Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?

ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
George Floyd

पुलिस अधिकारी डेरेक चाउविन ने 25 मई, 2020 को जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या कर दी थी, जिससे पूरे अमेरिका की आत्मा हिल गई थी। इस साल 25 मई को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा करते हुए कहा कि वे एक कार्यकारी आदेश जारी करेंगे, यह आदेश पहले पेश किए गए पुलिस सुधारों का एक कमतर मसौदा होगा। बता दें पहले पेश किया गया पुलिस सुधारों का मसौदा सीनेट में पास नहीं हो पाया था। असफल हो चुके मसौदे से "योग्य प्रतिरक्षा (क्वालिफाइड इम्यूनिटी) की डॉक्ट्रीन को बदल दिया जाएगा। इस डॉक्ट्रीन के चलते पुलिस समेत सरकारी अधिकारियों पर मुक़दमा चलाना कठिन होता है। असफल मसौदे में व्यक्तिगत अधिकारियों के लिए डॉक्ट्रीन को बरकरार रखा गया था, लेकिन पुलिस क्रूरता का शिकार हुए पीड़ितों को इन अधिकारियों या निगमों पर मुक़दमा करना आसाना हो जाता।

जैसा न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया- जबकि नए कार्यकारी आदेश से सिर्फ़ नौकरी से दुर्व्यवहार के चलते निकाले गए अधिकारियों की एक राष्ट्रीय पंजी बनेगी, साथ ही संघीय संस्थानों को ताकत के इस्तेमाल की नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा जाएगा, इस दौरान राज्य और स्थानीय पुलिसों का गले को दबाने पर कड़े प्रतिबंध लगाने और बिना वारंट के तलाशी ना लेने के लिए प्रेरिता किया जाएगा। साथ ही कानून लागू करवाने वाली संस्थाओं को सैन्य उपकरणों का हस्तांतरण प्रतिबंधित किया जाएगा।

सामाजिक कार्यकर्ताओं और पुलिस द्वारा निशाना बनने वालों की प्राथमिक चिंता यह ऐसे पुलिसकर्मियों की है, जो अब भी नौकरी में हैं और उनके खिलाफ़ हिंसा के कई मामले हैं। चाउविन के साथ यही हुआ था, जिसके ऊपर पिछली 6 गिरफ्तारियों में बहुत ज़्यादा ताकत इस्तेमाल करने का आरोप लगा था। यहां तक कि जिन अधिकारियों को दुर्व्यवहार के लिए निकाला गया था, जिनकी संख्या भी पुलिस द्वारा मारे गए पीड़ितों की तुलना में बहुत कम थी, इन पुलिसवालों में से भी करीब़ 25 फ़ीसदी को पुलिस यूनियन की अपीलों के चलते नौकरी में फिर से बहाल कर दिया जाता है।

अमेरिका में पुलिस की हिंसा जितनी गंभीर है, उतनी गंभीरता से सरकारी अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद जो क्रांतिकारी मांगें रखी गई थीं, उनकी पृष्ठभूमि में यह विशेष तौर पर सही महसूस होती हैं। कुछ बहुत लोकप्रिय मांग थीं: पुलिस क्रूरता को बंद किया जाए, हत्यारे पुलिसवालों को जेलभेजा जाए और पुलिस का वित्त कम किया जाए। इस आंदोलन ने पुलिस की हिंसा पर मुख्यधारा की भाषा को बदल दिया, जो आमतौर पर पूरा दोष केवल संबंधित पुलिसकर्मी या "कुछ खराब तत्वों" पर डाल देती थी, अब इसमें संस्थागत नस्लभेद पर ज़्यादा विमर्श शामिल हो गया है।

सामाजिक आयोजक और पत्रकार यूजीन पुरइयर ने पीपल्स डिस्पैच को बताया, "अगर सड़कों पर लोगों के उतरने की संख्या को देखें, तो देश में अब तक का सबसे बड़ा सामाजिक उभार था। लेकिन इसके बावजूद आपको इस मुद्दे के समाधान के लिए कुछ ठोस दिखाई नहीं देता, यहां तक पुलिस के काम में पूर्वाग्रह और नस्लभेद के लिए भी छोटा सा काम होता नहीं दिखाई देता है।" अनुमानों के मुताबिक़, इस आंदोलन के दौरान करीब़ 1.5 करोड़ से 2.6 करोड़ लोग सड़कों पर थे। इस तरह यह प्रदर्शन अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े प्रदर्शन साबित हुए हैं। 

