Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

राजस्थान : "ज़ुल्म के ख़िलाफ़ जंग लाज़मी है तो जंग ही सही...#मोदी गो-बैक’'

अजमेर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा से पहले जनता में रोष दिखाई दिया, और लोगों ने मोदी वापस जाओ के पोस्टर लगाए। इसके अलावा कई घंटों तक #गोबैक मोदी ट्वीटर पर ट्रेंड करता रहा।
rajasthan

जुमलाग्रसित सबका साथ सबका विश्वास.. कांग्रेस होती तो ऐसा होता, कांग्रेस थी तो ऐसा था.. भाजपा ने इतने टीके लगवा दिए, मुफ्त में राशन बांट दिया। न जाने क्या-क्या? साम दाम दंड भेद की सारी परिभाषाओं को नरेंद्र मोदी एक में पिरो लेते हैं, फिर सरकार के दायित्वों को अपनी उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री से कब भाजपा के नेता बन जाते हैं पता ही नहीं चलता।
नरेंद्र मोदी और भाजपा इन अजीब करतबों से इसलिए भी पीछा नहीं छुड़ाती, क्योंकि इन्हें 2014 से इसी कलाकारी के लिए वोट मिल रहे हैं... लेकिन अब वक्त ने थोड़ी करवट सी ले ली है, क्योंकि भाजपा के खाते में कांग्रेस और विपक्षियों के लिए जितना भी जमा था, उसे वो जनता के सामने उड़ेल चुकी है। अब जनता ये कह रही है कि उनका वाला तो आपने बता दिया, जिसका सच और झूठ हम समझ भी गए... लेकिन अब आप अपने खाते से अपनी उपलब्धियां निकालिए। जनता के इस कठिन सवाल का जवाब देने में फिलहाल भाजपा को वक्त लग रहा है, इतना वक्त कि कर्नाटक पीछे छूट गया, और अब बारी है राजस्थान की, क्योंकि इसी साल के आख़िर तक यहां भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
ऐसे में नरेंद्र मोदी आए दिन राजस्थान के चक्कर काट रहे हैं, 31 मई 2023 को भी उन्हें राजस्थान जाना था, इस बार मोदी अजमेर जाने वाले थे, गए भी... भाषण भी दिया। लेकिन इस दौरे से पहले राजस्थान की जनता ने उन्हें ये बता दिया कि अब हमने अपनी आंखें भी खोल ली हैं, और कान भी। और इसका असर देखने को मिला राजस्थान की सड़कों पर... ट्वीटर पर... सोशल मीडिया पर।
जहां राजस्थान की सड़कों पर लिखा था गो बैक मोदी... पोस्टरों में लिखा था, मोदी वापस जाओ... सोशल मीडिया पर ट्रैंड कर रहा था। #गो बैक मोदी... ट्वीटर पर सुबह से लेकर शाम तक ट्रेंड कर रहा था #गो बैक मोदी।.... एक ट्वीट देख लीजिए।

