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कोरोना के बाद, क्रिकेट की दुनिया में बेहतर प्रबंधन, प्रगतिशील सोच और तर्क से की ज़रूरत होगी

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का चिरस्थायी अनिश्चित्ता वाला देश पाकिस्तान अब कोरोना वायरस की टेस्टिंग में उलझ गया है। आने वाले इंग्लैंड दौरे के लिए एक केंद्रीकृत योजना और तार्किक तैयारी के अभाव में उन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्रिकेट के दोबारा शुरू होने से जो ‘उम्मीद’ हुई थी, वह अब ‘डर’ में बदलती जा रही है।
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एक ऐसा दौर था, जब बारिश आने के पहले अपनी इंद्रियों में होने वाली उत्तेजना से कोई बारिश की घोषणा कर सकता था। एक अहसास होता था, हवा में एक तरह की स्थिरता आ जाती थी और ठंडे झोखे शरीर को छूने लगते थे। इसके बाद हवा में गति आना शुरू होती थी, जैसे कोई संगीत की ध्वनि अपनी तान पकड़ रही हो। फिर माहौल में तेजी आती थी और बारिश शुरू हो जाती थी। जब मौसम अपने खेल में मशगूल हो या कोई खेल बिगाड़ रहा हो, तब बेहतर होता है कि हम किसी छत की आड़ ले लें।

एक ऐसे कस्बे में मेरी परवरिश हुई, जहां भारतीय उपमहाद्वीप में साल में आने वाले दो मानसूनों से खूब बरसात होती थी। इसके चलते मेरे भीतर भी एक छठी इंद्रिय का विकास हो गया, जो बारिश की आहट बखूबी पहचान सकती थी।

लेकिन दिल्ली के बादलों को मैंने अपनी बराबरी का पाया। शहर के आसपास रहने बारिश की अनिश्चित्ता के चलते कोई भी तय तौर पर इसका अंदाजा नहीं लगा सकता। बारिश के पहले मिलने वाले संकेत वहां कोई मायने नहीं रखते। बड़े-बड़े तूफ़ान बन जाएंगे, लेकिन तेज सूरज के सामने तुरंत बिखर भी जाएंगे। दिल्ली में बारिश की अनिश्चित्ता और कामुक प्रवृत्ति का कोई मेल नहीं है। या शायद एक जगह हो भी सकता है। पाकिस्तान क्रिकेट की अनिश्चित्ता और आकर्षण दिल्ली की बारिश जैसा ही है।

पहले एक प्रशंसक, फिर पत्रकार के तौर पर, पिछले चार दशकों से क्रिकेट के पीछे भागते हुए, कई वजहों से मुझे पाकिस्तानी क्रिकेट इश्क हो गया। यह वहां के तेज गेंदबाज़ों द्वारा के जादू और चमक-दमक वाले आक्रामक बल्लेबाजों से शुरू होकर उन्हीं पर खत्म होता है। हालांकि कई बार यह खूबसूरती भारत से हार के बीच दर्द में भी बदल जाती है। अनुभवहीन लेकिन तीखी, हमारे पड़ोसी  प्रेस ब्रीफिंग में जो वाकपटुता दिखाते हैं, वह उनके भीतर की आग की तपिश को महसूस करा देता है। पर पााकिस्तान क्रिकेट की सबसे खूबसूरत बात उसकी ''अनिश्चित्ता'' है। आखिर निश्चित्ता ऊबाऊ जो होती है।

जैसा कहा जाता है, कोई नहीं जानता कि पाकिस्तानी टीम कब किस दिन भारी पड़ जाए। इंग्लैंड के दौरे से पहले यह कहावत बहुत चर्चा में है। पाकिस्तानी टीम की अनिश्चित्ता नई ऊंचाईयों को छू रही है। हम यह भी नहीं जानते कि वहां के कौन से खिलाड़ियों का अंतिम तौर पर इस द्विपक्षीय सीरीज़ के लिए चयन होगा, मैदान पर खेलने वाले ग्यारह की तो बात ही छोड़ दीजिए। 

