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कर्नाटक: कुमारस्वामी सरकार गिरी, बहुमत साबित करने में नाकाम 

मुख्यमंत्री कुमारस्वामी अपना बहुमत साबित नहीं कर सके। सरकार के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध में 105 वोट डाले गए।
कर्नाटक कुमारस्वामी सरकार गिरी
Image Courtesy:ndtv

कई दिनों से चल रहे कर्नाटक के नाटक अंत हुआ। कर्नाटक विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद  वोटिंग हुई और एचडी कुमारस्वामी सरकार गिर गई। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी अपना बहुमत साबित नहीं कर सके।  सरकार के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध में 105 वोट डाले गए। 
 इससे पहले विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान CM एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि मैं वोटिंग के लिए तैयार हूं. कुमारस्वामी ने कहा कि मैं खुशी-खुशी यह पद   छोड़ने को तैयार हूं। आगे उन्होंने कहा कि राजनीति में मैं अचानक और अप्रत्याशित तौर पर आया थे। जब विधानसभा चुनाव का परिणाम (2018 में) आया था, मैं राजनीति छोड़ने की सोच रहा था. 
 उधर, कर्नाटक विधानसभा में जारी विश्वास मत को लेकर अब भी संशय की स्थित बरकरार है।  इस बीच शाम 6 बजे से बेंगलुरु में सभी शराब की दुकानें और बार को अगले 48 घंटों के लिए बंद कर दिया गया है और धारा 144 लगा दी गई है. पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी 
 इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधान सभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के कथन का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वमी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर तत्काल मतदान के लिये दो निर्दलीय विधायकों की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई स्थगित कर दी। 
भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सरकार का खुद ही पर्दाफाश हो गया और साथ ही पूछा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक कहा हैं? उन्होंने सत्ता पक्ष से कहा, ‘बहुमत ना होने के बावजूद आप बेशर्मी से सत्ता में बने हुए हैं. आपको शर्म आनी चाहिए.'
न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए  भारतीय जनता पार्टी के नेता जगदीश शेट्टर ने कहा कि फिलहाल बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए हैं. इन विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होने के बाद यह उन पर है कि वे बीजेपी में शामिल होते हैं या नहीं. बहरहाल हमारे पास 105 विधायक हैं और बीजेपी के पास बहुमत है. हम एक स्थिर सरकार बनाएंगे। 

कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार पहले दिन से ही अस्थिर नजर आ रही थी। इसकी कारण जेडीएस और कांग्रेस की ओर से केवल सत्ता के लिए दोस्ती कायम करना था। इस दोस्ती का एकमात्र उद्देश्य भाजपा को सत्ता से बाहर रखना था। यह दोस्ती अवसरवाद की राजनीति का परिचायक ही थी, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और जद-एस एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे।
 कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार पहले दिन से ही अस्थिर नजर आ रही थी। इसकी कारण जेडीएस और कांग्रेस की ओर से केवल सत्ता के लिए दोस्ती कायम करना था। इस दोस्ती का एकमात्र उद्देश्य भाजपा को सत्ता से बाहर रखना था। यह दोस्ती अवसरवाद की राजनीति का परिचायक ही थी, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस और जद-एस एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे।

आपको बता दें कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को कर्नाटक में सरकार बनाने का मौका मिला था लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद से ही कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी। 
 
तब से लेकर अब तक कर्नाटक में सरकार को लेकर उठापठक जारी है। सरकार गिराने और बनाने के लिए नैतिकता के सारे पैमानों को ताक पर रख दिया गया। हालांकि कर्नाटक की जनता ने इस सियासी ड्रामें के लिए मतदान नहीं किया था। 

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