इस ट्वीट में लिखे शब्दों पर ध्यान दीजिए... लिखा है, मोदी जी अगर आप प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ख्याल रखते तो आपका भी सम्मान हम वैसे ही करते। लेकिन आपने तो पद और देश दोनों को शर्मशार किया है देश की बेटियां रो रही हैं और आपको फर्क नहीं पड़ता।
यानी यहां पर बात हो रही है, दिल्ली की सड़कों पर घसीटी जा रही उन बेटियों की जिन्होंने इस देश गौरव पूरे विश्व में बढ़ाया है। उन बेटियों की जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी तब अपनी बेटियां कहते हैं जब वो मेडल जीतकर आती हैं, जब उन्हें फोटो खिंचवानी होती है, लेकिन तब उनपर लाठियां चलवाते हैं, जब वो बेटियां उनकी सरकार के किसी मंत्री या नेता की सच्चाई देश के सामने ले आती हैं। वैसे इस बात से ज़्यादा शर्मनाक क्या होगा कि जिस दिन हमारे देश के पहलवान खिलाड़ी पुलिस के साथ अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नई संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे, और उसी संसद में वो बृजभूषण शरण सिंह भी बैठा था, जिसपर यौन शोषण के आरोप लगे हैं। यहां तक पॉक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमें दर्ज हैं।
इस नज़रअंदाज़गी को आप कोई संज्ञा दे सकते हैं, इसके आगे बढ़कर भी दे सकते हैं, क्योंकि नौबत तो यहां तक आ गई कि इन पहलवानों को अपने जीवन की सर्वोच्च कमाई मेडल को गंगा में बहा देने का और मौत आने तक आमरण अनशन करने का ऐलान करना पड़ गया।
ख़ैर.. इस सरकारी तानाशाही से तो पूरा देश वाक़िफ हो गया है, अगर सरकार के किसी नुमाइंदे को ये लगता है कि बात महज़ दिल्ली तक सीमित है, तो उसे राजस्थान की सड़कों पर और सोशल मीडिया पर देख लेना चाहिए।
ख़ैर.. जैसा कि पूरा देश वाकिफ है, राजनीतिक विश्लेषक भी कहते हैं कि भाजपा हर वक्त चुनावी मोड में रहती है, यानी देश में क्या-क्या चल रहा है, उसमें से सबसे पहले भाजपा चुनाव को चुनकर निकालती है। फिर इसके इर्द गिर्द चाहे देश का सम्मान आड़े आ रहा हो, या फिर देश को समम्मान दिलाने वाली बेटियां।
इनदिनों भी यही चल रहा है, क्योंकि जब दिल्ली में अपमानित हो रही बेटियों को प्रधानमंत्री की ज़रूरत है, तब वो भाजपा के नेता बनकर राजस्थान मे जीत का रास्ता तलाश रहे हैं। लेकिन अब इन रास्तों को जनता अच्छे से समझ चुकी है, यही कारण है कि ट्वीट के ज़रिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर रही है। कुछ ट्वीट देखिए...

 

 

 

यहां मज़े की बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के ख़िलाफ लोगों का गुस्सा उमड़ रहा है, ये बात भाजपा को पता है, ऐसे में इस बात का डर कि कहीं सभा में कुर्सियां खाली न रह जाएं... आम जनता से अपील की गई है, कि अपनी-अपनी दुकानें, संस्थान और जहां भी काम करते हों उसे बंद कर सभा में आएं। इस बात का सुबूत इस ट्वीट में देखिए..

 

 

अप इसे राजस्थान की राजनीति के लिहाज़ से देखें तो... कर्नाटक में प्रचंड हार के बाद भाजपा के लिए राजस्थान का चुनाव जीतना नाक का सवाल बन गया है, खासकर प्रधानमंत्री मोदी के लिए... यही कारण है कि मोदी अजमेर में जनसभा कर सीधे तौर पर 8 लोकसभा की 45 विधानसभा सीटों को साधने की कशिश कर रहे हैं। जिसमें से फिलहाल 20 भाजपा के पास है, और 20 कांग्रेस के पास। लेकिन बाकी की पांच कांग्रेस समर्थित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आरएलपी और तीन निर्दलीयों के कब्ज़े में हैं।
इसके अलावा एक पहलू और ये है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, हालांकि पिछले दिनों दिल्ली की एक बैठक में दोनों के बीच सुलह हो जाना का दावा ज़रूर किया जा रहा है। इस छोटी-मोटी कलह का फायदा उठाने के लिए नरेंद्र मोदी पूरा ज़ोर लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा की अंतर्कलह पर आएंगे, तो उसने राजस्थान में लगभग विपक्ष ही गायब कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस एक विशेष नीति पर काम कर रही है, जिसमें पक्ष और विपक्ष दोनों ही पार्टी ख़ुद ही बन गई है, अब पक्ष में गहलोत हैं, और खिलाफत का सुर पायलट ने छेड़ रखा है, आखिर आते-आते दोनों एक हो जाएंगे और भाजपा खाली हाथ रह जाएगी।
फिलहाल ये तो महज़ कयास हैं, लेकिन इतना ज़रूर तय है कि राजस्थान हो या देश के किसी भी राज्य की जनता... जुमलों की परिभाषा को अच्छे से समझ चुकी है। बाकी जनता को ये भी दिख रहा है, कि कैसे सिर्फ सत्ता हथिआए रखने के लिए देश के गौरव के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, और इसका नतीजा आज ‘गो बैक’ के नारों में तब्दील हो चुका है।

 

 

 

 

 

 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest