पूर्ण राज्य की वापसी के साथ कश्मीर में राजनीतिक पहल की जरूरत
अगस्त, 2019 के बाद सरकार और मीडिया के बड़े हिस्से ने देश को बताने की कोशिश की कि अब कश्मीर में सबकुछ ठीक हो गया. समस्या का कारण बस अनुच्छेद 370 था. उसके निष्प्रभावी किये जाने के साथ कश्मीर में शांति आ गयी, मिलिटेन्सी फुर्र हो गयी! ऐसे दावे तब भी गलत थे और आज भी गलत हैं! हिंसा तब भी हो रही थी, आज भी हो रही है. अशांति और असंतोष तब भी था और आज भी है. कश्मीर अगर एक राजनीतिक समस्या है तो इसका समाधान भी अततः राजनैतिक या वैधानिक तरीके से ही हो सकता है. इसके लिए संवाद जरूरी है. अगर हमारी सरकार तालिबान से संवाद कर सकती है तो अपने ही अविभाज्य अंग: कश्मीर के राजनीतिक नुमायदो से क्यों नहीं करती? कश्मीर मामलों पर दो-दो पुस्तकों के लेखक Urmilesh का विचारोत्तेजक विश्लेषण:
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