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तमिलनाडु के विपक्षी दलों ने 'राम राज्य रथ यात्रा’ को अनुमति देने का विरोध किया

राज्य में से विवादास्पद रथयात्रा को गुज़रने की अनुमति देकर, AIADMK सरकार नरेंद्र मोदी के शासन को खुश करने की कोशिश कर रही है।
ram rajya yatra

विपक्षी दलों के विरोध के बीच, 20 मार्च को तमिलनाडु में AIADMK  की अगुवाई वाली सरकार ने विवादित 'राम राज्य रथ यात्रा' को राज्य में आने कि अनुमति दे दी है । यात्रा के दौरान शांति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने लगभग 1,500 पुलिस कर्मियों को तैनात किया  है। यह यात्रा Tirunelveli से Puliyarai में प्रवेश करेगी और ये यात्रा  Shengottai, Ilangi, Tenkasi, Kadayanalloor, Puliyangudi, Vasudevanalloor, Sivagiri से होते हुए ,22 अप्रैल को राजापलायम और मदुरई के माध्यम से रामेश्वरम की ओर बढेगी |  

Tirunelveli ज़िला कलेक्टर ने 23 मार्च तक ज़िले में धारा 144 को लागू कर दिया है, क्योंकि राज्य में यात्रा का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। अब तक लगभग 40 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है जो यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

Dravida Munnetra Kazhagam (DMK) के कार्यवाहक अध्यक्ष एम के स्टालिन और कई अन्य विधायकों को यात्रा के खिलाफ राज्य सचिवालय के बाहर 'रोड़ रोको' विरोध प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किया गया।

राजनीतिक पर्यवेक्षक बहस कर रहे हैं कि राज्य के बिच से यात्रा को जाने देने की अनुमति देकर, AIADMK की सरकार ने राज्य में पारंपरिक तौर पर नास्तिक राजनीति होने के बावजूद केंद्र कि नरेंद्र मोदी सरकार को खुश करने की कोशिश में लगीं हुई है।

स्टालिन ने कहा, "यात्रा से राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति भंग होगी” | "आप उस धरती पर धार्मिक कट्टरता की अनुमति नहीं दे सकते जहां पेरियार और अन्ना का जन्म हुआ है ।"

यह तर्क देते हुए कि यात्रा का इरादा राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का है DMK, MDMK, VCK, AMMK सहित अन्य राजनीतिक दलों ने सरकार से राज्य में यात्रा की अनुमति न देने का आग्रह किया है।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 13 फरवरी को शुरू होने वाली इस यात्रा को , वीएचपी के महासचिव चंपत राय ने ध्वजा दिखाकर शुरू किया था । ये यात्रा श्री राम दास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी के नेतृत्व में की जा रही  है, हालांकि, आरएसएस जैसे भगवा संगठनों के कार्यकर्ता, और वीएचपी के  कार्यकर्ता अपने-अपने राज्यों में इस यात्रा से जुड रहे हैं । ये यात्रा 25 मार्च को कन्याकुमारी में समाप्त होगी।

यात्रा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रथ वाहन में अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर की आकृति को दिखाया गया है। इससे 'बाबरी मस्जिद और राम मंदिर' के मुद्दे में विवाद पैदा हुआ है, जो की सुप्रीम कोर्ट में लंबित है ।

कथित तौर पर, तमिलनाडु में यात्रा की अगुवाई कर रहे श्री Sakthi Santhananda, अति राष्ट्रवादी भाषणों का सहारा ले रहे हैं। Santhananda के अनुसार "इस रथ यात्रा का उद्देश्य राम राज्य को पुनर्स्थापित करना है (राम का शासन)। यह यात्रा का 22 वां साल है। जब यह यात्रा अगले साल होगी, तो राम राज्य भारत में स्थापित हो चुका होगा । जबकि दिल्ली भारत की राजनीतिक राजधानी है, अयोध्या को देश की आध्यात्मिक राजधानी बनाना चाहिए। "

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