टिस हैदराबाद के छात्र अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर
दस दिसंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) हैदराबाद के छात्र आज सोमवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए हैं। उनके समर्थन में देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के छात्र व शिक्षक और सिविल सोसायटी के लोग आगे आए हैं और अपनी एकजुटता जाहिर की है। इसी क्रम आज रोहित वेमुला कि माँ राधिका वेमुला और उनके भाई राजा वेमुला ने भी इन छात्रों को अपना समर्थन दिया।
क्या है पूरा मामला ?
31 अक्टूबर को, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस), हैदराबाद के छात्रों को एक समाचार पत्र विज्ञापन के माध्यम से पता चला कि परिसर को गैर आवासीय (नॉन रेजीडेंटल) बनाया जा रहा है और बीए सोशल साइंसेज कोर्स स्थगित कर दिया गया है। यह छात्रों के लिए सदमे कि तरह था , क्योंकि विश्वविद्यालय प्रशासन से इसकी कोई आधिकारिक घोषणा इससे पूर्व में नहीं की थी।
इससे परेशान छात्रों ने बार-बार प्रशासन से छात्र परिषद के प्रतिनिधियों के साथ बैठक और बातचीत करने की अपील की, लेकिन उनके अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। लेकिन जब छात्रों ने फीस न देने की धमकी दी तब प्रबंधन एक बैठक करने के लिए सहमत हुआ। 22 नवंबर को, छात्र परिषद के प्रतिनिधियों ने टिस के मुंबई परिसर में निदेशक शालिनी भरत से मुलाकात की। हालांकि, शालिनी ने प्रतिनिधियों को बताया कि कोई भी निर्णय वापस नहीं लिया जाएगा।
जब सेमेस्टर ब्रेक के बाद 3 दिसंबर को कॉलेज फिर से खुला तो बीए सोशल साइंसेज कोर्स के छात्रों (सोशल साइंसेज यहां एकमात्र स्नातक पाठ्यक्रम है) ने अन्य विभाग के छात्रों को एक साथ आने और बीए स्टूडेंट्स के इस संघर्ष को कलेक्टिव बनाने का फैसला किया। इसके लिए 10 दिसंबर को एक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया और ये संघर्ष शुरू हुआ। 10 दिसंबर से ही छात्र हड़ताल पर चले गए। छात्र लगातार कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं।
टिस की वर्तमान परिस्थति
आज आंदोलन के 8वें दिन छात्रों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। छात्रों के आंदोलन के समर्थन में सोमवार को राधिका वेमुला भी पहुंची और एक दिन की भूख हड़ताल में भी शामिल हुईं।
राधिका वेमुला ने आंदोलन को संबोधित करते हुए कहा कि ये सामाजिक न्याय कि लड़ाई है जो देश के सभी कैंपसों में छात्र लड़ रहे हैं। वो छात्रों की इस लड़ाई में उनके साथ हैं इसलिए वो आज टिस हैदराबाद पहुंची हैं। उन्होंने राज्य और देश के तमाम राजनीतिक दलों से इन छात्रों के समर्थन में आने कि अपील की।
न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बीए सोशल साइंसेज कोर्स के तीसरे वर्ष के छात्र बिबिन थॉमस ने कहा "कॉलेज पूरी तरह बंद है। छात्र विश्वविद्यालय की इमारत के बाहर विरोध कर रहे हैं और फैकल्टी को भी बाहर रोक दिया जाता है। जब तक हमारी मांगों को प्रशासन पूरा नही करता है तब तक हम कक्षाओं को फिर से शुरू नहीं होने देंगे।"
एमए पाठ्यक्रमों के छात्रों ने भी अपना समर्थन बढ़ाया है। छात्रों ने कहा है कि वे कक्षाओं का बहिष्कार करना जारी रखेंगे, और तब तक विरोध करेंगे जब तक उनकी मांगें सुनी नहीं जाती।
