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मेजर गोगोई मामला : PUDR ने कहा ताक़त का गलत इस्तेमाल किया गया है

मेजर गोगोई तथाकथित तौर पर एक कश्मीरी लड़की के साथ एक होटल में जाने का प्रयास कर रहे थे I
GOGOI
image courtesy : rediff.com

People’s Union for Democratic Rights(PUDR) जो कि एक मानवाधिकार संगठन है ने मेजर गोगोई के एक कश्मीरी लड़की के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाये जाने के मामले में एक स्टेटमेंट जारी किया है I जम्मू कश्मीर पुलिस के इस दावे के कि ये मामला दो वयस्कों का आपस का मामला है , के जवाब में PUDR ने कहा “PUDR इस तथ्य पर रौशनी डालना चाहता है कि ये मामला जहाँ हुआ वह एक अशांत क्षेत्र है और इस मामले के तथ्य ये इशारा करते हैं कि सेना के अफसर ने अपनी ताक़त का गलत इस्तेमाल किया है I”

इससे पहले 23 मई को जम्मू कश्मीर पुलिस को एक स्थानीय होटल से ये कॉल आया था कि एक व्यक्ति होटल के एक कर्मचारी से  झगड़ा कर रहा है I जब पुलिस वहाँ पहुँची तो ये पता चला कि वो 56 राष्ट्रीय रायफल का मेजर गोगोई था जो बडगाम की एक लड़की के साथ उस होटल में घुसने का प्रयास कर रहा था I होटल प्रशासन ने बताया कि होटल की ये नीति है कि वह स्थानीय लोगों को होटल में रहने नहीं देते , यही वजह थी कि उन्होंने उस लड़की के वहाँ रुकने पर ऐतराज़ जताया , इसके बाद मेजर वहाँ के स्टाफ से झगड़ने लगा I ये बताया जा रहा है कि मेजर ने उस होटल में 2 लोगों के लिए एक रूम बुक किया था I

ये खबर जल्दही विवादों में आ गई क्योंकि मेजर गोगोई वही शख्स है जिसने कश्मीर में  एक व्यक्ति फारूक दर को आर्मी की जीप के बोनट पर बाँधा था I ये अमानवीय कार्यवाही जो कि 9 अप्रैल 2017 में हुई बहुत जल्दी विवादों में आ गई थी , जिसके बाद सेना ने कहा था कि ये कार्यवाही इसीलिए की गयी जिससे चुनावों के दौरान पत्थरबाजों से बचा जा सके I ये ताज्जुब की बात थी कि सेना ने मेजर गोगोई को न सिर्फ बचाया बल्कि उन्हें सेना अध्यक्ष बिपिन रावत ने शाबाशी भी दी I

जम्मू कश्मीर पुलिस के द्वारा 30 मई को Chief Judicial Magistrate के सामने इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करने के बाद PUDR ने 3 अप्रैल को इस पर अपना स्टेटमेंट जारी किया I अपनी रिपोर्ट में पुलिस ने कहा है कि जिस लड़की को पीड़ित के साथ देखा जा रहा है वह 19 साल की है और ये मामला दो वयस्कों द्वारा अपनी मर्ज़ी से सबंध बनाये जाने का मामला है , उन्होंने ये भी कहा कि न तो लड़की के परिवार ने और न ही होटल ने इस मामले में कोई रिपोर्ट दर्ज़ की है I यही वजह है कि गोगोई पर कोई केस दर्ज़ नहीं किया जायेगा I दूसरी तरह PUDR ने कहा “पुलिस द्वारा इस बात कर ज़ोर दिया गया है कि किसी ने भी मंज़ूरी के मुद्दे पर कोई भी शिकायत नहीं की है, इस बात पर सवाल उठ सकते हैं क्योंकि ये पूरा इलाका संघर्ष क्षेत्र है और यहाँ AFSPA लगा हुआ है , जिससे लोगों के मन में सेना के लिए डर है I साथ ही यहाँ सेना को बहुत शक्तियाँ भी प्राप्त हैं I ऐसे मामले में जो तथ्य प्रेस द्वारा सामने लाये गए  हैं उसे सेना को प्राप्त शक्तियों के नज़रिए से देखा जा सकता है I”

जिस तरह स्टेटमेंट में लिखा है, मीडिया में ये रिपोर्ट किया गया है कि इस घटना से पहले मेजर गोगोई दो बार उस लड़की के घर ज़बरदस्ती घुस आये थे I मीडिया से बात करते हुए उनकी माँ ने बताया कि “मैं तब डरकर बेहोश हो गयी जब मेजर लेतुल गोगोई हमारे घर रात को घुस आये और हमसे हमारे हालातों के बारे में पूछने लगे I वो एक और आदमी में साथ वहाँ आये थे और दोनों ही लोगों ने सादा कपडे पहने थे I बाद में मुझे ये पता चला कि जो वक्ति गोगोई के साथ था उनका नाम समीर माला था और वह लोकिपोरा पोशकर से था I”

 ये रिपोर्ट किया जा रहा है कि मेजर एक मुस्लिम नाम वाली फ़र्ज़ी फेसबुक ID द्वारा उस लड़की से बात कर रहे थे I वैसे लड़की के परिवार वालों ने अब तक इस मामले ने ज्यादती की कोई भी रिपोर्ट दर्ज़ नहीं करायी है लेकिन PUDR का कहना है कि इस बात की बहुत संभावना है कि ऐसा सेना के डर के कारण किया जा रहा हो I

 उसके वक्तव्य में आगे कहा गया है कि ऐसा पहली बार नही है कि सेना के किसी व्यक्ति के द्वारा ऐसा किया गया हो I उनमें कहा गया है “जहाँ कस्टडी में रेप और देह व्यापार एक छोर पर होते रहे हैं , वहीँ ये याद रखना भी ज़रूरी है कि वर्दी की ताक़त न करने को ही नामुमकिन  बना देती है और ये ख़ास तौर पर लड़ाई के क्षेत्रों में स्थानीय महिलाओं पर लागू होता है I इस प्रसंग में हमें 2006 के सेक्स स्कैम मामले में 30 मई 2018 को CBI द्वारा दिया गया निर्णय देखना चाहिए I जहाँ जम्मू कश्मीर में विभिन्न अफसरों द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ कार्यवाइयों में यौन शोषण के कई मामलों का पर्दाफाश किया गया था I”

 न्यूज़क्लिक से बात करते हुए मानवाधिकार सामाजिक कार्यकर्त्ता और PUDR के सदस्य गौतम नवलखा ने कहा “हमें ये समझना होगा कि कश्मीर जैसे इलाकों में जहाँ संघर्ष चल रहा है , सत्ता संरचना कुछ इस प्रकार की है कि किसी भी पीड़ित का किसी आर्मी अफसर के खिलाफ  खुलकर बोलना और ख़ासकर तब जब वह लड़की बेहद गरीब परिवार से हो , बेहद मुश्किल है I जब कोई आर्मी असफर नकली फेसबुक ID इस्तेमाल करे और उसके घरवालों को प्रताड़ित करे , तब ये कैसे माना जाये कि इस मामले में कुछ गड़बड़ नहीं है ?”

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