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नोआम चॉम्स्की, अरुंधति रॉय सहित अन्य बुद्धिजीवियों ने ओला बीनी की मदद के लिए स्वीडन के पीएम से मांग की

एक्टिविस्ट, बुद्धिजीवियों तथा सॉफ़्टवेयर डेवलपरों ने निजता के अधिकार के कार्यकर्ता ओला बीनी की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए स्वीडन की सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
Ola BINI

ओला बीनी की रिहाई के लिए 23 अप्रैल को 130 प्रसिद्ध एक्टिविस्ट, कलाकारों, बुद्धिजीवियों और सॉफ़्टवेयर डेवलपरों ने हस्ताक्षर करके स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफ़न लोफ़वेन को एक पत्र सौंपा। ओला बिनी स्वीडेन के नागरिक और प्राइवेसी एक्टिविस्ट हैं। प्रधानमंत्री को सौंपे गए पत्र में बीनी की रिहाई के लिए ठोस तथा तत्काल कार्यवाही की मांग की गई है। बिनी को 11 अप्रैल को इक्वाडोर के क्विटो में गिरफ़्तार किया गया था और अब वह अदालती आदेश के तहत 90 दिनों की मुक़दमा-पूर्व-हिरासत में हैं। इक्वाडोर के अधिकारी अभी भी उनके ख़िलाफ़ कोई ठोस मामला तैयार नहीं कर पाए हैं।

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रोफ़ेसर नोआम चॉम्स्की, अर्जेंटीना के एक्टिविस्ट तथा नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एडोल्फ़ो पेरेज़ एस्क्विवेल, लेखक अरुंधति रॉय, अभिनेता पामेला एंडरसन और अभिनेता डैनी ग्लोवर, शिक्षिका फ़्रे बेतो, और एक्टिविस्ट मेडिया बेंजामिन समेत कई दिग्गज शामिल हैं।

हस्ताक्षर करने वालों में पत्रकार एन. राम और पी. साईनाथ, प्रबीर पुरकायस्थ और वाई. किरण चंद्रा, शिक्षाविद ऐजाज़ अहमद तथा विजय प्रसाद और सॉफ़्टवेयर फ़्रीडम लॉ सेंटर की मिशी चौधरी शामिल हैं।

इस पत्र में बिनी की हिरासत और बाद में उनकी गिरफ़्तारी को लेकर हुई कई अनियमितताओं को लिखा गया है। इसमें "पुलिस, आंतरिक मंत्रालय, अटॉर्नी जनरल के कार्यालय और इस मामले के प्रभारी न्यायाधीश द्वारा "मानवाधिकारों के उल्लंघन" का भी उल्लेख किया गया है।

सबसे बड़ा निंदनीय कार्य यह है कि जिन एजेंटों ने बिनी को पहले हिरासत में लिया था उनके पास वैध वारंट नहीं था और उन्हें 17 घंटे तक वकीलों से मिलने नहीं दिया गया था। स्पैनिश की जानकारी नहीं होने के बावजूद उन्हें किसी भी अनुवादक से भी संपर्क करने नहीं दिया गया। पुलिस उन्हें उनके घर ले गई और उन्हें अंदर ही रहने के लिए मजबूर किया। हिरासत में रहते हुए उन्हें 17 घंटे तक भोजन नहीं दिया गया। स्वीडिश अधिकारियों से उनकी हिरासत के 15 घंटे बाद संपर्क किया गया जो कि इक्वाडोर के क़ानून का प्रत्यक्ष उल्लंघन है।

30 घंटे की हिरासत के बाद 12 अप्रैल को सुनवाई हुई और अभियोजक ने उन पर "कंप्यूटर सिस्टम की अखंडता पर हमला करने" का आरोप लगाया लेकिन इस गंभीर आरोप के मामले में कोई सबूत नहीं दिया। जज ने आदेश दिया कि बीनी 90 दिनों तक बिना ज़मानत के क़ैदख़ाने में रहेंगे।

इस पत्र में यह लिखा गया है कि ओला बिनी फ़्री सॉफ़्टवेयर कम्यूनिटी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित व्यक्ति हैं और निजता के अधिकार के समर्थक तथा एक्टिविस्ट हैं।

