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धन्यवाद... शुक्रिया... थैंक यू--मोदी जी

बड़ा वाला थैंक यू--भक्तों को थैंक यू करने का मौका देने के लिए। वर्ना आप से क्या छुपा है कि कोरोना की महामारी ने कैसा हाल-बेहाल कर रखा था।
धन्यवाद... शुक्रिया... थैंक यू--मोदी जी
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद--मोदी जी!

शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया--मोदी जी!

थैंक यू, थैंक यू, थैंक यू--मोदी जी!

हार्दिक धन्यवाद--सारे इंडिया वालों को टीका लगाने का और वह भी मुफ्त में टीका लगाने का वादा करने के लिए।

तहेदिल से शुक्रिया--कश्मीर को खुली जेेल बनाने के दो साल भी पूरे होने का इंतजार किए बिना, कश्मीरी नेताओं को बातचीत के लिए बुलाने और वह भी अपनेे घर बुलाने और दिल्ली तो दिल्ली, दिल से दूरी भी दूर करने का वादा करने के लिए।

बड़ा वाला थैंक यू--भक्तों को थैंक यू करने का मौका देने के लिए। वर्ना आप से क्या छुपा है कि कोरोना की महामारी ने कैसा हाल-बेहाल कर रखा था। महामारी के चक्कर में हाल तो सब का ही बुरा था, पर भक्तों का हाल सबसे बुरा था। देख रहे थे कि कोरोना के नाम लेकर, तरह-तरह की बीमारियों से बीमार पड़कर झुंड के झुंड अस्पतालों पर टूट रहे थे और अस्पतालों में बैड से लेकर वेंटीलेटर तक की कमी पैदा कर के, आपकी सरकार की बदनामी करा रहे थे। पर सिर्फ चुपचाप देखते रहने को मजबूर थे। देख रहे थे कि दवाओं से लेकर, आक्सीजन तक के बिना जान देने से पहले, लोग कैमरों पर तड़प-तड़प कर भी दिखा रहे थे और आत्मनिर्भर भारत का दुनिया भर में मजाक उड़वा रहे थे। पर भक्त बेचारे खून का घूंट पीने को मजबूर थे।

भक्त देख रहे थे कि कैसे कोविड के झूठे-सच्चे शिकार, मुर्दे बनकर श्मशानों/ कब्रिस्तानों में लाइनें लगा रहे थे और बहुत से तो नदियों के तट पर रेत में लेेटे-लेटे या नदियों में तैरते-तैरते ही, सरकारी गिनती को मुंह चिढ़ा रहे थे और दुनिया भर में महानुभाव की छवि की लुगदी बना रहे थे। फिर भी आपके भक्त बेचारे सिर्फ तमाशबीन बनकर बैठे रहने पर मजबूर थे। दबी-जुबान में कभी इसकी शिकायत भी करते कि हालात इतने खराब भी नहीं हैं जितने बताए जा रहे हैं, तो इसके उलाहनों की बाढ़ का ही सामना करना पड़ता कि तड़पते लोग जब मदद के लिए पुकार रहे थे, तब आप लोग कहां थे? मदद करने जाते तो यह भी तो मानना पड़ता कि कुछ कमी थी। खामखां में कोई मदद नहीं मांगता। योगी जी की तरह हर कोई मदद मांगने वालों पर मुकद्दमा तो कर नहीं सकता था, सो चुप ही भली थी।

