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कॉलेज के डीन क्यों मानते हैं कि वो हादिया के अभिभावक हैं ?

सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर में हादिया की अभिभावक्ता के बारे में कुछ नहीं लिखा हुआ था,
हदिया

पश्चिमी तमिलनाडु के सलेम के शिवराज होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा है कि हदिया, अगर अपने पति शफीन जहान से मिलना चाहती हैं तो उसे उन्हें या हॉस्टल के वार्डन को सूचित करना होगा। उन्होंने कहा कि कॉलेज के अधिकारी यह तय करेंगे  कि उसे अनुमति दी जाए या नहीं।

प्रिंसिपल जी. कणनन ने न्यूज़क्लिक को फ़ोन पर बताया “कॉलेज के सभी नियम और कानून उन (हादिया) पर लागू होंगे और हफ्ते में एक बार उन्हें बाहर जाकर ख़रीदारी करने की अनुमति होगी. पर अगर वो अपने पति से मिलना चाहें तो उसे हमें (प्रिन्सिपल या वॉर्डन) को बताना होगा कि वो किससे मिलने जा रही है. हम ये तय करेंगे कि वो छुट्टियों में अपने पति से हॉस्टल में या कॉलेज के बाहर मिल सकती है या नहीं .’’

उन्होंने आगे कहा कि उन्हें मीडिया के माध्यम से पता चला है कि उन्हें हादिया का अभिभावक नियुक्त किया गया है. जब उनसे पुछा गया कि वो मीडिया रिपोर्टों के हिसाब से काम करेंगे या सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर में हादिया की अभिभावक्ता के बारे में कुछ नहीं लिखा हुआ था, उन्होंने जवाब दिया “हाँ मैं जनता हूँ कि ऑर्डर में ये नहीं लिखा कि उनका अभिभावक कौन होगा, पर मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मुझे उनका अभिभावक नियुक्त किया गया है”, उन्होंने आगे कहा “हमने एपेक्स कोर्ट से इस बारे में सफाई माँगी है ’’

जब सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने हदिया को किसी रिश्तेदार या किसी परिचित को सलेम के कॉलेज में अपने स्थानीय अभिभावक के रूप में नामित करने के लिए कहा, तो उसका कहना था कि वह अपने पति के अलावा किसी और व्यक्ति को इस भूमिका में नहीं देखना चाहती.

उसने अदालत में कहा  "अगर मुझे अपना कोर्स पूरा करने के लिए कॉलेज में वापस भेजा जा रहा है तो मैं चाहती हूँ कि मेरे पति मेरे अभिभावक हों।" जिस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा था, "एक पति अपनी पत्नी का अभिभावक नहीं हो सकता । पत्नी कोई सम्पत्ति नहीं है। उसकी जीवन और समाज में अपनी एक पहचान होती हैI यहाँ तक कि मैं अपनी पत्नी का अभिभावक नहीं हूँ I कृपया उसे समझाइये। "

इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने डीन को सिर्फ इतनी छूट दी है कि अगर हदिया को कोई परेशानी हो तो वो उससे सम्पर्क कर सकते हैं. पर पूरे निर्णय में ये कहीं नहीं लिखा है कि उन्हें हदिया का अभिभावक बनाया गया है.

कोर्ट ने आदेश में कहा,"कॉलेज के डीन को यदि इस मामले में कोई समस्या हो, तो एपेक्स कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं। 'किसी भी समस्या' का अर्थ छात्रावास में प्रवेश या पढ़ाई जारी रखने से नहीं है।"

यह पूछा जाने पर कि क्या उसे सेल फोन इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाएगी, उन्होंने छात्रावास नियम गिनना शुरू कर दिया और कहा कि कॉलेज परिसर में मोबाइल फोन के उपयोग की अनुमति है "छात्रावास में मोबाइल फोन के उपयोग करने की एक समय सीमा है लेकिन हम इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि छात्र यहाँ पढाई करने आते हैं, फोन पर बात करने नहीं। वॉर्डन का सेल फोन उनके लिए पर्याप्त है, " उन्होंने कहा।

यह पूछने पर कि क्या मौजूदा प्रतिबंध एक तरह की पुलीसिंग है, उन्होंने कहा, "ये सामान्य नियम हैं जिनका इस संस्था के प्रत्येक छात्र को पालन करना होता है।"

