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तिरछी नज़र: सरकार का जन्मदिन और शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस का नाम रख देना चाहिए, 'प्रधानमंत्री शिक्षक दिवस' और शिक्षकों को दिये जाने वाले अवार्ड का नाम 'पीएम शिक्षक'।
teachers day
Image courtesy: news of careers360

अभी पिछले सोमवार, 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस मनाया गया था। हर वर्ष मनाया जाता है। सोमवार पड़े या मंगल या फिर और कोई दिन, शिक्षक दिवस पांच सितंबर को ही मनाया जाता है। उस दिन डॉ राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है और उसी के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस के रूप में भी एक कांग्रेसी का जन्मदिन। सरकार जी भी तंग आ गए हैं। जहां देखो, कांग्रेस का कोई न कोई कनेक्शन निकल ही आता है। क्या आरएसएस में, हिन्दू महासभा में, जनसंघ में या फिर भाजपा में कम शिक्षक हुए हैं जो शिक्षक दिवस भी किसी कांग्रेसी के जन्मदिन पर मनाया जाए। कोई बात नहीं, शिक्षक दिवस के लिए भी कोई और दिन, किसी और का जन्मदिन ढूंढ ही लिया जाएगा। और शिक्षक दिवस भी अब किसी और दिन मनाया जाने लगेगा।

इसके लिए तो सबसे पहले सावरकर का जन्मदिन ही है। उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा सकता है। ठीक है, वे कभी फॉर्मल रूप में शिक्षक नहीं रहे पर उनका तो पूरा जीवन ही शिक्षा प्रदान करता है। अपने से वरिष्ठ को, या फिर कहें तो अपने मालिक को, परवरदिगार को माफीनामा कैसे लिखा जाता है, उसके कई सारे ड्राफ्ट वे अपने अनुयायियों के लिए शिक्षा के रूप में छोड़ गए हैं। मालिक के प्रति वफादारी की कसमें कैसे खाई जाएं, उसके प्रति जीवन भर वफादार कैसे रहा जाए, किसी के कंधे पर रख कर बंदूक कैसे चलाई जाए, इस सब की शिक्षा उनके जीवन को देखकर ली जा सकती है। आज के चापलूसी भरे समय में उनसे बड़ा शिक्षक कौन हो सकता है।

फिर सोचता हूं, गोलवालकर के जन्मदिन को भी तो शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा सकता है। उनको तो गुरुजी कहते भी हैं। उनकी पुस्तक 'बंच ऑफ थॉट' में शिक्षाएं भरी पड़ी हैं। उन्होंने तो अपने शिष्यों को उनके दुश्मन तक गिनवा दिए हैं। ऐसा शिक्षक कहां मिलेगा जो मित्रों की बजाय दुश्मनों की गिनती करे। जो प्यार की बजाय नफ़रत फैलाए। तो गोलवालकर का जन्मदिन भी शिक्षक दिवस के रूप में क्यों नहीं मनाया जा सकता है?

और श्यामा प्रसाद मुखर्जी, उन्हें हम कैसे भूल सकते हैं। उन्होंने हमें शिक्षा दी है कि जब बंदरबांट करनी हो तो अपने घुर विरोधी के साथ मिलकर भी सत्ता बांटी जा सकती है, मलाई खाई जा सकती है। उनकी इसी शिक्षा पर आज तक सारे राजनीतिक दल चलते रहे हैं और जिस मर्जी के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाते रहे हैं। तो हम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिन को भी शिक्षक दिवस के रूप में मना सकते हैं।

यूं तो अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्मदिन भी शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा सकता है। उन्होंने भी 2002 में वर्तमान सरकार जी को, जब वे अपने सूबे के सरकार जी थे, सूबे में हुए नरसंहार के समय राजधर्म निभाने की शिक्षा दी थी। यह बात अलग है कि उनकी शिक्षा न तब मानी गई थी और न आज ही मानी जा रही है। राजधर्म न तब निभाया गया था और न ही आज निभाया जा रहा है। परन्तु फिर भी वाजपेई जी का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाने पर विचार किया जा सकता है।

