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'मुकम्मल नहीं हुई ईद मेरी, ईदी में तेरा मिलना बाक़ी है मां’

#Eid_Away_From_Home : दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को बड़ी संख्या में कश्मीरी युवा और नागरिक समाज के लोगों ने इकट्ठा होकर ईद के बहाने अपना दु:ख साझा किया और कश्मीर के हालात को लेकर विरोध दर्ज कराया।
Eid

'मुकम्मल नहीं हुई ईद मेरीईदी में तेरा मिलना बाकी है मां 
तेरे संग बाते करनाहंसनाखिलना बाकी है मां 
बाकी है तेरी सर में गोद रखकर रोना अभीतुझे देखना कुछ न कहना
होठों का सिलना बाकी है मां....'


सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक कश्मीरी युवा ने अपने दिल के जज़्बात जब इस कविता के माध्यम से जाहिर किए तो वहां मौजूद सैकड़ों लोग भावुक हो गए। दरअसल दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को बड़ी संख्या में कश्मीरी युवा और नागरिक समाज के लोगों ने इकट्ठा होकर ईद मनाई। हालांकि कार्यक्रम में शामिल कश्मीरियों का कहना था कि जो हालात उनके राज्य का है उसमें वो ईद कैसे मना सकते हैं। वो इस कार्यक्रम के बहाने अपना दु:ख बांटने आए हैं और विरोध दर्ज कराना चाहते हैं। 

 

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आपको बता दें कि दिल्ली में ऐसे सैकड़ों कश्मीरीखासतौर से स्टूडेंट्स रह रहे हैं जो अपने घरवालों से पिछले कई दिनों से बात तक नहीं कर पाए हैं। क्योंकि कश्मीर में पिछले काफी दिनों से मोबाइलटीवीइंटरनेट बंद हैं इसलिए इस बार ईद मनाने के लिए उनका घर जाना भी मुमकिन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सभी लोग जंतर-मंतर पर इकट्ठा होकर ईद मनाने आए। 

इस दौरान लेखिका अरुंधति रायप्रसिद्ध थियेटर कलाकार और निर्देशक एम के रैना, फिल्म मेकर संजय काक, एक्टिविस्ट शबनम हाशमी, शायर और वैज्ञानिक गौहर रज़ाप्रोफेसर अपूर्वानंदसामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदरपत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा समेत बड़ी संख्या में नागरिक समाज से जुड़े लोग भी मौजूद रहे। 

जंतर मंतर पर इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली शारिका अमीन ने कहा,'हम यहां ईद मनाने नहीं आए हैं। हम ईद मना भी नहीं सकते हैं। हमें नहीं पता हमारा परिवार किस हालात में है। ईद के दिन हर साल मैं सबसे पहले अपनी मां से बात करती थी। इस बार भी हमारी बहुत सारी तैयारी थी। बहन के लिए खरीदारी की थीलेकिन हालात इतने बुरे हैं कि हमें नहीं पता कि घर पर ईद कैसे मनाई जा रही है। तो हम यहां ईद कैसे मना सकते हैं।'

कुछ ऐसा ही कहना फैजान का है। वे कहते हैं,'ऐसे हालात में हम ईद कैसे मना सकते हैं। हमारी घरवालों से बात नहीं हुई है। हमारी ईद से जुड़ी ढेर सारी यादें हैं। ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें यहां ऐसे हाल में ईद मनानी पड़ रही है। ऐसे माहौल में आप त्यौहार नहीं मनाते हैं। आप सिर्फ इकट्ठा होकर एक दूसरे के दु:ख को कम करते हैं।'

वो आगे कहते हैं, 'कश्मीर में ऐसे हालात नहीं हैं कि हम लोग वहां ईद पर जा सकतेअगर चले भी जाते तो ईद वाला माहौल तो वहां भी नहीं ही है। इसके अलावा कई लोगों के मां-बाप ने उनके ईद पर घर न आने के लिए भी कहा हैसोचिए आखिर कैसी मजबूरी रही होगी जब एक मां अपने बच्चे को ईद पर घर आने से मना करती है।'

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग खाने का सामान लेकर इकट्ठा हुए और साथ में खाकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। 

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इस दौरान मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा,'कश्मीर के लोग बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। हमें उनके साथ खड़े होने की जरूरत है। हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी को उनके साथ खड़े होने की जरूरत है। आर्टिकल 370 से लेकर संविधान पर डिबेट हो सकती हैं। लेकिन अभी कश्मीरियों को यह बताना बहुत जरूरी है कि हम उन्हें अपना परिवार मानते हैं और इस मुश्किल घड़ी में उनके साथ हैं।'

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