रवीश कुमार को ट्रोल करने वाले शख्स को प्रधान मंत्री क्यों फॉलो करते हैं ?
22 सितम्बर को NDTV के पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर वाट्सएप्प के कई स्क्रीन शॉट पोस्ट किये । उनमें से एक स्क्रीन शॉट पर लिखा था "मुझे दुख है कि तू जीवित है ". उनका आरोप था कि “ऊँ धर्म रक्षति रक्षित:” नामक एक वाट्सएप्प ग्रुप में सिर्फ गाली देने के मकसद से उन्हें ऐड किया जाता है। रवीश ने अपने पोस्ट में कहा कि अगर वो इस ग्रुप से खुद को हटा लेते हैं तो भी उन्हें फिर से ऐड कर लिया जाता है। इसके बाद ऑल्ट न्यूज़ ने इस मामले में जाँच करी और उन्हें ये पता चला कि जो व्यक्ति उन्हें गलियां दे रहा था उसे ट्विटर पर प्रधान मंत्री फॉलो करते हैं।
ऑल्ट न्यूज़ ने अपनी जाँच में ये भी पाया कि जिस नंबर से रवीश कुमार को ये बात कही गयी थी , उसे आंजनेय एक्सपोर्ट्स नामक एक कंपनी द्वारा काफी प्रचारित किया जाता है । जब इस कंपनी के बारे जाँच की गयी तो पता चला कि इसके मैनेजिंग पार्टनर नीरज दावेल नामक शख्स हैं। ये नंबर वही नंबर है, जो नीरज दावेल के ट्विटर और वाट्सएप्प अकाउंट दोनों पर नज़र आता है । इसका अर्थ ये निकाला गया कि ये नंबर नीरज दावेल नामक शख्स का ही है , जिनके 2012 के एक ट्वीट से ये पता चलता है कि उनकी बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी से करीबी रही है। इसके साथ ही उनको ट्विटर पर खुद प्रधान मंत्री फॉलो करते हैं। “ऊँ धर्म रक्षति रक्षित:” नाम के इस ग्रुप के एक एडमिन हैं जिनका नाम आकाश सोनी है। इनकी वाट्सएप्प पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ डिस्प्ले पिक्चर है। साथ ही इनका फेसबुक पर खुद का पेज और एक पर्सनल प्रोफाइल है ,जिस पर बीजेपी के कई नेताओं के साथ इनकी कई तस्वीरें हैं। इसके साथ ही आकाश सोनी नाम के इस शख्स ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त , रवीश कुमार और अभिसार शर्मा जैसे पत्रकारों का प्राइवेट नंबर भी पोस्ट किया हुआ है। इसी वाट्सएप्प ग्रुप से निखिल दाधीच भी जुड़े हुए हैं, जिन्होंने हाल में गौरी लंकेश की मौत पर "एक कुतिया कुत्ते की मौत मरी " लिखा था और उन्हें भी प्रधान मंत्री फॉलो करते हैं।
ये पहली बार नहीं है कि बीजेपी सरकार पर सवाल उठाने वालों को सोशल मीडिया पर धमकियाँ मिली हों। बल्कि ये घटना बहुत सी घटनाओं के क्रम में एक और उदाहरण है । पिछले साल रामजस कॉलेज में abvp की गुंडा गर्दी के खिलाफ जब दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा गुरमेहर कौर ने आवाज़ उठाई तो उसे इस ट्रोल आर्मी द्वारा रेप करने की धमकियाँ तक मिली थीं । उनका एक पुराना वीडियो वायरल किया गया था, जिसमें उन्होंने "पाकिस्तान डिड नॉट किल माय फादर वॉर डीड " लिखा था। इस वीडियो को ये कहकर वायरल किया गया कि वो देशद्रोही हैं और पाकिस्तान परस्त हैं।
