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बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

बीएचयू में एक बार फिर छात्राओं ने अपने हक़ के लिए की आवाज़ बुलंद की है। लाइब्रेरी इस्तेमाल के लिए छात्राएं हस्ताक्षर अभियान के साथ ही प्रदर्शन कर प्रशासन पर लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखने का आरोप भी लगा रही हैं।
BHU

देश की प्रतिष्ठित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी यानी बीएचयू में बीते दिनों लाइब्रेरी आंदोलन की बड़ी जीत हुई थी। छात्रों के 6 साल के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार बीएचयू प्रशासन ने साइबर लाइब्रेरी को 21 घंटे खोले जाने की मंजूरी दे दी थी। हालांकि इस बड़े फैसले के लगभग तीन हफ्ते बीते जाने के बाद भी अब तक कैंपस की छात्राएं इस सुविधा से वंचित हैं। उन्हें ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ की चलते लाइब्रेरी में रात को पढ़ने की अनुमति नहीं है। ये विडंबना ही है कि जिस देश में लड़कियां आंतरिक्ष और जंग के मैदान तक पहुंच गई हैं, वहां उन्हें अब भी पढ़ने के लिए लाइब्रेरी तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

बता दें कि छात्राओं के लिए भी सामान्य रूप से पुस्तकालय की व्यवस्था लाइब्रेरी आंदोलन की एक बड़ी और महत्वपूर्ण मांग थी। जिसे प्रशासन ने अब तक महज़ आश्वासन के भरोसे लटका दिया है। छात्राएं लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रशासन से गुहार लगा रही हैं लेकिन उन्हें सुरक्षा और सुविधा का हवाला देकर एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर कटवाए जा रहे हैं।

प्रशासन के रवैए से नाराज़ छात्राओं ने बीते बुधवार यानी 13 अप्रैल से विश्वविद्यालय के विश्वनाथ मंदिर के पास एक हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत की है। इस दौरान छात्राओं ने कैंपस के अलग-अलग स्थानों पर जाकर छात्रों से समर्थन और एकजुटता की मांग की। साथ ही लाइब्रेरी के बाहर प्रदर्शन कर अपने साथ हो रहे भेदभाव के विरोध में जमकर नारेबाज़ी भी की। छात्राओं का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन लड़कियों के साथ भेदभाव कर रहा है, सिर्फ आश्वासन के नाम पर उन्हें शिक्षा के अधिकार से दूर रखा जा रहा है।

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छात्राओं का प्रदर्शन और ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

यहां कर्फ़्यू टाइम का मतलब है हॉस्टल से बाहर निकलने की पाबंदी का समय। ये कई यूनिवर्सिटी हॉस्टल्स में सिर्फ लड़कियों के लिए नियम के तौर पर बनाया गया है। जिसका विरोध दिल्ली से लेकर यूपी तक लंबे समय से लड़कियां करती रही हैं। बीएचयू में पहले हॉस्टल्स में लड़कियों के लिए साल 2017 तक कर्फ्यू टाइमिंग शाम 7 बजे तक थी। इसे लेकर लड़कियों का एक बड़ा आंदोलन देखने को मिला था, जिसके बाद यह टाइमिंग बढ़कर 10 बजे हुई। 

प्रदर्शन में शामिल बीएचयू कन्या महाविद्यालय की छात्रा वंदना उपाध्याय ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया कि ये प्रदर्शन प्रशासन की अनदेखी और लड़कियों की मज़बूरी है। वंदना के मुताबिक सालों बाद जब 21 घंटे लाइब्रेरी खोलने का फैसला सामने आया तो लड़कियों ने प्रशासन से ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ खत्म कर सेफ़्टी के लिए लेट नाइट बस सर्विस की मांग की। यूनिवर्सिटी की कुछ छात्राएं डीन ऑफ स्टूडेंट्स से मिलीं, कुछ ने चीफ प्रोक्टर और वीसी साहब तक से बात की और इस संबंध में कई ज्ञापन भी दिए गए लेकिन सब कुछ अभी तक विफल ही नज़र आया।

वंदना के अनुसार, “हमें बस एक विभाग से दूसरे विभाग टरकाया जा रहा है, चीफ प्रोक्टर कहते हैं कि बस की व्यवस्था हो गई है, बस वॉर्डन की अनुमति बाकी है, कभी कोई कुछ तो कोई कुछ और कहता है। ऐसे में हम अब कल यानी शनिवार को डीन ऑफ स्टूडेंट्स से मिलेंगे, अगर हमारी मांगे समय से मांग ली जाती हैं तो ठीक है, नहीं तो हम लड़कियां अब बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगी।"

बीएचयू की ही एक अन्य छात्रा कहती हैं कि हमारे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री यूपी को लड़कियों के लिए सुरक्षित बताते हैं। अपने भाषणों में कहते हैं कि यहां लड़कियां आधी रात को भी सुरक्षित सड़कों पर चल सकती हैं। लेकिन जब पढ़ाई की बात आती है तो बीएचयू प्रशासन सुरक्षा के नाम पर छात्राओं को लाइब्रेरी में पढ़ने की अनुमति नहीं देता, उन्हें रात को हॉस्टलों में बंद कर दिया जाता है, ये कैसी सुरक्षा है जो चुनाव तो जिता देती है, लेकिन हमें हमारे मूलभूत अधिकारों से दूर कर देती है।

क्या है पूरा मामला?

