पांव नहीं, ज़ेहनों की सफाई की है ज़रूरत, साहेब!
सदियों से उत्पीड़त समुदाय के लिए बात बराबरी की होनी थी, इंसाफ की होनी थी, सम्मानजनक रोज़गार की होनी थी, बात होनी थी और काम भी होना था कि मैला ढोने की प्रथा कैसे पूरी तरह बंद हो, सीवर में मौत कैसे बंद हों लेकिन हमारे प्रधानमंत्री इसकी बजाय पांव धोने जैसे प्रतीकात्मक काम करने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्रयागराज कुंभ में स्नान कर सफाईकर्मियों के पांव धोये। इसी सब पर न्यूज़क्लिक ने बात की सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापक-संयोजक और रमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता बेजवाड़ा विल्सन से।
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