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प्रयागराज के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज मामले में योगी सरकार घिरी, सफ़ाई पर भी उठे सवाल

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलने वालों के विरुद्ध ही करवाई की जा रही है। जिसके चलते पत्रकार से लेकर अधिकारी तक प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोल पा रहे हैं।
सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज
फोटो साभार: दैनिक भास्कर

उत्तर प्रदेश में 69 हज़ार शिक्षक भर्ती घोटाले का खुलासा करने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज (एसएसपी प्रयागराज) को प्रतीक्षारत सूची में डालने को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। विपक्ष भी इसे लेकर सरकार पर हमलावर है। हालांकि अब सरकार की और से सफ़ाई दी जा रही है कि सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन इस सफाई पर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं।

विपक्ष ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की भ्रष्टाचार के विरुद्ध शून्य सहनशीलता (Zero tolerance) नीति मात्र एक जुमला है। क्यूँकि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध बोलने वालों के विरुद्ध ही करवाई की जा रही है। जिसके चलते पत्रकार से लेकर अधिकारी तक प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोल पा रहे हैं।

सोमवार शाम उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया। इसमें 69 हज़ार शिक्षक भर्ती घोटाले का ख़ुलासा करने वाले आईपीएस अधिकारी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का नाम भी शामिल है। सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज प्रयागराज के एसएसपी थे। उनको वेटिंग लिस्ट यानी प्रतीक्षारत सूची में रखा गया है। 

क्या है 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामला?

उत्तर प्रदेश का 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामला, बीते कई महीनों से कभी प्रोटेस्ट तो कभी हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते की सुर्खियों में रहा है। पिछले दिनों इस मामले में मिली शिकायतों पर एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने तत्काल संज्ञान लेते हुए जांच कराई थी।

बीते 9 जून को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की अपील पर सुनवाई करते हुए 69000 पदों में से 37,339 पदों को होल्ड करने का आदेश दे दिया है। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है कि शिक्षामित्रों के कितने अभ्यर्थियों ने आरक्षित वर्ग की 40 और सामान्य वर्ग के 45 फीसदी के कटऑफ पर परीक्षा पास की है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई 2020 की तारीख तय की है।

इसे पढ़ें : यूपी: 69 हज़ार शिक्षक भर्ती से लेकर फ़र्ज़ी नियुक्ति तककितनी ख़ामियां हैं शिक्षा व्यवस्था में?

पीपीई किट प्रकरण

इससे पहले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों को दी जा रही पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट पर सवाल उठे  थे। यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से कई मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पीपीई किट की सप्लाई की गई थी। परंतु वह मानक पर खरी नहीं उतरी थी। इस मामले में उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 24 मेडिकल कॉलेज को पत्र लिख कर पीपीई किट सप्लाई तुरंत वापस किया जाने को कहा था। 

विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने इस मामले में भी भ्रष्टाचार को गंभीरता से नहीं लिया। बल्कि इस बात की जाँच के आदेश एसटीएफ़ को दिए गए की चिकित्सा शिक्षा विभाग का मेडिकल कॉलेजों को लिखा पत्र मीडिया तक कैसे पहुँच गया। जबकि जाँच इस बात की होनी चाहिए थी कि कोविड के बदले स्वाइन फ़्लू की किट कैसे सप्लाई हो गई। जिससे कोविड का इलाज कर रहे हज़ारों डाक्टरों और स्वस्थकर्मियो की जान ख़तरे में पड़ सकती थी।

विपक्ष का हंगामा

इस समय विपक्ष सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज के ट्रांसफर को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने में लगा है। विपक्ष के अलावा सोशल मीडिया पर भी प्रयागराज के एसएसपी के ट्रांसफर को लेकर सरकार से सवाल किए जा रहे हैं।

कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा है कि “ ऐसे अफसरों को पब्लिक का पूरा समर्थन मिलना चाहिए जो ईमानदारी से, निर्भय होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं।” प्रियंका गांधी ने लिखा की आईपीएस सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज के ट्रांसफर से 69 हज़ार शिक्षक भर्ती घोटाले की जाँच को नुक़सान नहीं होना चाहिए।

वहीं कांग्रेस के स्थानीय नेता ज़ीशान हैदर ने कहा है कि प्रयागराज के एसएसपी को न सिर्फ़ ट्रांसफर किया गया बल्कि उनको प्रतीक्षारत सूची में रखा गया है। ताकि वह कहीं और रहकर भी काम नहीं कर सकें। उन्होंने कहा कि इतने बड़े घोटाले का खुलासा करने वाले अधिकारी का ट्रांसफर करके प्रदेश कि सरकार ने ईमानदार अधिकारियों का मनोबल तोड़ा है। अब कोई भी अधिकारी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ करवाई करने से डरेगा। इससे पहले भी सरकार के पीपीई के मामले में भी उन लोगों जाँच के आदेश हुए थे, जो ख़बरों के ज़रिए मामले को प्रकाश में लाये थे।