पाकिस्तानी क्रिकेट और सट्टेबाजी का आपस में भयंकर घालमेल है। कौन सा खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव निकलता है, इस बात के लिए भी वहां सट्टा लग रहा होगा। बता दें इंग्लैंड जाने से पहले पीसीबी अपने खिलाड़ियों का कोरोना टेस्ट कर रहा है। यह तो हंसी-मजाक की बात हो गई, लेकिन मौजूदा स्थितियों की गंभीरता को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। ना ही उसे कम कर आंका जा सकता है।

इंग्लैंड के दौर पर जाने वाली पाकिस्तानी टीम के कोरोना टेस्ट पर हां-ना से हमें वहां क्रिकेट की उलझन भरी स्थिति का अंदाजा लग जाता है। पिछले हफ़्ते के दौरान वहां दस खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। उन्हें क्वांरटीन किया गया और बाकी 20 खिलाड़ियों का चयन कर उन्हें खुद को बचाए रखने के लिए बोला गया।  दो दिन बाद उन दस पॉजिटिव खिलाड़ियों में से 6 की रिपोर्ट दोबारा किए गए टेस्ट में नेगेटिव आ गई। पीसीबी साफ़ कर चुकी है कि ठीक हो चुके खिलाड़ियों को इंग्लैंड भेजने के लिए विचार किया जाएगा। बशर्ते वह एक राउंड की टेस्टिंग में और नेगेटिव साबित हो जाएं। इतने सारे खिलाड़ियों की रिपोर्ट नेगेटिव आना खुशी की बात है, लेकिन एक राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों का इतनी बड़ी संख्या में संक्रमित होना हमें इस सीरीज़ के लिए पीसीबी के प्रबंधन के बारे में भी बताता है। यह सीरीज़ सिर्फ़ पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे वैश्विक क्रिकेट के लिए एक बड़ा मौका है।  

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को दोबारा शुरू करने में बहुत कुछ दांव पर लगा है। यह अगले हफ़्ते इंग्लैंड में शुरू हो रही है। वहां इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ के बीच टेस्ट खेले जाएंगे। इस सीरीज़ के बाद पाकिस्तान, इंग्लैंड में अगस्त-सितंबर के महीनों में तीन टेस्ट और T20 मैच खेलेगा। इंग्लैंड ने वहां खेल के लिए प्रोटोकॉल बनाए हैं, जिन्हें वहां जारी फुटबॉल के खेल से उधार लिया गया है। वहां 17 जून को प्रीमियर लीग शुरू हो चुकी है। यूरोप में बुंडसलीगा और ला लीगा भी शुरू हो चुकी हैं। प्रीमियर लीग ने इंग्लैंड में सफलतापूर्वक एक प्रोटोकॉल बनाया है, ताकि खेल को बंद माहौल में नियंत्रण में रखा जा सके। दर्शक खेल का लुत्फ ब्रॉडकॉस्टिंग के ज़रिए उठाएंगे।

यूरोपीय फुटबॉल क्लबों ने गेम के दोबारा शुरू होने पर जिस तरीके से खिलाड़ियों को सुरक्षित रखा था, पीसीबी को भी अपने खिलाड़ियों को अब वैसे ही रखना होगा। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। पीसीबी ने अपने खिलाड़ियों-अधिकारियों को जानकारी देने और एक सुरक्षित व्यवस्था बनाने के बजाए, उन्हें टेस्टिंग सेंटर पर बुला लिया था। इस कदम से सभी को ऐसी स्थिति में डाल दिया गया, जिससे उन लोगों की जान पर बन आई और बोर्ड के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई। 

अब तक काशिफ भट्टी, हेरिस रऊफ, हैदर अली और इमरान खान दोबारा हुई टेस्टिंग में भी पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं मोहम्मद हसनैन, शादाब खान, फख़र ज़मान, मोहम्मद रिज़वान, मोहम्मद हफीज़ और वहाब रियाज़ शनिवार को नेगेटिव पाए गए। लेकिन यह खिलाड़ी फिलहाल दौर के लिए चयनित 20 खिलाड़ियों में शामिल नहीं होंगे। 