इस पत्र में उल्लेख किया गया है, “हम मानते हैं कि ये प्रक्रिया राजनीति से प्रेरित है। बिना किसी सबूत के मनगढ़ंत आरोप एक निर्दोष व्यक्ति के ख़िलाफ़ लगाया गया है... एक भी सबूत नहीं है जो उन्हें दोषी ठहराता हो। ओला बिनी इक्वाडोर की जेल में हैं, उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया है और उचित प्रक्रिया की कोई गारंटी नहीं है।”

बिनी की हिरासत के पीछे अनियमितताओं, मानवाधिकारों के उल्लंघन और स्पष्ट राजनीतिक उकसावे के चलते इन हस्ताक्षरकर्ताओं ने क्विटो में स्वीडिश राजदूत के समर्थन से परे स्वीडिश सरकार से इस मामले में उसकी भागीदारी बढ़ाने को कहा है। उन्होंने स्वीडिश सरकार से इस मामले को राजनीतिक स्तर तक ले जाने के लिए कहा है और "इक्वाडोर के अधिकारियों के सामने ओला को लेकर हस्तक्षेप करे, क़ानून के लिए सम्मान और ओला के मानवाधिकारों के लिए सम्मान तथा स्वीडन उनके तत्काल सुरक्षित वापसी की सुविधा मुहैया कराने के लिए" कहा है।

लिखे गए पत्र का पूरा हिस्सा नीचे है:

प्रिय प्रधानमंत्री स्टीफ़न लोफ़वेन,

11 अप्रैल को फ़्री सॉफ़्टवेयर डेवलपर स्वीडिशवासी ओला मेटोडियस बिनी को क्विटो (इक्वाडोर) में गिरफ़्तार किया गया था। वह पिछले छह वर्षों से इक्वाडोर गणराज्य में रह रहे हैं। ओला बिनी अब 90 दिनों की मुक़दमा-पूर्व-हिरासत में हैं। उन्हें ज़मानत नहीं दी गई है।

ओला बिनी के मामले ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान खींचा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेविड कायेस ने कहा कि इस कहानी में कुछ भी ओला बिनी को किसी प्रकार के अपराध से नहीं जोड़ता है’। इसके अलावा उन्होंने कहा, 'इक्वाडोर की सरकार को इससे ज़्यादा पेश करना चाहिए नहीं तो यह कोई मनमानी हिरासत की तरह दिखता है'। द ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ अमेरिकन स्टेट के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विशेष दूत एडिसन लैंज़ा ने कहा, 'मैं डिजिटल एक्टिविस्ट ओला बिनी की गिरफ़्तारी और हिरासत के बारे में प्रतिवेदक डेविड कायेस की चिंता को साझा करता हूँ।'

एमनेस्टी इंटरनेशनल तथा अनुच्छेद 19 ने इस मामले को लेकर आवाज़ उठाई है और मामले पर क़रीब से नज़र बनाए हुए है।

11 अप्रैल को ओला बिनी मार्शल आर्ट्स प्रशिक्षण कार्य के लिए जापान जा रहे थे जिसे उन्होंने एक सप्ताह पहले ट्विटर पर शेयर किया था। उन्हें इक्वाडोर की पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। उचित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए पुलिस ने स्वीडिश अधिकारियों से संपर्क नहीं किया। ये प्रक्रिया इक्वाडोर के क़ानून के मानकों का हिस्सा है। उनके शुरुआती हिरासत के 15 घंटे के बाद उन्होंने संपर्क किया।

ओला बिनी के मानवाधिकार को पुलिस, आंतरिक मंत्रालय, अटॉर्नी जनरल के कार्यालय और मामले के प्रभारी न्यायाधीश द्वारा बार-बार उल्लंघन किया गया है। जिन एजेंटों ने शुरू में उन्हें हिरासत में लिया था उनके पास वैध वारंट नहीं था। उन्हें 17 घंटे तक उनके वकीलों से संपर्क करने नहीं दिया गया। स्पैनिश की जानकारी न होने के बावजूद उन्हें अनुवादक से भी नहीं मिलने दिया गया। उन्हें उनके ख़िलाफ़ लगे आरोपों की जानकारी नहीं दी गई थी।

ओला बिनी को आठ घंटे से अधिक समय तक हवाई अड्डे पर रखा गया था। इक्वाडोर के क़ानून के उल्लंघन में उन्हें पुलिस को नहीं सौंपा गया। पुलिस उन्हें फिर उनके घर ले गई जहाँ उन्हें रहने के लिए मजबूर किया गया। अंत में उन्हें न्यायिक पुलिस द्वारा छोड़े गए स्थान पर ले जाया गया जहाँ उन्होंने रात बिताई। इस वक़्त तक उन्हें क़ानूनी सलाह या सहायता से दूर रखा गया।