परन्तु शिक्षक दिवस किसके जन्मदिवस पर मनाया जाए, उसके सबसे बड़े उम्मीदवार तो आज के सरकार जी ही हैं। सरकार जी ने कभी बोर्ड एग्जाम नहीं दिया है फिर भी बोर्ड एग्जाम देने वाले छात्रों को शिक्षा देते हैं कि बोर्ड एग्जाम कैसे दिया जाता है। शिक्षा देते हैं कि कठिन प्रश्न पहले करो। लगता है सरकार जी ने सातवीं कक्षा ऐसे ही, कठिन प्रश्नों को पहले हल करके ही पास की थी। उनकी इसी प्रतिभा से ही प्रभावित हो, उनके मास्साब ने उन से कहा कि बेटा, अब स्कूल वुस्कूल छोड़ो। सीधे एम ए, बी ए करना। और वह भी किसी एंटायर विषय में।

सरकार जी शिक्षा देने का कोई भी मौका नहीं चूकते हैं और कभी भी किसी को भी, किसी भी विषय में शिक्षा देने लगते हैं। बच्चों को शिक्षा देते हैं कि यह पर्यावरण वगैरह कुछ नहीं है, मौसम में बदलाव नहीं हो रहा है, बल्कि हमें ठंड इसलिए ज्यादा लगने लगी है क्योंकि हम बूढ़े हो रहे हैं। कनाडा में जाकर गणित के अध्यापक बन जाते हैं और ए प्लस बी के होल स्क्वायर का फार्मूला बताने लगते हैं। सेना के विशेषज्ञों के सामने रेडार विज्ञान के शिक्षक बन बादलों में हवाई जहाज उड़ाने के लाभ पढ़ाने लगते हैं। कभी विज्ञान के शिक्षक बन ऊर्जा के नये स्त्रोतों पर पढ़ाने लगते हैं तो कभी इतिहास के शिक्षक बन भीड़ को नया इतिहास। और जब भूगोल पढ़ाते हैं तो तक्षशिला को बिहार में बता देते हैं। बस अंग्रेजी पढ़ाना तब से छोड़ा है जब सिंगापुर में स्ट्रेंथ की नई स्पैलिंग इजाद की थी। इतना सर्वांगीण शिक्षक, जिसकी सभी विषयों पर मास्टरी हो, भला कहां मिलेगा। तो सरकार जी का जन्मदिन ही शिक्षक दिवस के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है।

वैसे तो सरकार जी के राज में स्कूल अब बंद ही हो रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में लाखों स्कूल बंद हो चुके हैं। शिक्षकों के लाखों पद रिक्त पड़े हैं। गेस्ट फैकल्टी और एडहॉक टीचर से ही काम चलाया जा रहा है। ज्ञान अर्जित करना वर्जित ही हो रहा है। अब तो शिक्षा मिलती है वाट्सएप यूनिवर्सिटी से और वाट्सएप यूनिवर्सिटी पर तो सभी शिक्षक हैं। इसलिए अगर शिक्षक दिवस मनाना ही है तो सरकार जी के जन्मदिवस पर ही मनाना चाहिए। और शिक्षक दिवस का नाम रख देना चाहिए, 'प्रधानमंत्री शिक्षक दिवस' और शिक्षकों को दिये जाने वाले अवार्ड का नाम 'पीएम शिक्षक'।

सरकार जी का जन्मदिन इसी सप्ताह (सत्रह सितंबर को) है। अगर किसी ने उसे बेरोज़गारी दिवस, बेचारगी दिवस, महंगाई दिवस या फिर और कोई दिवस घोषित नहीं कर दिया तो हम उस दिन सहर्ष शिक्षक दिवस मना सकते हैं।

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