उन्होंने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन, जो अब आठवें दिन में प्रवेश कर चुका है, प्रशासन की तरफ से शुरुआत में किसी ने भी छात्रों के साथ बातचीत शुरू करने का कोई प्रयास नहीं किया, लेकिन बाद में आंदोलन को तेज़ होते देख टिस छात्रों की परिषद 2018-19 के प्रतिनिधियों से उपरोक्त मुद्दों पर चर्चा के लिए मुंबई कैंपस में निदेशक शालिनी भारत से मुलाकात की। उन्होंने स्पष्ट रूप से संवाद किया है कि इनमें से कोई भी निर्णय (गैर आवासीय टैग और बीए एस एस का विघटन) वापस नहीं किया जाएगा।
अंततः चौथे दिन, उप निदेशक, डॉ. शिवराजु परिसर में पहुंचे और जनरल बॉडी के आग्रह के बावजूद विरोध करने वाले छात्रों को संबोधित करने से इंकार कर दिया। बार-बार अपील के बाद प्रशासन और छात्र प्रतिनिधियों के बीच एक बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान छात्रों को रोका गया और उन्हें बोलने नहीं दिया गया, मुद्दों को उठाने की उनकी वैधता पर सवाल उठाए गए और छात्र निकाय की सामूहिक मांगों को हल करने के बजाये उन्हें खारिज़ कर दिया गया।
इससे नाराज छात्र निकाय ने मांग की कि निदेशक डॉ. शालिनी भरत, रजिस्ट्रार डॉ. सीपी मोहन कुमार और उप निबंधक एम पी बलमुरुगन तुरंत छात्र निकाय से मिले और उन्हें संबोधित करें। छात्रों के जनरल बॉडी ने लॉकडाउन जारी रखने और परिसर में रहने का फैसला किया जब तक कि अधिकारी जनरल बॉडी की मांगों को नहीं मानते हैं।
हाल के घटनाक्रमों में जबकि मांगों की कोई पूर्ति नहीं हुई है, 14 दिंसबर को प्रोफेसर शिव राजू और आंतरिक प्रबंधन समिति द्वारा एक सार्वजनिक वक्तव्य जारी किया गया था, जिसमें आंदोलनरत छात्रों को धमकी देने वाले अंदाज़ में बातें की गईं। इसमें छात्रों के एक समूह पर गलत जानकारी देने और अनुचित प्रचार करने का आरोप लगाया गया।
छात्र समुदाय ने कालेज प्रशासन के असंवेदनशील व्यवहार और छात्र परिषद को टिस प्रशासन द्वारा पूरी तरह से अनदेखा करने पर गुस्से का इज़हार किया है।
“प्रशासन के इस निर्णय से हाशिये और अति पिछड़े समुदाय के छात्र पर असर पड़ेगा”
प्रशासन हॉस्टल को खत्म करने के लिए कारण बता रहा है कि पिछले सत्र के छात्रों ने हॉस्टल की सुविधाओं को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किये थे, इसी कारण हमने हॉस्टल को खत्म करने का निर्णय लिया है, लेकिन छात्रों का कहना है कि ये कितना हास्यपद है कि आप समस्या का हल करने के बजाय समस्या को ही खत्म कर दे और विकट समस्या को खड़ा कर दे।
प्रशासन के इस कदम से छात्र प्रभावित होंगे इस बारे में बात करते हुए, थॉमस ने कहा "इस परिसर को गैर आवासीय बनाने के कदम से हाशिये और अति पिछड़े समुदाय से आये छात्रों को बहुत प्रभावित करेगा। ये अधिकतर कॉलेज द्वारा दिए जाने वाली छात्रवृत्ति पर ही कॉलेज आते हैं, और इन छात्रवृत्ति का उपयोग तभी किया जा सकता है जब वे कॉलेज हॉस्टल में रह रहे हों। यदि हॉस्टल बंद है, तो उन्हें आवास ढूंढने के लिए मजबूर किया जाएगा, और उन्हें अपनी खुद की जेब से किराये का भुगतान करना होगा।
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