इसी साल अरुंधती रॉय से सम्बंधित एक नकली खबर पर उन्हें ट्रोल किया गया। इस नकली खबर पर गौतम गंभीर और बीजेपी के संसद परेश रावल ने भी ट्वीट किया। परेश रावल ने अपनी प्रतिक्रिया में ये तक लिखा कि ''पत्थरबाज़ों की जगह अरुंधती रॉय को आर्मी की जीप के सामने बाँधना चाहिए I" वो कश्मीर में हुए उस वाकये की बात कर रहे थे जब आर्मी की जीप पर एक शख्स को बांधा गया था ,जिस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आयी थीं। बरखा दत्त को लगातार ट्रोल किया जाना तो अब आम बात हो गयी है, उन्हें लगातार अभद्र और भद्दी बातें कही जाती हैं। बूम.कॉम जो नकली खबरों को उजागर करता है कि मई रिपोर्ट के अनुसार बरखा दत्त की एक नकली फोटो सोशल मीडिया पर फैलाई गयी थी, जिसमें उनको पाकिस्तानी झंडा हाथ में लिए दिखाया गया है।
हाल ही में पश्चिम बंगाल में जब दंगे हुए तो आर एस एस के लोगों ने दो पोस्टर जारी किए। एक पोस्टर का कैप्शन था, "बंगाल जल रहा है" , उसमें प्रोपर्टी के जलने की तस्वीर थी। दूसरे फोटो में एक महिला की साड़ी खींची जा रही थी और कैप्शन था "बंगाल में हिन्दू महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है" । बहुत जल्दी ही इस फोटो का सच सामने आ गया। पहली तस्वीर 2002 के गुजरात दंगों की थी जब मुख्यमंत्री मोदी ही सरकार में थे। दूसरी तस्वीर में भोजपुरी सिनेमा के एक सीन की थी।
ट्रोल आर्मी और फेक न्यूज़ दोनों साथ साथ चलते हैं और एक दूसरे के पूरक साबित होते हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण है पिछले साल JNU की घटना जब डॉक्टरड वीडियो के चलते कन्हैया कुमार और उमर खालिद के खिलाफ ज़बरदस्त नफ़रत फैलाई गयी। इसमें ज़ी न्यूज़ और टाइम्स नाउ पर डॉक्टरड वीडियो चलाने और नफ़रत फ़ैलाने के आरोप लगे थे। इस घटना से ये साबित हुआ था कि ट्रॉलिग करने और नकली खबरें फैलाने के खेल में न्यूज़ चैनल्स खुद शामिल रहे हैं । रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ लगातार फैलाई जा रही नकली खबरें और उनका साथ देने वालों को ट्रोल किया जाना भी इसका एक और उदाहरण है।
इस पूरी प्रक्रिया को ध्यान से देखा जाये तो पता लगता है कि यह सब सुनियोजित तौर से किया जाता है। जब भी मौजूदा सरकार किसी भी मुद्दे पर मुश्किल में आती है उसके लोगों द्वारा संचालित ट्रोल आर्मी सवाल करने वालों को गाली देना शुरू कर देती है। इसके साथ ही सवाल पूछने वाले लोगों के खिलाफ नकली खबरें भी फैलाई जाती है। बहुत बार ये नकली प्रोफाइलों द्वारा किया जाता है जिससे इन लोगों को ट्रैक न किया जा सके। अगर इन ट्रोल्स के निशाने पर कोई महिला हो तो उसे अभद्र गलियां दी जाती है , उसे चरित्रहीन कहा जाता है यहाँ तक की उसे रेप कर देने की धमकियां भी दी जाती हैं। इस मामले में गुरमेहर कौर के अलावा कविता कृष्णन और श्रुति सेठ का उदाहरण भी दिया जा सकता है। इन दोनों को सेल्फी विद डॉटर मुहिम पर सवाल उठाने पर 2015 में सोशल मीडिया पर भद्दी बातें कहीं गयी थी। इन ट्रोल आर्मी के लोगों को पैसे दिए जाते हैं और इनका काम बस लोगों को चुप करना है।
रवीश कुमार के साथ जो हुआ वो एक बड़े खेल का हिस्सा है, जिसमें सवाल करने वाली आवाज़ों को दबाने की कोशिश की जा रही है। ये फासीवादी प्रवृत्ति से प्रेरित है और लगातार भय का माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है। इस राजनीति को तथ्यों के साथ चुनौती देना ज़रूरी है वर्ना ये सवाल करने की संस्कृति को ख़तम कर देगी ।
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