बीते महीने 26 मार्च को बीएचयू के पब्लिक रिलेशन ऑफिस ने अपने एक ट्वीट में बताया था कि सोमवार, 28 मार्च से साइबर लाइब्रेरी नए टाइम टेबल के हिसाब से खोली जाएगी। इस ट्वीट में प्रशासन की ओर से कहा गया था कि छात्र हित में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा एक अहम निर्णय लिया गया है। इसके तहत बीएचयू स्थित सयाजीराव गायकवाड केन्द्रीय ग्रंथालय का साइबर लाइब्रेरी स्टडी सेंटर 28 मार्च 2022 से हर कार्य दिवस में विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए प्रातः 08.00 बजे से प्रातः 05.00 बजे तक खोला जायेगा।

मालूम हो कि बीएचयू में साइबर लाइब्रेरी की शुरुआत साल 2012 में तत्कालीन वाइस चांसलर डॉ. लालजी सिंह के कार्यकाल में हुई थी। तब यह लाइब्रेरी सुबह 8 बजे खुलती थी और फिर अगले दिन सुबह 5 बजे (3 घंटे साफ सफाई के लिए) बंद की जाती थी। कुलपति लालजी के कार्यकाल के बाद इस लाइब्रेरी के खुलने के समय को सीमित कर दिया गया था। जिसे लेकर साल 2016 में बीएचयू के छात्रों ने जोरदार आंदोलन किया था। इस दौरान भूख हड़ताल कर रहे छात्रों को आधी रात भारी पुलिस बल की मौजूदगी में प्रशासन ने निलंबित कर जेल तक भिजवा दिया, लेकिन छात्रों ने इसके बाद भी हार नहीं मानी। और अब सालों बाद एक बार फिर पुराने समय को बहाल किया गया।

इस फैसले के सामने आते ही छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई, उन्होंने प्रशासन का धन्यवाद कर इस निर्णय का स्वागत किया था। कैंपस की लड़कियों ने भी नई उम्मीद और सकारात्मक सोच के साथ प्रशासन को अपनी परेशानियों और कर्फ्यू टाइमिंग की बेड़ियों से अवगत करवाया था। जिसके बाद बीएचयू के पब्लिक रिलेशन ऑफिस से 28 मार्च एक और ट्वीट सामने आया था।

इस ट्वीट में कहा गया था कि प्रशासन के नए फैसले के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि फीमेल स्टूडेंट्स भी पुस्तकालय की इस सुविधा का इस्तेमाल कर पाएं। जाहिर है इसके बाद छात्राओं में एक उम्मीद जागी थी और ये उम्मीद बेहतर कल की थी, जिसे छात्र-छात्राएं सालों से अपने संघर्षों से खूबसूरत बनाने में लगे थे। हालांकि इस सब के बाद दिन और तारीख बदलते गए लेकिन लड़कियों के लिए हॉस्टल और लाइब्रेरी के नियम अभी तक नहीं बदले, जिसे लेकर छात्राओं में नाराज़गी है।

इस संबंध में न्यूज़क्लिक ने बीएचयू प्रशासन का पक्ष जानने के लिए फोन और मेल के माध्यम से पब्लिक रिलेशन ऑफिसर और कुलपति कार्यालय से संपर्क करने की कोशिश की है, खबर लिखे जाने तक हमें जवाब नहीं मिला है, जवाब मिलते ही खबर अपडेट की जाएगी।

गौरतलब है कि बीएचयू की लड़कियां सालों से अपने हक़ और हुकूक के लिए आवाज़ बुलंद करती आई हैं। यौन शोषण के खिलाफ एकजुटता हो या सुरक्षा का मसला यहां की लड़कियों ने कभी हार नहीं मानी और प्रशासन से लोहा लेती रहीं हैं। बीएचयू कैंपस की लड़कियां लंबे समय से ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ को हटाने और गर्ल्स हॉस्टल्स में भी बॉयज़ हॉस्टल्स की तरह सुविधा मुहैया कराने की मांग भी करती रही हैं। अब एक बार फिर साइबर लाइब्रेरी के इस्तेमाल के लिए लड़कियां अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करने को तैयार हैं, ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बीएचयू कैंपस की हवा लड़कियों की ओर रुख कर ले।

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