आंदोलन की मांग

आंदोलन ने नारा लगाया "हत्यारे पुलिसकर्मियों को जेल भेजे", "पुलिस की क्रूरता बंद करो", लेकिन राज्य ने इन मांगों को पूरा नहीं किया। 'मैपिंग पुलिस वॉयलेंस' नाम की वेबसाइट द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक़, 2020 से 2021 के बीच पुलिस द्वारा ली जाने वाली जानों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। पुलिस ने 2021 में 1,145 लोगों की हत्या की, जो 2020 की संक्या से 12 ज़्यादा थी, विशेषतौर पर इसमें 16 अश्वेत लोगों की ज़्यादा हत्या की गई।

2021 में कुछ बेहद अहम सुनवाईयां हुईं और अश्वेत लोगों की पुलिस द्वारा हत्या के मामलों में सजा सुनाई गईं। सबसे प्रसिद्ध डेरेक चाउविन को सभी मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद सुनाई गई 22.5 साल की सजा है।

लेकिन पुलिस अधिकारियों को दोषी सिद्ध किए जाने और उन्हें सजा सुनाए जाने के मामलों में तेजी नहीं आई, हालांकि कुछ ऐसे सबूत मिले, जिनसे पता चलता है कि जनता के गुस्से का कुछ नतीज़ा निकलता है। 2021 में पुलिस द्वारा की गई 1,145 लोगों के मामले में सिर्फ़ दो लोगों को ही सजा हुई है। इसमें से एक किम पॉटर है, जिसने दांते राइट की हत्या की थी, जो खूब ख़बरों में भी रही थी। चाउविन की जहां सुनवाई चल रही थी, वहां से सिर्फ़ 10 मील की दूरी पर ही किम पॉटर ने 20 साल के पिता दांते राइट की हत्या की थी।

लेकिन एक बड़ा झटका ब्रेओना टेलर के हत्यारे पुलिसकर्मी ब्रेट हैंकिन्सन का दोषी साबित ना होना रहा है। ब्रेटन ने साथी अधिकारियों के साथ ब्रेओना के अपार्टमेंट पर 16 गोलियां बरसाईं, इस दौरान ब्रेओन सो रही थीं। छापेमारी के दौरान की गई इस गोलीबारी में ब्रेओना की मौत हो गई थी। यहां तक कि टेलर को मारने के लिए ब्रेट पर कभी सुनवाई तक नहीं बैठी। बल्कि टेलर की मौत की मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई आपराधिक धाराएं तक नहीं लगाई गईं। हैंकिन्सन पर पड़ोसी के अपार्टमेंट से टेलर के घर में 10 से ज़्यादा गोलियां चलाने के लिए "गैरजरूरी लापरवाही भरा जोख़िम उठाने" के लिए मुकदमा चलाया गया। यहां तक कि इसके लिए भी हैंकिन्सन को इस साल 3 मई को निर्दोष घोषित कर दिया गया। टेलर की हत्या में शामिल एक और अधिकारी जॉन मैटिंग्ली ने फ़ैसले के बाद ट्वीट करते हुए कहा, "धन्यवाद जीसस।"

क्या कभी पुलिस के वित्त में कमी की गई?

पुरइयर ने पीपल्स डिस्पैच को बताया, "जॉर्ज फ्लॉयड के बाद शुरु हुए आंदोलन की सबसे अहम चीज, 'पुलिस का वित्त ख़त्म करो' के नारे का उद्भव था। यह आंदोलन सिर्फ़ पुलिस क्रूरता तक सीमित रहने के बजाए, इसके परे गया। यह गहराई तक जाकर चीजों से संबंध बना रहा था, श्वेत सर्वोच्चत्ता की वास्तविकता , जो अश्वेत अमेरिकियों को आज मौजूद सभी सामाजिक पहलुओं पर दमित करती है, इस नस्लभेद और भेदभाव के साथ-साथ अश्वेत अमेरिकियों के प्रति जो घृणा है, उसका सबसे अच्छा उदाहरण पुलिस की यह कार्यप्रणाली है।"

