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कोविड के दौरान बेरोजगारी के बोझ से 3 हजार से ज्यादा लोगों ने की आत्महत्या

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में लिखित में जवाब दिया है कि एनसीआरबी डाटा के मुताबिक साल 2020 में बेरोजगारी की वजह से 3548 लोगों ने आत्महत्या की।
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गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में लिखित में जवाब दिया है कि एनसीआरबी डाटा के मुताबिक साल 2020 में बेरोजगारी की वजह से 3548 लोगों ने आत्महत्या की। साथ में उन्होंने यह भी बताया कि कारोबार का दिवालिया निकल जाने और कर्ज के बोझ तले साल 2018 से लेकर साल 2020 के बीच तकरीबन 16091 लोगों ने आत्महत्या की। तो चलिए इसी को संदर्भ बिंदु बनाते हुए आत्महत्या की वजह से मरने वालों को लेकर जारी किए गए एनसीआरबी की रिपोर्ट पर फिर से एक बार चर्चा कर लेते हैं।

आत्महत्या एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। सरकार को इसको लेकर बहुत ही गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, जिससे यह समस्या पैदा ही न हो पाए, लेकिन बाजए इसके कि सरकार इस पर विचार करे, सरकार अपनी गलत नीतियां जनता पर थोप कर आत्महत्याओं के मामले को ओर बढ़ावा दे रही है। ऐसा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आकड़ो में साफ दिखाई देता है। 2016 के अंत में मोदी जी ने रातों-रात नोट बंदी का फैसला लिया और फिर उसके कुछ ही दिन के बाद जीएसटी लागू कर दिया। 

जिससे छोटे-मोटे व्यापारी, उद्योग, रेडी, ठेले और दुकानदार के व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ा। आत्महत्या में तेजी का सिलसिला भी तभी से शुरू हुआ है। 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार सालों में आत्महत्या के मामले बहुत तेज़ी से बढ़े है। देश में 2017 में 1.3 लाख लोगों ने आत्महत्या की थी। वही 2018 में 1.34 लाख लोगों ने आत्महत्या की, 2019 में 1.39 लाख लोगों ने आत्महत्या की; जबकि 2020 में 1.53 लाख लोगों ने आत्महत्या की। 

2020 में आत्महत्या के मामलों में 10 फ़ीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि का कारण यह है कि लोगों को कोरोना काल में लॉक डाउन के चलते कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। इस दौरान सरकार से जिस तरह की आर्थिक मदद लोगों को मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पायी, जिससे आत्महत्या बढ़ी है। 

बेरोज़गारी, देश का बड़ा मुद्दा है। वर्तमान में करोड़ों युवा बेरोज़गारी से परेशान है। आलम यह है कि कुछ सरकारी पदों की भर्ती के लिए करोड़ो आवेदन आ जाते है। इससे भी बुरी यह होता है कि सालो तक परीक्षाएं नहीं हो पाती है, और फिर ना जाने कितने युवा ओवर ऐज के कारण बाहर हो जाते हैं। जिससे कई युवा हताशाओं से भर जाते है और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते है। जैसा कि एनसीआरबी के आकड़े बताते है, देश में 2017 में 12,241 बेरोजग़ार लोगों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2020 में 10 फ़ीसदी यानी 15,652 बेरोजग़ार लोगों ने आत्महत्या की है।

वही कृषि से जुड़े किसानो और मजदूरों ने 2017 में 10,655 आत्महत्या की थी, जबकि 2020 में क़रीब 7 फ़ीसदी यानी 10,677 किसानों और मजदूरों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के आकड़ो में सबसे ज्यादा डराने वाला आंकड़ा दिहाड़ी मजदूरों का है, 2017 में 28,741 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की जबकि 2020 में क़रीब 25 फ़ीसदी यानी 37,666 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की है। साथ ही स्व-रोज़गार से जुड़े 13,789 लोगों ने 2017 में आत्महत्या की थी, जबकि 2020 में 17,332 लोगों ने आत्महत्या की है।