पीसीबी के एक़्जीक्यूटिव चीफ वसीम खान ने एक स्टेटमेंट में कहा, ''यह खिलाड़ी बिना लक्षण वाले थे। इसका मतलब है कि इनके दोबारा फिट होने की गुंजाइश दूसरों से ज़्यादा बेहतर है। जैसे ही यह पीसीबी की टेस्टिंग प्रक्रिया में दोबारा नेगेटिव आते हैं, इन्हें टीम में शामिल होने के लिए इंग्लैंड भेजा जाएगा।''

अब सवाल पीसीबी के टेस्टिंग प्रोटोकॉल पर हैं। क्योंकि मोहम्मद हाफीज़ के मामले से इसमें काफ़ी उलझन बन गई है। बोर्ड के कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद हफीज़ ने अपना और परिवार का एक निजी लैब में दोबारा परीक्षण करवाया था, जहां उनके रिजल्ट नेगेटिव आए।

यह सही बात है कि कोरोना वायरस के टेस्ट गलत तरीके से नेगेटिव और पॉजिटिव रिजल्ट दे देते हैं, इससे निपटने के लिए ही पीसीबी ने रिजल्ट की घोषणा करने से पहले दोबारा टेस्टिंग का उपाय अपनाया है। इस पूरी घटना से सीरीज़ के पहले सभी जरूरी इंतज़ाम करने में पीसीबी की योजनागत् कमी दिखाई देती है। टेस्टिंग के बवंडर के बावजूद भी पीसीबी धीमी गति से सीख रही है। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक़ बोर्ड ने ट्वेंटी-ट्वेंटी के स्पेशलिस्ट शोएब मलिक को इस सीरीज़ के पहले भारत जाकर अपने परिवार से मिलने की इज़ाजत दे दी। वे टेस्ट सीरीज़ के बाद, ट्वेंटी-ट्वेंटी के लिए इंग्लैंड जाकर पाकिस्तानी टीम का हिस्सा बनेंगे।

पीसीबी के सीईओ के मुताबिक़, ''पहले अगस्त में टेस्ट सीरीज़ खेली जाएगी। कोच मिस्बाह-उल-हक रविवार को यात्रा करने वाले खिलाड़ियों के समूह से संतुष्ट हैं। फिलहाल लाल गेंद से तैयारियां करने पर जोर रहेगा।''

मौजूदा स्थितियों में मलिक का टीम के साथ बाद में जुड़ना समझा जा सकता है, लेकिन यह बेहतर होता कि मैच शुरू होने तक वे पीसीबी टीम प्रबंधन की नज़र में रहते। मौजूदा हालात इस तरीके के कठिन प्रावधानों की मांग करते हैं। अगर मलिक खेल के साथ अपने साथी खिलाड़ियों और परिवार की सुरक्षा के लिए गंभीर हैं, तो उन्हें भी इस मुद्दे पर ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।

इंग्लैंड में कई पाकिस्तानी खिलाड़ियों के करीबी दोस्त और परिवार के लोग आसपास होंगे। वेस्टइंडीज़ के लिए भी ऐसा ही है। कई लोग वहां कर्फ्यू और सुरक्षित माहौल तोड़ने के लिए भी मजबूर हो सकते हैं। अच्छी बात है कि पीसीबी ने इन चीजों को ध्यान में रखा है और खिलाड़ियों तक जरूरी दिशानिर्देश और समझ पहुंचा दी है। इसके लिए अब बोर्ड को क्रियान्वयन के एक तार्किक तरीके के बारे में सोचना चाहिए, जो न केवल इस महामारी, बल्कि इसके बाद एक अच्छे योजनागत् भविष्य में भी मददगार साबित होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, पीसीबी इस साल पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) के मैच कराने की योजना भी बना रही है। हमें सिर्फ इतनी आशा है कि पीएसएल के मैच कराए जाने के दौरान बेहतर सोच लगाकर, अच्छा क्रियान्वयन किया जाए।

