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हम यूक्रेन की निष्पक्षता पर बातचीत करने के लिए प्रतिनिधि मंडल भेजने को तैयार- रूस

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ कीव और यूक्रेन के अन्य शहरों के आसपास लड़ाई चल रही है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की शरणार्थी संस्था के मुताबिक़, इस युद्ध की वज़ह से फिलहाल 1 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार, 25 फरवरी को कहा कि वे यूक्रेन की निष्पक्षता पर बात करने के लिए मिंस्क में प्रतिनिधिमंडल भेजने के लिए तैयार हैं। इसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दिमिर जेलेंस्की ने पुतिन को फोन किया, जो अपने देश के लोगों से लड़ने की अपील करने के साथ-साथ पुतिन से बैठकर बात करने की अपील भी कर रहे थे। इस बीच मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ यूक्रेन की राजधानी कीव के आसपास और दूसरे शहरों में लड़ाई जारी है।

इससे पहले जेलेंस्की ने कहा था कि रूसी हमले में नागरिक और सैन्यकर्मियों को मिलाकर अब तक 137 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं। जेलेंस्की ने रूस के खिलाफ़ और भी ज़्यादा कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की अपील की है। इस बीच स्थानीय अधिकारियों ने दावा किया है कि डोनेत्सक गणराज्य में यूक्रेन के सैनिकों की भारी गोलाबारी में कम से कम दो दर्जन नागरिकों की मौत हो चुकी है। 

यूक्रेन सरकार द्वारा जारी वक्तव्य के मुताबिक़, रूसी सैनिकों ने देश के उत्तरी इलाके में चेर्नोबिल क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया है। गुरुवार को यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थानीय प्रशासन ने बड़े धमाके के बाद रात के कर्फ्यू का ऐलान कर दिया। यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा कि यह धमाके दुश्मन के रॉकेट पर जवाबी हमले के चलते हुए हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि यह धमाका एक रूसी जंगी विमान में हुआ था, जिसके ऊपर इंटरसेप्टर से हमला किया गया था, जिसके चलते यह विमान एक बिल्डिंग पर आकर गिरा।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की शरणार्थी संस्था के मुताबिक़, इस जंग के चलते अब तक 1 लाख से ज़्यादा लोगों का विस्थापन हो चुका है। यूक्रेन के अधिकारियों ने यह दावा भी किया कि रूसी सैनिकों ने खार्कीव पर भी हमला करना शुरू कर दिया है, जो यूक्रेन में दूसरा सबसे बड़ा शहर है और डोंबास क्षेत्र के पास स्थित है।

बता दें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के सुरक्षाबलों को डोंबास रिपब्लिक पर हमला करने से रोकने के लिए एक "विशेष ऑपरेशन" की अनुमति के बाद रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में प्रवेश किया था।  पुतिन ने कहा कि यह कदम यूक्रेन के "असैन्यकरण" और "नाजीवादी प्रवृत्ति को खत्म" करने के लिए भी है। यूरोपीय संघ, अमेरिका और नाटो के सदस्यों ने इसे यूक्रेन पर "पूर्ण हमला" करार दिया है और उन्होंने गुरुवार को रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की।  

लगातार उभरती चिंताएं

नाटो द्वारा लगातार पूर्ववर्ती विस्तार और अपनी सीमाओं के पास नाटो द्वारा सैन्य तैनाती के डर को वज़ह बताते हुए रूस लंबे वक़्त से अमेरिका और नाटो से यह विस्तार रोकने और यूक्रेन को कभी नाटो में शामिल ना करने के वायदे की अपील कर रहा था। लेकिन नाटो और यूक्रेन दोनों ने ही इस तरीके का भरोसा नहीं दिया और यहां तक कहा कि रूस की इन मांगों पर विचार-विमर्श भी संभव नहीं है।

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने आरटी को दिए एक इंटरव्यू में रूसी कार्रवाई के लिए पश्चिम पर दोषारोपण करते हुए कहा कि उन्होंने पिछले 8 साल में डोंबास क्षेत्र में यूक्रेन द्वारा की जाने वाली हिंसा को नजरंदाज़ किया। जिसके चलते रूस को कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने पुतिन के दावे को दोहराते हुए कहा कि "यहां मुख्य उद्देश्य पिछले 8 सालों से जारी युद्ध को बढ़ने से रोकना और उसका खात्मा करना है।"

बता दें मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग और रूस के अन्य शहरों में गुरुवार शाम को युद्ध का विरोध करते हुए सैकड़ों लोग सड़कों पर निकले और टकराव का खात्मा करने की अपील की। रूस के सुरक्षाबलों ने कोविड प्रोटोकॉल औक सार्वजनिक कानून व्यवस्था के भंग होने का हवाला देते हुए सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया। इन विरोध प्रदर्शनों का रूस की विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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