"पुलिस का वित्त पोषण ख़त्म किया जाए" एक ऐसे देश में क्रांतिकारी नारा था, जहां एक शहर के खर्च में पुलिस बजट की हिस्सेदारी 1970 के बाद से बढ़ती ही जा रही है। जेल भेजने के मामलों के साथ यह बजट बढ़ता गया। यह दोनों ही चीजें नस्लभेद भरी पुलिसिंग के दौर में "अपराध पर युद्ध" का हिस्सा थे। उस दौरान 1960 और 70 के दशक में अश्वेत विद्रोहियों को दबाया गया था।

नतीज़तन अमेरिका में पुलिस बजट दुनिया में सबसे ज़्यादा है। एक अध्ययन के मुताबिक़, अमेरिका में स्कूलों के वित्तपोषण में हर साल करीब़ 150 बिलियन डॉलर कम रह जाते हैं। इस बीच न्यूयॉर्क जैसे शहर में पुलिस का सालाना बजट 10 अरब डॉलर है। अगर न्यूयॉर्क पुलिस विभाग कोई सेना होती, तो यह दुनिया की सबसे बेहतरीन वित्त युक्त  सेनाओं में इस बजट के साथ शुमार कर सकती थी। 

क्या कभी शहरों की सरकार ने यह मांग सुनकर पुलिस के बजट में कटौती की? आमतौर पर इसका जवाब ना में ही आता है। जहां 50 सबसे बड़े शहरों ने अपने पुलिस बजट में समग्र तौर पर 5.2 फ़ीसदी की कमी की है, वहीं सामान्य खर्च के हिस्से के दौर में  यह समग्र हिस्सेदारी 13.6 फ़ीसदी से थोड़ी सी बढ़कर 13.7 फ़ीसदी हो गई। कई बड़े बजट में महामारी के चलते कटौतियां की गई थीं। 50 बड़े शहरों में से 26 शहरों ने अपने पुलिस बजट में बढ़ोत्तरी की है।

लेकिन यह संख्याएं सिर्फ़ भोतिक वास्तविकताएं हैं, लेकिन आंदोलन के तेज रहने के दौरान, शहर की सरकारें लोगों से बड़े-बड़े वायदे कर रही थीं। यह लोग सड़कों पर जुलूस निकाल रहे थे। जून, 2020 में मिनेपोलिस में शहर परिषद के बहुमत ने पूरी तरह पुलिस को भंग करने का वायदा किया था। यह वीटो से सुरक्षित वायदा था। लेकिन जब इन मांगों को पूरा करने का वक़्त आया, तो शहर परिषद के सदस्य पीछे हट गए। आखिर में शहर परिषद ने अपनी पुलिस को भंग नहीं किया। लेकिन उन्होंने अतिरिक्त समय में काम करने की पुलिस की क्षमता को कम कर दिया और आपात स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सकीय पेशेवरों को भेजा जाने लगा। सामाजिक कार्यकर्ताओं को शहर के पुलिस बजट में 8 मिलियन डॉलर को कम करवाने में भी मदद मिली।

शहर परिषद के कुछ अधिकारियों ने धोखा दिया और ऐसे व्यवहार किया जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांगें मान ली गई हैं, जबकि वास्तविकात में बहुत थोड़ा बदलाव ही हुआ था। उदाहरण के लिए न्यूयॉर्क में, भारी-भरकम एनवायपीडी के बजट से मेयर ने 1 अरब डॉलर कम करने की शपथ ली। लेकिन इस शपथ के दौरान भी सामाजिक कार्यकर्ता और प्रगतिशील लोग मेयर पर पैसे को सिर्फ़ यहां से वहां भेजने का आरोप लगा रहे थे। प्रतिनिधि एलेक्सान्ड्रिया ओकेसियो कार्तेज ने कहा, "पुलिस का वित्त खत्म करने मतलब होता है, वित्त खत्म करना। इसका मतलब हास्यास्पद गणित या बजट की पेंच लगाना नहीं होता।" जैसा एक रिपोर्ट की लेखिका एंड्रिया जे ने बताया और इंटरेप्टिंग क्रिमिनलाइज़ेशन ने प्रकाशित किया- मेयर ने दावा किया था कि स्कूलों में तैनात पुलिसकर्मियों को एनवायपीडी बजट और शिक्षा विभाग के बजट से बाहर कर 300 मिलियन डॉलर की कटौती की गई थी। आखिर में एनवायपीडी के बजट से कभी 300 मिलियन डॉलर की कटौती नहीं की गई, बल्कि शिक्षा विभाग के बजट से 780 मिलियन डॉलर से ज़्यादा की कटौती कर दी गई।