एनसीआरबी, आत्महत्या के आकड़ो को आत्महत्या के कारणों के साथ रिकॉड में रखता है। किसी भी व्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद, आत्महत्या कारण का कारण अलग-अलग हिस्सों में बट जाता है। जैसा कि एनसीआरबी के आकड़े बताते है, 2020 में 1.53 लाख लोगों ने आत्महत्या की, जिनमे से 51,477 लोगों ने आत्महत्या पारिवारिक समस्या के कारण की है। जाहिर सी बात है, माध्यम वर्ग के परिवारों में ज़्यादातर समस्याएं आर्थिक होती है जोकि नई-नई समस्याओं के रूप में उभरकर सामने आती है। 

और जब कोई आत्महत्या का कदम उठता लेता है तो आत्महत्या का मूल कारण छिप जाता है। जैसा कि एनसीआरबी के आकड़े बताते है कि 2020 में 1.53 लाख लोगों में से 96,810 उन लोगों ने आत्महत्या की है, जिनकी सालाना आमदनी 1 लाख से कम है।

वही दिवालियापन या ऋण से ग्रस्त 5,151 लोगों ने 2017 में आत्महत्या की थी जबकि 2020 में 5,213 ऋण से ग्रस्त लोगों ने आत्महत्या की है। वही ग़रीबी के कारण 2017 में 1,198 लोगों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2020 में 1,901 लोगों ने आत्महत्या की है, और बेरोजगारी के कारण 2017 में 2,404 लोगों ने आत्महत्या की जबकि 2020 में 3,548 लोगों ने आत्महत्या की

एनसीआरबी ने जो आत्महत्या के कारण दिए है, उनमे एक में एक अज़ीब बात यह है की 2020 में 30,978 ऐसे लोगों ने आत्महत्या की है, जिनका या तो कारण पता नहीं है और कारण परिभाषित नहीं है। लेकिन जब हम देश में हुई आत्महत्याओं की आर्थिक स्थिति देखते है तो आत्महत्या का कारण साफ़ नजर आता है। देश में सबसे ज़्यादा उन लोगों ने आत्महत्या की है, जिनकी सालाना आमदनी 1 लाख से कम है। 2020 में 1.53 लाख लोगों ने आत्महत्याए की है, जिनमे से 63 फ़ीसदी यानी 96,810 उन लोगों ने आत्महत्या की जिनकी सालाना आमदनी एक लाख से कम है।

वही 32 फ़ीसदी यानी 49,270 उन लोगों ने आत्महत्या की, जिनकी सालाना आमदनी 1 लाख से ज्यादा और 5 लाख से कम है, क़रीब 4 फ़ीसदी यानी 5,745 उन लोगों ने आत्महत्या की जिनकी सालाना आमदनी 5 लाख से ज़्यादा और 10 लाख से कम है। 0.80 फ़ीसदी यानी 1,227 लोगों ने आत्महत्या की जिनकी सालाना आमदनी 10 लाख से ज़्यादा है. 

                                        

एनसीआरबी के आकड़े साफ बताते हैं कि देश के हालात बहुत ही नाजुक है। सरकार को अपनी वाह-वाही बटोरने से ज़्यादा जनता की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की तरफ़ घ्यान देना चाहिए। सरकार, युवाओं के लिए रोज़गार के संसाधन उपलब्ध कराए। दिहाड़ी मजदूर को काम मिले। किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिले। यह सरकार की प्रथम भूमिका होनी चाहिए। लेकिन सरकार अभी भी मुफ्त वैक्सीन, मुफ्त राशन का कार्ड बनवाने और लोगों का घ्यान असल मुद्दों से भटकाने में लगी हुई है, जोकि देश को ओर भी गर्त में लेकर जा रहा है।

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