"अगर हदिया या कोई और भी पूर्ण स्वतंत्रता चाहता है, तो वह हमारे छात्रावास को छोड़कर अपने आवास में रह सकता है। छात्रावास में फोन पर लम्बे समय तक बात की अनुमति नहीं होती है, बिजली को 10 बजे बंद कर देना होता है और मिलने वालों को हफ्ते में केवल एक बार ही मिलने की अनुमति दी जाती है, " उन्होंने बताया।

अपने तर्कों की पुष्टि करते हुए, प्रिंसिपल ने आगे कहा, "उसके लिए कोई अतिरिक्त प्रतिबंध या विशेष प्रावधान नहीं हैं। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा है I"

हालांकि, हदिया कहती हैं कि वह अभी भी स्वतंत्र नहीं है। "मुझे आज़ादी चाहिए। मैं जिस व्यक्ति से प्यार करती हूँ उससे मिलने की मुझे आज़ादी चाहिए. मैं अपने पति से मिलना चाहती हूँ । मैं अभी तक अपने मौलिक अधिकार माँग रही हूँ, मुझे स्वतंत्रता नहीं मिली है, मुझे नहीं पता कि क्या यह भी एक दूसरी तरह की जेल होगी। "

लेकिन प्रिंसिपल इस बात पर अटल हैं कि जब तक उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से निर्देश नहीं मिलता, वह इसमें कुछ नहीं कर सकते ।इस बीच, ऐसी खबरें हैं कि हदिया ने फोन पर अपने पति से बात की। कॉलेज डीन के हवाले से खबरों के मुताबिक, "हदिया ने मेरे मोबाइल फोन से थोड़ी देर के लिए जहान (उनके पति) से बात की, स्थानीय अभिभावक के रूप में मैंने उस से पूछा कि क्या वह किसी से बात करना या मिलना चाहती है।"

"ऐसा लगता है की उसे अपने पति से बात करके राहत महसूस हुई है. उन्होंने आगे कहा “ हदिया ने कॉलेज में उसके कारण होने वाली तनाव की स्थिति और अन्य छात्रों को उसके कारण होने वाली असुविधा के लिए अफसोस व्यक्त किया. "

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 25 वर्षीय युवती को शिवराज होमियोपैथी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला, जिसने उन्हें अपने माता-पिता की हिरासत से मुक्त कर दिया और उससे अपनी पढ़ाई पूरी करने का मौका मिला.

यह वही लड़की है, जिसने इस्लाम धर्म अपनाया था, और अपना नाम अखिला अशोकन से हदिया रख लिया और जिसने अपने कॉलेज से बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) करते हुए शफीन जहान नाम के एक व्यक्ति से शादी कर ली थी ।केरल हाई कोर्ट में उसके माता पिता ने उसके धर्म परिवर्तन और उसके मुसलमान व्यक्ति से शादी के खिलाफ याचिका दायर की थी . जिसके बाद उसकी शादी रद्द कर दी गयी और वो अपने माता पिता की कस्टडी में थी .

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने अभिसाक्ष्य के दौरान उनके विवाह के बारे में कोई फैसला नहीं लिया, एक वकील ने कहा था कि आदेश का मतलब है कि वह कॉलेज के छात्रावास में, जहाँ वह रहेंगी, वो अपने पति से मिलने के लिए स्वतंत्र है.

हदीया के माता-पिता ने शफीन जहान - एक मुस्लिम, जो मध्य पूर्व से केरल लौटे थे, से उनकी शादी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था , यह दावा करते हुए कि वह एक "आतंकवादी" है जो उनकी बेटी को सीरिया ले जाना चाहता था।

उनकी याचिका के अनुसार उन्हें ब्रेनवाश और शादी के लिए मजबूर किया गया था . इस वजह से केरल हाई कोर्ट ने शादी को रद्द करने का आदेश दिया और इस साल मई में उनके माता-पिता को हदिया हिरासत दे दी थी। शाफीन जहान ने सुप्रीम कोर्ट में आदेश को चुनौती दी थी।भारी सुरक्षा के बीच 30 नवम्बर को हादया को कॉलेज ले जाया गया, उन्होंने कहा कि कम से कम अगले दो दिनों तक यही होगा।

 

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