कोरोना वायरस से बच कर भी ‘घृणित सोच’ से कैसे बचेगा भारत?
22 मार्च को सारे देश ने स्वास्थ्य और अन्य आपदा कर्मियों का हौसला बढ़ाने के लिए और उन्हें धन्यवाद कहने के लिए एक साथ आ कर तालियाँ बजाई थीं। लेकिन देश के स्वास्थ्य कर्मियों के असल हालात दो दिन बाद ही सामने आ गए हैं। देश के अलग-अलग इलाक़ों के डॉक्टरों ने कथित तौर पर इल्ज़ाम लगाया है कि वो जिस मोहल्ले में या जिस घर में रहते हैं, उन्हें वहाँ घुसने नहीं दिया जा रहा है। क्योंकि लोगों को डर है कि वो डॉक्टर कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा सरकार ने जिन घरों को क्वारंटीन किया, उन घरों पर पोस्टर लगाए गए हैं। इसकी वजह से उन परिवारों को भी पड़ोसियों द्वारा परेशान किया जा रहा है।
एक तरफ़ जहाँ सारा देश इस महामारी से लड़ रहा है, और पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन या कर्फ़्यू लगा दिया गया है, वहीं दूसरी तरफ़ संभावित मरीज़ों या मरीज़ों की पहचान सार्वजनिक होने की वजह से उन्हें 'बदनामी' का ख़तरा उठाना पड़ रहा है, और उनकी निजता भी ख़तरे में आ गई है। यही हाल उन डॉक्टरों का भी है जो उन मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं।
द वीक में छपी एक ख़बर के मुताबिक़ राजस्थान सरकार ने 20 मार्च को संभावित कोरोना मरीज़ों के पते सार्वजनिक कर दिये। एक लोकल अख़बार में 46 लोगों के नाम भी छाप दिये गए थे।
नाम सार्वजनिक होने की वजह से मरीज़ों की निजता पर ख़तरा मंडरा रहा है। और उन्हें आम जनता की तरफ़ से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है।
एयरलाइन कर्मचारी, डॉक्टर हो रहे हैं प्रताड़ना का शिकार
मरीज़ों और संदिग्ध मरीज़ों के अलावा विमान और स्वास्थ्य कर्मचारी भी कोरोना वायरस की वजह से परेशानी का सामना कर रहे हैं। एयरलाइन एयर इंडिया ने अपने एक बयान में कहा है कि जो कर्मचारी जापान, चाइना, इटली जैसे देशों से नागरिकों को भारत लेकर आए थे, उनको अपनी कॉलोनियों में भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है। दिल्ली के रेसिडेंट्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन(आरडबल्यूए) जो स्वस्थ्य कर्मियों के लिए ताली बजाने में सबसे आगे थे, उन्हीं लोगों ने एयर इंडिया और इंडिगो जैसी एयरलाइन में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ कथित तौर पर भेदभाव किया है।
एयर इंडिया ने अपने बयान में कहा, "यह बहुत हैरान करने वाला है कि कई कॉलोनियों में सुरक्षाकर्मियों और पड़ोसियों ने एयर इंडिया क्रू के साथ भेदभाव किया है क्योंकि वे अपने काम के दौरान विदेश गए थे। इन लोगों को शायद यह याद नहीं है कि इसी क्रू की मदद की वजह से कितने परिवार सुरक्षित अपने देश वापस आए थे।"
इसी तरह से डॉक्टरों को भी कॉलोनी में नहीं घुसने दिया जा रहा है। और जिन घरों में वो किराए पर रह रहे हैं, उन घरों से उन्हें निकलने को कहा जा रहा है।
कई डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और विमान कर्मचारियों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपने दुख को बयान किया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले का संज्ञान लिया है और गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को इसपर जल्द से जल्द कार्रवाई करने को कहा है।
कोरोना वायरस दुनिया भर में एक महामारी घोषित कर दिया गया है, और अभी तक इससे 18 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी वजह से फैल रहे तनाव की वजह से, या कहें कि उसका सहारा लेकर नागरिकों ने पूर्वोत्तर के लोगों के साथ नस्लभेद करना शुरू कर दिया है। और विभिन्न विभागों में काम कर रहे कर्मचारियों के साथ भेदभाव भी किया जा रहा है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि देश कोरोना वायरस से तो बच जाएगा, लेकिन ऐसी घृणित सोच से कैसे बच सकेगा?
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