 2016 तक NCS पोर्टल में 3.62 करोड़ लोगों ने खुद को पंजीकृत किया और यह सभी नौकरी की तलाश में थे और अक्टूबर 2017 तक इनकी तादाद बढ़कर 3.92 करोड़ हो गयी I इतनी बड़ी संख्या के बरअक्स नौकरियाँ निकलीं सिर्फ 7.73 लाख I

इन आँकड़ों से साफ ज़ाहिर होता है की देश में बेरोज़गारी का संकट गहराता ही जा रहा है I ऐसी स्थिति में भी सरकार नौकरियाँ ख़त्म करने से बाज़ नहीं आ रही I

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