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केरल के साथ केंद्र का भेदभावः एसएसए फंड का आवंटन आधा किया?

"केंद्र के राजनीतिक बदले के शिकार हो रहे हैं केरल के बच्चेI"
केंद्र ने केरल का शिक्षा बजट कम किया

एक तरह जहाँ केरल में सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ने एक नया मोड़ लिया है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र ने राज्य के लिए समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) निधि के आवंटन में काफी कटौती कर दी है। इस साल अप्रैल में इंडिकेटिव बजट में आवंटित 413.43 करोड़ रुपए से कटौती कर 206 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

राज्य के वित्त मंत्री डॉ थॉमस आईज़ैक ने एक फेसबुक पोस्ट पर कहा कि "केरल में बच्चे केंद्र के राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हो रहे हैं।" उन्होंने आगे लिखा कि मोदी को बच्चों से भी राजनीतिक ख़तरा है और फंड आवंटन में कटौती कर दी है, वह आधुनिक कंस के रूप में काम करते हैं।

राज्यों के लिए बजट आवंटन राज्यों द्वारा केंद्र की वार्षिक योजनाओं और एमएचआरडी के साथ चर्चा के बाद होता है। राज्य ने 1941.10 रुपए की योजना बनाई है जिसमें मुफ्त पाठ्यपुस्तक, यूनिफॉर्म वितरण, लड़कियों के लिए मार्शल आर्ट प्रशिक्षण, छात्रों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण इत्यादि समेत 38 सेक्शन को शामिल करते हुए यह योजना बनाई है।

हालांकि केंद्र ने पिछले वर्ष आवंटित किए गए फंड 28,000 करोड़ रुपए की तुलना में बढ़ाकर 2018-19 वित्तीय वर्ष में 34,000 करोड़ रुपए आवंटित किया है, लेकिन केरल और कर्नाटक दोनों राज्यों में इंडिकेटिव बजट के दौरान आवंटन की तुलना में काफी कटौती की गई है। इंडिकेटिव बजट आवंटन के अनुसार केरल के 413.43 करोड़ रुपए दिया गया था और कर्नाटक 926.37 करोड़ रुपए दिए गए थे। हालांकि केरल को 206.06 करोड़ रुपए मिले अर्थात लगभग 50 प्रतिशत कटौती हुई, वहीं कर्नाटक को 577.84 करोड़ रुपए मिले जिसमें लगभग 38 प्रतिशत कटौती हुई।

इस साल 24 अप्रैल को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के एक पत्र में - राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किए गए फंड के ब्योरे को प्रस्तुत करते हुए - यह उल्लेख किया गया था कि योजना के कार्यान्वयन के मसौदा ढांचे का इस्तेमाल राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वार्षिक योजनाओं की तैयारी के लिए किया जा सकता है। हालांकि जब केंद्र ने धन आवंटित किया तो केरल को इंडिकेटिव बजट राशि का लगभग आधा हिस्सा मिला।

उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों और एआईएडीएमके शासित तमिलनाडु में धन आवंटन में इस तरह की कटौती है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के लिए क्रमशः 4,773.10 करोड़ रुपए, 2,717.18 करोड़ रुपए, 2,406.60 रुपए और 1,422 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं।

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पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर प्रत्येक राज्य के कुल व्यय का साठ प्रतिशत केंद्र द्वारा योगदान दिया जाना चाहिए और उधर पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केंद्र एसएसए योजना के लिए व्यय का 90 प्रतिशत खर्च करता है।

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एसएसए को 2018-19 के केंद्रीय बजट में प्री-नर्सरी से कक्षा 12 तक भेदभाव किए बिना स्कूल शिक्षा का समग्र रूप से व्यवहार करने का प्रस्ताव दिया गया है। ये कार्यक्रम जिसे स्कूल शिक्षा क्षेत्र के लिए प्री-स्कूल से 12 वीं कक्षा तक विस्तारित कार्यक्रम के लिए एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में लॉन्च किया गया था। इसलिए, स्कूली शिक्षा के समान अवसरों के संदर्भ में स्कूल प्रभावशीलता में सुधार के व्यापक लक्ष्य के साथ तैयार किया गया है और सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और टीचर एजुकेशन(टीई) की तीन योजनाओं को शामिल करता है।

फिर 27 जुलाई को जावड़ेकर ने राज्यसभा में एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में एसएसए को स्कूल शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना के रूप में इस्तेमाल किया और 2018-19 से प्रभावी एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में संबोधित किया। अब तक केंद्र ने 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि के लिए 75,000 करोड़ रुपए के आवंटन को मंज़ूरी दे दी है जो मौजूदा आवंटन में 20 फीसदी की वृद्धि है।

जैसा कि मंत्री ने संसद को बताया कि इस कार्यक्रम की विशेषताओं में "पुस्तकालयों की क्षमता बढ़ाने के लिए वार्षिक अनुदान 5,000 रूपए से बढ़ाकर 20,00 रूपए करना, स्कूलों के लिए समग्र अनुदान में 14,500-50,000 रूपए से 25,000-1 लाख तक समग्र मंज़ूरी देना और स्कूलों मे नामांकन के आधार पर आवंटन, और खेल की सामग्रियों के लिए वार्षिक अनुदान प्राथमिक स्कूलों के लिए 5000 रुपये, अपर प्रइमरी स्कूलों के लिए 10,000 रुपए और माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए 25,000, और विशेष क्षमता वाले बच्चों के लिए आवंटन (सीडब्ल्यूएसएन) 3,000 रूपए से बढ़ाकर 3,500 रूपए प्रति बच्चा प्रति वर्ष जिसमें कक्षा 1 से XII तक सीडब्ल्यूएसएन लड़कियों के लिए प्रति माह 200 रुपए उपलब्ध कराया जाएगा। इससे पहले सीडब्ल्यूएसएन लड़कियों के लिए यह केवल कक्षा IX से XII के लिए था।"

यूनिफॉर्म के लिए फंड आवंटन प्रति बच्चा प्रति वर्ष 400 रूपए से 600 रूपए बढ़ा, पाठ्यपुस्तकों के लिए आवंटन प्रति बच्चा प्रति वर्ष 150/250 से 250/400 बढ़ाया गया, मौजूदा स्कूलों का उन्नयन, कक्षा 6-8 से कक्षा 6-12 तक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) का उन्नयन, सेवा-में और सेवा-पूर्व शिक्षक प्रशिक्षण के लिए नोडल संस्थान के रूप में शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार के लिए एससीईआरटी के साथ एससीईआरटी और डीईईटी जैसे शिक्षक शिक्षा संस्थानों को मजबूत करना, स्मार्ट क्लासरूम, डिजिटल बोर्ड और डीटीएच चैनल आदि के माध्यम से शिक्षा में डिजिटल प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल करना। इसे भी इस योजना में शामिल किया गया था।"

चूंकि यह पूरे देश में शिक्षा प्रणाली के उत्थान के उद्देश्य से केंद्र सरकार की यह योजना है तो क्यों कुछ राज्यों की मांग को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है? डॉ इ्स्साक ने इसे राजनीतिक बदला के तौर पर बताया है और कहा: "बीजेपी के केरल राजनीतिक प्रतिबद्धता के प्रति बदला लेने के दृष्टिकोण से अब बच्चे भी पीड़ित हैं।"

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