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दिल्ली: छटनी के दंश से परेशान स्वास्थ्य कर्मियों ने जंतर-मंतर पर किया विरोध प्रदर्शन

कोविड-योद्धाओं की अवैध छटनी और सरकार के अमानवीय रवैये के खिलाफ ऐक्टू ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर किया विरोध प्रदर्शन।
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नई दिल्ली : आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर डॉ० राम मनोहर लोहिया व कलावती सरन बाल अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने नौकरी से की गई अवैध छटनी के विरोध में ऐक्टू के नेतृत्व में ज़ोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में ऐक्टू से जुड़े अन्य अस्पताल यूनियनों के कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया।

डॉ० राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने कहा : कोविड योद्धाओं पर फूल बरसाने के बाद उन्हें नौकरी से किया जा रहा है बेदखल।

केंद्र सरकार के अधीन आने वाले डॉ० राम मनोहर लोहिया अस्पताल में साल 2009 से कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे नर्सों की अचानक छटनी कर दी गई है, जिसके कारण अब इनके सामने रोज़गार का भयंकर संकट खड़ा हो गया है। डॉ० राम मनोहर लोहिया अस्पताल प्रबंधन द्वारा 12 वर्षों से भी अधिक समय से कार्यरत क्लेरिकल स्टाफ की भी गैरकानूनी तरीके से छटनी कर दी गई है। छटनी हुए कर्मचारियों में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के यूनियन के अध्यक्ष भी शामिल हैं। गौरतलब है कि अभी हाल ही में इन कर्मचारियों ने 5 महीने की लंबी लड़ाई के बाद अपनी नौकरी वापस पाई थी, जिसके बाद अस्पताल ने दुर्भावना से प्रेरित होकर फिर से इनकी छटनी कर दी है।

आपको बता दें बीते साल फरवरी मे भी अस्पताल ने 43 स्वास्थ्य कर्मियों को हटा दिया था। लेकिन कर्मचारियों ने सड़क से लेकर कोर्ट तक संघर्ष किया जिसके बाद उन्हें काम पर वापस लिया गया था। लेकिन दोबारा नौकरी मिलने के छह महीने बाद पुनः अस्पताल ने छटनी शुरू कर दी है। पिछले महीने दिसंबर मे बिना किसी नोटिस के अस्पताल प्रबंधन ने 16 क्लर्क स्टाफ और 43 नर्सों को भी काम से हटा दिया है जिसके बाद से ये कर्मचारी 1 जनवरी से लगातार अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे हैं।

ये कोई पहला मौका नहीं जब इस अस्पताल ने कर्मचारियों को बिना किसी नोटिस के काम से हटाया हो इससे पहले भी कोरोना काल में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को काम से हटाया गया था। जबकि कुछ समय पहले 400 गार्ड्स को भी नौकरी से निकाल दिया गया था लेकिन उनकी कोई यूनियन नहीं थी जिस वजह से वो संघर्ष नहीं कर पाए।

लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जब सरकार एक बार फिर कोरोना को लेकर पाबंदियाँ बढ़ा रही है और दुनियाभर में एकबार फिर कोरोना का डर बढ़ रहा है ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों की छंटनी कहा तक उचित है? जबकि ये सभी अस्पताल पहले ही कम मैन पावर के साथ चल रहे हैं। ये सिर्फ एक आरएमएल की ही समस्या नहीं है बल्कि राजधानी मे कई ऐसे अस्पताल हैं जहां इस तरह के संकट बने हुए हैं।

कलावती सरन अस्पताल के सफाई कर्मचारियों को हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद काम से रखा जा रहा है बाहर

ऐक्टू से जुड़े 'कलावती सरन अस्पताल कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी यूनियन' के महासचिव व छटनी-ग्रस्त सफाई कर्मचारी, सेवक राम ने प्रदर्शन में मौजूद सभी कर्मचारियों को संबोधित करते हुए बताया कि 31 मई 2021 को ही कलावती सरन अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने माननीय उच्च न्यायालय से छटनी के खिलाफ स्टे-आर्डर ले लिया था। लेकिन फिर भी स्वास्थ्य मंत्रालय, अस्पताल प्रबंधन और ठेकेदार की मिलीभगत से सफाई कर्मचारियों - विशेषकर यूनियन के सक्रिय सदस्यों की छटनी कर दी गई। अस्पताल के सामने लगभग 220 दिनों से चल रहे प्रदर्शन और दिल्ली उच्च न्यायालय के कई निर्देशों के बावजूद अस्पताल प्रबंधन, कर्मचारियों को काम पर वापस लेने के लिए तैयार नही हो रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की देख-रेख में चल रहा है कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से अवैध वसूली का रैकेट : ऐक्टू

ऐक्टू के राज्य सचिव व अधिवक्ता सूर्य प्रकाश ने कहा, "दिल्ली के सभी अस्पतालों में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से करोड़ों की वसूली की जा रही है। ठेकेदार के बदलते ही नौकरी जारी रखने के नाम पर कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से 25 हज़ार से लेकर एक लाख रुपये तक की वसूली की जा रही है। यह पूरी तरह से स्वास्थ्य मंत्रालय की देख-रेख व अस्पताल प्रबंधन के शीर्ष में बैठे अफसरों द्वारा किया जा रहा है। जो कर्मचारी घूस देने से मना करते हैं उन्हें काम से निकाल दिया जाता है।"

आगे उन्होंने कहा, "कर्मचारियों से यूनियन बनाने का अधिकार छीना जा रहा है ताकि उनका शोषण जारी रहे। ऐक्टू यह मांग करता है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के शोषण पर रोक लगे और सभी को पक्का किया जाए। अगर सरकार और अस्पताल प्रबंधन कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी जारी रखेंगे तो आनेवाले दिनों में संघर्ष और तेज़ होगा।"

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