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संसद सत्र की शेष अवधि के लिए 14 सांसद निलंबित, विपक्ष ने कहा ‘लोकतंत्र का निलंबन’

संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर दोनों सदनों में गहमागहमी के बीच ‘अशोभनीय आचरण’ तथा आसन की अवमानना को लेकर विपक्षी दलों के कुल 14 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।
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नयी दिल्ली: संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे को लेकर बृहस्पतिवार, 14 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और इस दौरान ‘अशोभनीय आचरण’ तथा आसन की अवमानना को लेकर विपक्षी दलों के कुल 14 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।

निलंबित किए गए सांसदों में लोकसभा के 13 सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन को निलंबित किया गया है।

लोकसभा में पहले कुल 14 सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव पारित हुआ था, हालांकि बाद में सरकार ने द्रमुक सांसद एस.आर. पार्थिबन के निलंबन को वापस ले लिया, जो सदन में उपस्थित नहीं थे। उनका नाम त्रुटिवश निलंबित किए जाने वाले सदस्यों की सूची में शामिल हो गया था।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि आज दिन में निलंबित लोकसभा सदस्यों की सूची में से पार्थिबन के नाम को वापस ले लिया गया है। उन्होंने कहा कि सदस्य की पहचान करने में कर्मियों की ओर से गलती हुई थी।

विपक्षी दलों ने इस निलंबन को ‘‘लोकतंत्र का निलंबन’’ करार दिया तथा दावा किया कि यह सुरक्षा में चूक के विषय से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है।

लोकसभा में कांग्रेस के वीके श्रीकंदन, बेनी बेहनन, मोहम्मद जावेद, मणिकम टैगोर, टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस, द्रमुक की कनिमोई, प्रतिबन, माकपा के एस वेंकटेशन और पी आर नटराजन तथा भाकपा के के. सु्ब्बारायन का निलंबन हुआ है।

संसदीय कार्य मंत्री ने एक बार पांच और दूसरी बार नौ सांसदों के निलंबन के नाम का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इनमें द्रमुक सांसद पार्थिबन का नाम भी था जो सदन में मौजूद नहीं थे। बाद में उनका निलंबन वापस हुआ।

सांसदों के निलंबन के बाद लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओब्रायन को ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए बृहस्पतिवार को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।

सभापति जगदीप धनखड़ के बार-बार निर्देश देने के बाद भी सदन से बाहर नहीं जाने पर यह मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया।

संसद की सुरक्षा में चूक पर चर्चा की विपक्षी सदस्यों की मांग और ओब्रायन से जुड़े मुद्दे को लेकर सदन की कार्यवाही दिन भर बाधित रही और निर्धारित समय से पहले ही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

सभापति ने राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति को ओब्रायन के आचरण की जांच करने और तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 14 सांसदों के निलंबन को लेकर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे लोकतंत्र के मंदिर संसद की सुरक्षा को खतरे में डालने के बाद भाजपा अब आवाज उठाने वालों पर ही वार कर रही है। विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित करना लोकतंत्र का निलंबन है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनका अपराध क्या है? क्या केंद्रीय गृह मंत्री से सदन में बयान देने का आग्रह करना अपराध है? क्या सुरक्षा में सेंध लगने पर चर्चा करना अपराध है? क्या यह तानाशाही के उस पहलू को रेखांकित नहीं करता, जो वर्तमान व्यवस्था की पहचान बन गई है?’’

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘कल लोकसभा में जो हुआ वह अत्यंत चिंताजनक था। आज लोकसभा में जो कुछ हुआ, वह बिल्कुल विचित्र है। तमिलनाडु के एक सांसद, जो सदन में मौजूद भी नहीं थे और नयी दिल्ली से बाहर थे, उन्हें कार्यवाही में बाधा डालने के लिए निलंबित कर दिया गया! संसद में घुसपैठ करने वालों के मददगार भाजपा सांसद को कोई अंजाम नहीं भुगतना पड़ेगा।’’

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘अपनी (सरकार की) नाकामियों और खामियों से ध्यान भटकाने के लिए सांसदों का निलंबन किया गया है। इस सरकार में बड़ी क्रूरता के साथ लोकतंत्र की बलि दी जा रही है। न जाने ये लोग देश को कहां ले जाएंगे। मोदी है तो देश का मुश्किल है।’’

चौधरी ने कहा कि अब आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में शुक्रवार को फैसला किया जाएगा।

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा, ‘‘यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद से कई सदस्यों को बिना किसी उचित कारण के निलंबित किया जा रहा है। सरकार सांसदों को निलंबित करने की एकतरफा कार्रवाई कर रही है। उन्होंने (निलंबित सांसदों ने) कल हुई सुरक्षा चूक का विरोध किया है। विरोध करना विपक्षी नेताओं का वैध अधिकार है।’’

निर्दलीय राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘अगर सरकार को विपक्ष की ज़रूरत नहीं है, तो उन्हें सभी को निलंबित कर देना चाहिए। वे नहीं चाहते कि कोई सवाल पूछा जाए। हम कह रहे हैं कि गृह मंत्री आएं और स्थिति स्पष्ट करें।’’

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से हाल ही में निलंबित सांसद दानिश अली ने कहा, ‘‘यह सरकार ‘पास्ट मोड’ से बाहर नहीं निकल पा रही है। कल की घटना के बारे में भी संसदीय कार्य मंत्री 1971-72 से शुरू कर रहे हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बोलते हैं तो पंडित जवाहरलाल नेहरू से शुरू करते है। यह बताएं कि कल की घटना के लिए कौन जिम्मेदार है ।’’

उन्होंने महुआ मोइत्रा के मामले का हवाला देते हुए कहा, ‘‘अगर पासवर्ड वाले (महुआ मोइत्रा) को निष्कासित करवा दिया, तो पास वाले (प्रताप सिम्हा) को निष्कासित क्यों नहीं कर रहे हैं।’’

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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