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इंग्लैंड बनाम् वेस्टइंडीज़ सीरीज़: पर्यावरणीय घेरे में होगा खेल

जुलाई में होने वाली इंग्लैंड बनाम् वेस्टइंडीज़ की सीरीज़ के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी हो चुकी है। यह सीरीज़ बंद स्टेडियम में होगी, जहां होटलों की सुविधाएं स्टेडियम में ही होंगी।

बीसीसीआई का क्रिकेट को शुरू न करने का फ़ैसला अचानक न्यायसंगत समझ में आ रहा है। बोर्ड का अपने अनुबंधित खिलाड़ियों का केंद्रीकृत प्रशिक्षण शुरू न करवाना या द्विपक्षीय सीरीज़ों से दूर रहने का फ़ैसला सही साबित हुआ है। एक तरफ अपने और आईपीएल के व्यापारिक हित बचाते हुए बोर्ड अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में असहयोग को अपने खिलाड़ियों के बचाव के लिए उठाया गया कदम बोलकर सही बता सकता है। 

लेकिन फिर यूरोप और लीग के सभी बड़े फुटबॉल क्लब, इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड और वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड समेत सभी अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। मैं यकीन से ऐसा कह सकता हूं, तभी तो खेल को शुरू करने और अपने नुकसान को कम करने के लिए, आईसोलेशन प्रोटोकॉल का सहारा लिया जा रहा है। खिलाड़ी, कोच और सपोर्ट स्टॉफ अब एक ऐसी जिंदगी को अपना रहे हैं, जिसके नियम पूरी तरह खेल की भावना के खिलाफ़ हैं। लेकिन आज की अनिश्चित्ता में यह नियम अनिवार्य हैं।

जैसा कहा जाता है, आवश्यकता इंसानी प्रवृत्ति और कोशिशों का सबसे बेहतर हासिल निकाल कर सामने लाती है। इंग्लैंड में द्विपक्षीय सीरीज़ से आर्थिक वास्तविकताओं के बीच सभी पक्षों को अपनी नाक पानी से बाहर रखने में मदद मिलेगी। इसलिए खेल में शामिल खिलाड़ियों, प्रबंधनकर्ताओं और दूसरे दावेदारों के लिए इस कोशिश का सफल होना जरूरी हो जाता है। क्रिकेट को अब अपने अनुकूलन की जरूरत है, ताकि यह पूरा घटनाक्रम एक आपदा न बन जाए। पीसीबी को स्थिति की गंभीरता अच्छे तरीके से समझकर हाथ डालना चाहिए था।

यहां खेलने वाली टीमों और उनके बोर्ड की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ खुद तक सीमित नहीं है। इस खेल के बड़े नतीज़े होंगे। कोई भी गलत कदम पहले से ही मुश्किल में फंसे खेल को अपने जीने-मरने पर मजबूर कर देगा।

वेस्टइंडीज़ और पाकिस्तान को क्रिकेट के लिए मोर्चे पर कोरोना वायरस से जूझते देखना भीतर से अच्छा लगता है। इन टीमों ने अपने जादुई खेल से क्रिकेटप्रेमियों को जितना मुग्ध किया है, उतना ही हैरान अपने अन्त:विस्फोट से भी किया है। यह टीमें कोरोना के दौर में बिना तैयारियों के पकड़ी गईं, बिलकुल वैसे ही जैसे कोई दिल्ली में एक दम से आई बारिश में पूरी तरह से भीग जाए। क्रिकेट और बारिश की अनिश्चित्ताओं में गज़ब का आकर्षण है। काश कोई इस महामारी की अनिश्चित्ता के बारे में ऐसा कह सकता! लेकिन जल्द ऐसा होगा, एक वक़्त में एक मैच और एक ही दौरा सही है।

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Post Covid-19 Cricket World Needs Better Management, Progressive Thinking and Adherence to Logic | Outside Edge

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