क्या वहां कोई जीत भी हुई थी?

हालांकि कई लोगों के लिए 2020 के बाद का दौर निराश करने वाला रहा है, लेकिन कुछ अहम जीत भी हुई हैं। बल्कि कुछ शहरों ने पुलिस बजट में बड़ी कटौती की। जैसे, ऑस्टिन ने अपने पुलिस बजट में एक तिहाई की कटौती कर दी। बल्कि इस आंदोलन ने लगातार बढ़ते जा रहे पुलिस बजट को रोकने का काम किया, यह बढ़त "अपराध पर युद्ध" से चल रही थी। हालांकि कुछ बड़े शहरों में बजट में बहुत कम कटौती हुई।

रिट्चीज़ रिपोर्ट के मुताबिक़, प्रदर्शन आयोजकों ने पुलिस के बजट से 840 मिलियन डॉलर निकलवाने और सामुदायिक सेवा के लिए 160 मिलियन डॉलर हासिल करने में कामयाबी पाई। सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस को स्कूल से निकालने में कामयाबी मिली, जहां वे हिंसा रोकने से ज़्यादा करते थे। 25 शहरों ने स्कूलों में काम करने वाली  पुलिस के साथ किए गए समझौते ख़त्म कर दिए। इससे 35 मिलियन डॉलर की बचत हुई। सामाजिकि कार्यकर्ताओं रासायनिक/सैन्य स्तर के हथियारों को 6 शहरों व चेहरे से पहचान को 4 शहरों में ख़त्म करने में कामयाबी मिली, इस तरह बेहद सैन्यकरण से प्रभावित अमेरिकी पुलिस का थोड़ा नि:सैन्यकरण हुआ।

लेकिन पुरइयर कहते हैं कि 2020 की असली जीत जनता की अंतरात्मा में बदलाव लाना था। "आपको ऐसी स्थिति हासिल हो गई थी, जहां बहुसंख्यक आबादी समझ रही थी कि नस्लवाद वाकई में मौजूद है; पुलिस की कार्रवाई के दौरान अश्वेत लोगों के साथ बहुत भेदभाव किया जाता है; यह भेदभाव जेलों और आपराधिक कानूनी तंत्र में भी होता है। लेकिन इसमें कोई बदलाव ना आना दिखाता है कि अमेरिका की पृष्ठभूमि में पूंजीवाद के लिए आंतरिक नस्लभेद कितना जरूरी है।"

वह आगे कहते हैं, "दरअसल सत्ता में बैठे लोग इन स्पष्ट और स्वाभाविक पूर्वाग्रहों को ख़त्म करने की कीमत नहीं उठा सकते। यह अश्वेत समुदाय के सामाजिक नियंत्रण के लिए जरूरी है, यह अश्वेत लोगों के बेइंतहां शोषण का हिस्सा है, यह तबसे जारी है, जब पूंजीवादी तंत्र के केंद्रीय स्तंभ के तौर पर पहला गुलाम अमेरिका में लाया गया था।"

"इससे एक बार फिर पूंजीवाद और नस्लभेद के बीच का गहरा रिश्ता स्पष्ट हो जाता है, इससे यह भी साफ़ हो जाता है कि पूंजीवाद से पार पाए बिना नस्लभेद को खत्म करना संभव नहीं है। क्योंकि यह कोई आकस्मिक नहीं है, ना ही यह सिर्फ़ कुछ लोगों का बर्ताव है, बल्कि यह ढांचागत और व्यवस्थित है, जो अच्छी मंशा के साथ नहीं बदली जा सकती।"

साभार : पीपल्स डिस्पैच

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest