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नफ़ा-नुक़सान : पीएमसी पर आरबीआई के प्रतिबंध के मायने और आशंकाएं

पीएमसी बैंक एक अरबन को-ऑपरेटिव बैंक है। इस बैंक में बहुत छोटे-छोटे लोग जो छोटा-मोटा व्यापार करते थे, नौकरी करते थे, सब्जी भाजी का ठेला लगाते थे अपनी बचत जमा कर देते थे। एक झटके में उनकी बचत से उन्हें महरूम कर दिया गया।
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Image courtesy: The Hindu

भारतीय रिजर्व बैंक के एक फ़ैसले ने महाराष्ट्र एंड पंजाब को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) के लाखों जमाकर्ताओं की दीवाली काली कर दी। मंगलवार को आरबीआई ने पीएमसी पर 6 महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिए। इसके मुताबिक पीएमसी बैंक नए लोन नहीं दे सकेगा, न ही पुराने लोन रिन्यू कर सकेगा। कोई निवेश नहीं कर सकेगा न ही कर्ज या जमा ले सकेगा। खाताधारक 1000 रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे।

पीएमसी बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में मुनाफा 1.20% घटकर 99.69 करोड़ रुपये रह गया। नेट एनपीए 1.05% से बढ़कर 2.19% पहुंच गया। पीएमसी बैंक पर एनपीए कम बताने समेत प्रबंधन में कई तरह की खामियों के आरोप हैं। हालांकि, आरबीआई ने स्पष्ट किया कि पीएमसी का लाइसेंस रद्द नहीं किया गया है। वह अगले आदेश तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार जारी रख सकता है। लेकिन, आरबीआई की मंजूरी के बिना फैसले नहीं लिए जाएंगे।

रिजर्व बैंक के इस आदेश पर पीएमसी बैंक के एमडी जॉय थॉमस ने एक बयान जारी कर कहा कि बैंक में अनियमितताओं को लेकर प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने पूरी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि वो सभी डिपॉजिटर्स को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि ये अनियमितताएं 6 महीने से पहले पकड़ ली जाएंगी। उन्होंने कहा कि ये संकट के इस समय में लोगों को सहयोग करना चाहिए।

पीएमसी बैंक एक अरबन को-ऑपरेटिव बैंक है। इस बैंक में बहुत छोटे-छोटे लोग जो छोटा-मोटा व्यापार करते थे, नौकरी करते थे, सब्जी भाजी का ठेला लगाते थे अपनी बचत जमा कर देते थे। एक झटके में उनकी बचत से उन्हें महरूम कर दिया गया।

आरबीआई के निर्देश के बाद बैंक की कई शाखाओं में ग्राहकों ने हंगामा भी किया। खाताधारक दिन भर परेशान होते रहे, मुंबई में शाखाओं के बाहर कई लोग रोते हुए भी देखे गए।

मुझे याद है जब नोटबंदी हुई थी तब फोर्ब्स पत्रिका के स्टीव फोर्ब्स ने लिखा था, "भारत सरकार का  नोटबंदी का कृत्य घोर अनैतिक है, क्योंकि मुद्रा वह वस्तु है, जो लोगों द्वारा बनाई गई वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करती है! मुद्रा बिल्कुल वैसा ही वादा होती है, जैसा कोई सिनेमा या कार्यक्रम में शामिल टिकट होता है, जो आपको सीट मिलने की गारंटी देता है! इस तरह के संसाधन सरकारें नहीं, लोग पैदा करते हैं।"

सरकार का जमाकर्ताओं के पैसे पर जरा सी भी हक़ नही है तो  सरकार को क्या अधिकार हैं कि वह उनके खुद के कमाये पैसे से उन्हें महरूम कर दे? लेकिन यह हो रहा है और हम देख रहे हैं।

आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि पीएमसी बैंक कोई छोटा मोटा बैंक नहीं है। यह बैंक देश के टॉप टेन को-ऑपरेटिव बैंक में शामिल था। पीएमसी बैंक मल्टी स्टेट अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक है। ये बैंक महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, गोवा, गुजरात, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश में काम करता है। बैंक की 6 राज्यों में 137 ब्रांच हैं। बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च तक कर्मचारियों की संख्या 1,814 थी। मार्च 2019 तक बैंक के पास खाताधारकों का 11 हजार 617 करोड़ रुपये का डिपॉजिट था।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस बैंक का पिछला रिकॉर्ड बिलकुल साफ सुथरा है बल्कि यह काफी सक्षम बैंक माना जाता है। पीएमसी  बैंक इतना सक्षम बैंक था कि कुछ दिन पहले ही  गोवा के दो बीमार सहकारी बैंकों  मापुसा अर्बन को-ऑपरेटिव और मडगाम अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक का विलय उसके अंदर किये जाने की चर्चा चल रही थी। पिछले सालों में अपनी AGM में  “बैंक ने अपने शेयरधारकों के लिए 11 प्रतिशत लाभांश की घोषणा की, हर साल उसका लाभ भी बढ़ता जा रहा था। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 96.04 करोड़ रुपये के मुकाबले 2017-18 वित्त वर्ष में 100.90 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।

वित्त वर्ष 2016-17 में बैंक का कुल जमा 9,012 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह 9,938.85 करोड़ रुपये के रूप में दर्ज किया गया था। इस मीटिंग के अनुसार "31 मार्च 2018 को बैंक का 2,737.95 करोड़ रुपये का निवेश है, जिसमें से 2,320.13 करोड़ रुपये सरकार द्वारा स्वीकृत प्रतिभूतियों में निवेश किए गए हैं।"

इसके अलावा पीएमसी बैंक ने सीएसआर की दिशा में योगदान करने के लिए, वर्ष 2017-18 के लिए प्रति एटीएम लेनदेन पर 16 लाख रुपये की राशि CRY और सेव द चिल्ड्रन को दान की थी। बैंक द्वारा पुलिस और अर्ध-सैन्य बलों के लिए महिला उम्मीदवारों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 11 लाख रुपये की राशि भी दी।

यानी साफ है कि उसके रिकॉर्ड के अनुसार वह लाभ में था ओर पूरी तरह से सक्षम भी था। सरकारी प्रतिभूतियों में उसका निवेश था आदि आदि … तो अचानक उस पर रिजर्व बैंक ने इतनी बड़ी कार्रवाई कैसे कर दी?

दरअसल सभी अरबन को-ऑपरेटिव बैंकों का नियमन रिजर्व बैंक करता है। इन बैंकों के ऑडिट वाले बही-खाते के आधार पर केंद्रीय बैंक वार्षिक आधार पर निगरानी जांच करता है। यानी यह माना जाए कि पिछले सालों में जब भी ऐसे ऑडिट किये गए, ऐसी कोई गड़बड़ी पकड़ में नहीं आई और आज अचानक से इतनी बड़ी गड़बड़ी पकड़ की गई कि आपको रोक ही लगानी पड़ गयी।

आरबीआई ने पीएमसी बैंक पर बैंकिग रेलुगेशन एक्ट, 1949 के सेक्‍शन 35ए के तहत यह कार्रवाई की है। यह असाधारण कार्रवाई है।
रिज़र्व बैंक ने ये कार्रवाई पीएमसी बैंक की अनमियतताओं की वजह से की है। बताया यह जा रहा है कि पीएमसी बैंक पर एनपीए कम बताने समेत प्रबंधन में कई तरह की खामियों के आरोप हैं। सूत्रों ने बताया कि पीएमसी पर ये अंकुश उसके द्वारा अपने डूबे कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने की वजह से लगाया गया है। बैंक ने अपने एनपीए को काफी कम कर दिखाया है।

लेकिन ठीक ऐसे ही आरोप बड़े बड़े बैंको पर भी लगे हैं तो उन्हें सिर्फ जुर्माना लगा कर छोड़ दिया गया। पिछले साल आरबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई पर 7 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर 10 लाख रुपये का ओर एक्सिस बैंक पर 3 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स पर डेढ़ करोड़ का जुर्माना लगाया।

इसके अलावा रिजर्व बैंक ने पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा पर भी 50-50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) पर भी 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया।
यह सारे जुर्माने एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) की पहचान और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन एवं अन्य प्रावधानों से जुड़े नियमों का अनुपालन नहीं करने को लेकर लगाए गए।

लेकिन जहाँ इसी तरह की अनियमितता पीएमसी बैंक में देखने को मिली तो वहाँ सीधा ऐसा फैसला लिया गया जो खाताधारकों के हितों के प्रतिकूल था। हालांकि ऊपर बताए गए बैंक राष्ट्रीयकृत एवं अन्य बड़े बैंक हैं लेकिन फिर भी पीएमसी पर इस प्रकार का कड़ा निर्णय क्यों लिया गया। इस पर रिजर्व बैंक ने स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा है और यह स्थिति अब संदेह पैदा कर रही है क्योंकि इस निर्णय से यदि लोगों में सहकारी बैंकों के प्रति भरोसा खत्म हो गया तो एक तरह के वित्तीय आपातकाल की स्थिति बनने में ज्यादा देर नही लगेगी। 

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