प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी आईपीएस सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज के ट्रांसफर पर संदेह ज़ाहिर किया है। सपा नेता और मंत्री प्रो. अभिषेक मिश्रा ने कहा कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध शून्य सहनशीलता मात्र एक जुमले से ज़्यादा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार हर उस आवाज़ को दबाना चाहती है जो उसके कार्यकाल के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उठे। पूर्व मंत्री प्रो. अभिषेक मिश्रा ने कहा कि प्रयागराज के एसएसपी का ट्रांसफर कर के यह संदेश दिया गया है कि जो अधिकारी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ बोलेगा उसको अंजाम भुगतना होगा।

वामपंथी पार्टी सीपीआई (एम) ने कहा है कि शिक्षक भर्ती घोटाला उत्तर प्रदेश का व्यापमं घोटाला है, जिसको सरकार दबाना चाहती है। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेम नाथ राय का आरोप है कि सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का ट्रांसफर इसलिए किया गया क्यूँकि सरकार  भ्रष्टाचार में लिप्त कुछ बड़े लोगों को बचाना चाहती है।

उन्होंने कहा कि अब दबाव पड़ने से सरकार आईपीएस अधिकारी को कोविड संक्रमित बता रही है। जबकि ट्रांसफर के समय ऐसी कोई बात नहीं कही गई थी। अगर वह कोविड संक्रमित है तो उनको ट्रांसफर नहीं क्वारंटाइन करना चाहिए है और किसी अधिकारी को चार्ज दे देना चाहिए था। उनको स्वस्थ होने के बाद दोबारा प्रयागराज का एसएसपी बनाना चाहिए।

सोशल मीडिया पर विरोध

सोशल मीडिया पर भी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज के प्रतीक्षारत सूची में डालने को लेकर लोग लिख रहे हैं। अमिताभ ठाकुर का कहना है” पूर्व SSP प्रयागराज सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने 69000 शिक्षक भर्ती में बहुत अच्छा काम किया था. पिछले दिनों जब मैं प्रयागराज गया था तो कई लोगों ने उनके कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की थी. उनके प्रतीक्षारत होने से कई लोग दुखी एवं चिंतित दिख रहे हैं, जो उनकी वास्तविक उपलब्धि है। ”

नदीम जावेद ने ट्विटर पर लिखा है “ यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती घोटाला, उजागर करने वाले एसएसपी प्रयागराज को हटाया जाना घोटालेबाजों की सरकार में पैंठ का सबूत है। घोटाले में भाजपा नेताओं के नाम आते ही भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात करने वाली यूपी सरकार पार्टी की साख बचाने में लग गई । #यूपी_का_व्यापमं_घोटाला।

पीपीइ प्रकरण और एसएसपी प्रयागराज के ट्रांसफर वरिष्ठ पत्रकार मुदित माथुर कहते हैं की अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर प्रश्न उस समय तक उठते रहेंगे जब तक न्यायपालिका के बताए पुलिस सुधार अमल में नहीं आते हैं। अभी तक उत्तर प्रदेश में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर कोई स्थायी नहीं है। मुदित माथुर कहते हैं नागरिकों की आवाज़ को दबाया जा सकता है, तब वह अपनी आवाज़ को उठाने के लिए कोई ना कोई रास्ता निकाल लेते हैं। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में इन्दिरा गांधी ने देख लिया था की जनता की आवाज़ दबाने का क्या नतीजा होता है।

शासन का आधिकारिक बयान नहीं आया

 उत्तर प्रदेश शासन के सूत्रों के अनुसार प्रयागराज के पूर्व एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इससे पूर्व उनका गनर संक्रमित मिला था, जिसके बाद उनका सैंपल लिया गया था। हालाँकि इसपर अब भी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज को प्रतीक्षारत सूची में डालने के समय भी उनको कोरोना होने की बात नहीं कही गई थी।

स्वयं सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने भी ट्रांसफर होने के बाद प्रयागराज के नागरिकों के नाम ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने अपने ख़राब स्वास्थ बारे में कुछ नहीं लिखा है। उन्होंने लिखा, “एस एस पी प्रयागराज पद पर रहते हुए प्रयागराज की जनता ने जो प्यार और भरोसा दिया उसका मैं सदैव आभारी रहूँगा। आपका यह भरोसा पुलिस पर सदैव बना रहे यही कामना है । प्रयागराजवासियों को अशेष शुभकामनायें”  सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज।”

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