अगली सुबह यानी 12 अप्रैल को ओला बिनी को अभियोजक के कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया जहाँ वे सुनवाई से पहले 12 घंटे तक रहे। कुल 17 घंटों तक ओला बिनी को क़ानूनी सलाह या भोजन नहीं दिया गया था। उनके वकीलों का कहना है कि उन्हें पुलिस द्वारा परेशान किया गया और धमकी दी गई।

इस सुनवाई में अभियोजक ने ओला बिनी के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं दिया। इक्वेडोर पेनल कोड के आधार पर उन पर एक बेहद गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया था। उन पर कंप्यूटर सिस्टम की अखंडता पर हमले का आरोप लगाया गया था। कोई भी सबूत न होने के बावजूद न्यायाधीश ने ओला बिनी को 90 दिनों की मुक़दमा-पूर्व- हिरासत में भेज दिया। ज़मानत पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

हमारा मानना है कि यह प्रक्रिया राजनीति से प्रेरित है। बिना किसी सबूत के मनगढ़ंत आरोप एक निर्दोष व्यक्ति के ख़िलाफ़ लगाए गए हैं। वह एक ऐसे विवाद में फंस गए हैं जो उनसे संबंध नहीं रखता है और जिसमें वह बिल्कुल भी शामिल नहीं हैं। एक भी सबूत नहीं है जो उन्हें दोषी ठहराए। ओला बिनी इक्वाडोर क़ैदखाने में हैं, उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया और उचित प्रक्रिया की कोई गारंटी नहीं है।

ओला बिनी फफ़्री सॉफ़्टवेयर कम्युनिटी में विश्व स्तर पर एक सम्मानित व्यक्ति हैं और निजता के अधिकार के एक प्रसिद्ध कार्यकर्ता हैं। 2010 में, कम्प्यूटरवर्ल्ड पत्रिका ने उन्हें स्वीडन के छठे सर्वश्रेष्ठ डेवलपर के रूप में नामित किया। वह फ़्री सॉफ़्टवेयर और निजता के लिए विभिन्न यूरोपीय और अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के सदस्य हैं और वह उच्च स्तर की परियोजनाओं में भाग लेते हैं और इनमें से कुछ यूरोपीय कमीशन द्वारा प्रायोजित है। ओला ने कभी भी कोई ऐसा विचार व्यक्त नहीं किया है जो किसी भी तरह से इक्वाडोर की सरकार के लिए ख़तरा हो।

निजता के अधिकार के समर्थक और एक्टिविस्ट के रूप में ओला ने कई बार लंदन के इक्वाडोरियन दूतावास में जूलियन असांजे से मुलाक़ात की। हालांकि वह विकीलिक्स के लिए काम नहीं करते हैं और न ही उन्होंने कभी उनके लिए काम किया है। इक्वाडोर की सरकार और उसके कंप्यूटर सिस्टम के ख़िलाफ़ साज़िश करने का कोई भी आरोप झूठा और बेबुनियाद है।

हम स्वीडिश सरकार से अपील करते हैं कि वह तत्काल ठोस कार्यवाही करे। अब तक स्वीडिश सरकार के प्रयास क्विटो में स्वीडिश ऑनरेरी काउंसिल की मौजूदगी तक सीमित था। हालांकि हम आभारी हैं कि क्विटो में स्वीडिश ऑनरेरी काउंसिल ने ख़ुद को इसमें शामिल किया। हम आपको और सरकार को इसे राजनीतिक स्तर पर उठाने के लिए कहेंगे क्योंकि इस गिरफ़्तारी के पीछे राजनीतिक कारण हैं। हमें यकीन है कि ओला बिनी और उनके कार्य के बारे में ग़लतफ़हमी को जल्दी हल किया जा सकता है। स्वीडिश समाज और स्वीडन सरकार को दुनिया भर में मानवाधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सक्रिय रक्षक और प्रवर्तकों के रूप में मान्यता प्राप्त है। ओला के मानवाधिकारों के सम्मान करने और स्वीडन उनकी तत्काल सुरक्षित वापसी की सुविधा प्रदान करने तथा क़ानून का सम्मान करने की मांग करते हुए उनका परिवार, उनके मित्र, उनके सहयोगी इक्वाडोर के अधिकारियों के समक्ष ओला के लिए स्वीडिश सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं।

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