खैर बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने वो वाले बुरे दिन खत्म कराए और फिर से हम भक्तों के अच्छे दिन आए। आपके टीके वाले मास्टर स्ट्रोक ने हम भक्तों के सारे दु:ख-दलिद्दर दूर कर दिए। आपकी मेहरबानी कि हमें एक बार फिर इसका मौका मिला कि आपके लख-लख धन्यवाद कर सकें। सुबह के सारे अखबारों में मुखपृष्ठ पर आपकी तस्वीरें देखकर जाग सकें और टीवी पर दिन भर आपकी ही तस्वीरें देखने के बाद थककर सो सकें। चाहेे टीके का भारी टोटा हो, चाहे टीका सबके लिए न हो, चाहे चार में से एक टीका तीन गुने-चार गुने दाम का हो, फिर भी उसे सबके लिए मुफ्त टीका बता सकें और इसके लिए हजारों करोड़ रुपये के विज्ञापनों से आपकी छवि की मरम्मत कर सकें। और मोदी जी के मुफ्त टीके के ईवेंट के प्रचार की आंधी से इस तरह की नामाकूल सच्चाइयों को सात फुट नीचे गाढ़ सकें कि पुराने भारत में भी टीके तो हमेशा मुफ्त ही थे और बाकी ज्यादातर देशों में भी, शुरू में तो इस बार न्यू इंडिया का भी टीका मुफ्त ही था, बाद में आपको ख्याल आया कि टीका सब को मुफ्त क्यों देना तो पैसा लगा दिया, सुप्रीम कोर्ट ने डंडा चलाया तो अब राज्यों के लिए टीका मुफ्त करा दिया। सवाल-ववाल सब फिजूल हैं, आप जो भी करते हैं, मास्टर स्ट्रोक ही होता है।

पहले राज्य पैसा भर रहे थे, वह भी मास्टर स्ट्रोक था, अब मोदी जी का मुफ्त टीका तो खैर मास्टर स्ट्रोक है ही, जिसने ट्रोल सेनाओं को फिर से जगा दिया। एक बार फिर धन्यवाद कि फिर से संघ परिवार का कारोबार चलवा दिया। योगी जी, येद्दि जी से सबसे जोरों से धन्यवाद करा दिया, यह दूसरी बात है कि वे लहक-लहक कर मुफ्त टीके के लिए धन्यवाद दे रहे थे और पब्लिक गद्दी के अभयदान के लिए धन्यवाद सुन रही थी।

अब जब हम भक्तों का कारोबार फिर से चल निकला है, आप को भी यूपी वगैरह की बहुत फिक्र करने की जरूरत नहीं है। आप देख लेना, हम एक-एक कर सब को जगा लेंगे मंदिर भी, मुल्ला मुलायम भी, धर्मांतरण भी, लव जेहाद भी, गोरक्षा भी, मुसलमानों की बढ़ती आबादी भी, मदरसे की पढ़ाई भी, विदेशी घुसपैठ भी। बस शाह साहब योगी जी को और छोटी जातियों के समीकरणों को संभाले रहें। और आप धुआंधार, यूपी के टूर मारते रहें। माना कि बंगाल वालों ने जो किया है, उसके बाद दिल में एक डर सा बैठ गया है, फिर भी यूपी में रामजी भी तो हैं हमारा बेड़ा पार कराने के लिए। बस मंदिर के लिए जमीन खरीद में घोटालों का रामजी सीरियसली बुरा नहीं मान जाएं। खैर! आप का इसलिए भी धन्यवाद कि आपने जून लगते-लगते हमारा सामान्य कारोबार चलवा दिया। अब से लगेंगे तभी तो अगले फरवरी-मार्च तक पब्लिक का दिमाग फिरा पाएंगे। और किसानों का भी जरूर आप कुछ न कुछ कर ही लेंगे, सो उसके लिए भी एडवांस में धन्यवाद।

आखिर में एक स्पेशल धन्यवाद। देश को इमर्जेंसी-2 देने के लिए। सन सतहत्तर से देश उसी पचहत्तर वाली इमर्जेंसी पर अटका हुआ था। आप आए तो देश में इमर्जेंसी-2 आयी। आपकी वाली को अभी से इमर्जेंसी का डेल्टा प्लस वेरिएंट कहा जा रहा है--पहले से ज्यादा मारक, पहले से ज्यादा संक्रामक। सत्तर वाली इमर्जेंसी में जो नहीं हुआ, वह सब भी अब हो रहा है। एक बार फिर धन्यवाद।

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोकलहर के संपादक हैं।) 

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