कानपुर: स्कूल में इस्लामिक प्रार्थना पर बवाल, क्या शिक्षा के सांप्रदायिकरण की कोशिश?
देश में हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिकता के जहर से अब शिक्षा भी नहीं बच पा रही। आए दिन इससे संबंधित स्कूलों में कोई न कोई नया विवाद देखने को मिल ही जाता है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में कथित रूप से एक प्राइवेट स्कूल के शुद्धिकरण किए जाने का सामने आया है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि स्कूल में सुबह की प्रार्थना में हिंदू बच्चों से कलमा पढ़ाया जा रहा था। जिसके चलते संगठनों ने स्कूल में गंगाजल छिड़का ताकि उसे 'शुद्ध' किया जा सके। फिलहाल स्कूल विरोध प्रदर्शन के चलते बीते कई दिनों से बंद है और प्रशासन ने कहा कि आगे से भविष्य में स्कूल में कोई प्रेयर नहीं कराई जाएगी।
बता दें कि हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन और एक शिकायत के बाद पुलिस ने स्कूल के निदेशकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए और यूपी धर्मांतरण निषेध अधिनियम-2021 की धारा 5(1) के तहत मामला दर्ज किया है। सीसामऊ पुलिस थाने में दर्ज कराई शिकायत में कहा गया है कि ‘स्कूल द्वारा छात्रों के धर्मांतरण का प्रयास किया जा रहा है।’ स्कूल ‘शिक्षा जिहाद’ को आगे बढ़ा रहा है, क्योंकि छात्रों से इस्लामिक प्रार्थना पढ़वाई जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सारा मामला एक ट्वीट से शुरू हुआ। रविवार, 31 जुलाई को एक शख्स ने अपने ट्विटर अकाउंट से 59 सेकेंड का एक वीडियो पोस्ट किया, जो कुछ ही समय में वायरल हो गया। इसके बाद यह वीडियो फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर शेयर किया जाने लगा। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस को टैग किया गया था। वीडियो में एक महिला और उनकी बेटी दिखाई देती है। इसे बनाने वाले ने दोनों के चेहरे वीडियो में नहीं दिखाए हैं। महिला कह रही है, "स्कूल में बच्चों को रोजाना प्रार्थना के समय कलमा पढ़ाया जाता है।" महिला ने बच्ची से पूछा तो उसने जवाब दिया, ''हां..रोज पढ़ाया जाता है।''
इस पूरे मामले को लेकर बच्चों के माता-पिता और कुछ हिंदू संगठनों ने विरोध किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप किया और स्कूल से इस प्रथा को रोकने के लिए कहा। इसके साथ ही हिंदू संगठन स्कूल के शुद्धिकरण और तालाबंदी के जिद पर अड़ गए। स्कूल के खिलाफ शिकायत में मांग की गई कि स्कूल और उसकी अन्य शाखाओं को बंद किया जाए। कई खबरों के मुताबिक हिंदुत्ववादी संगठनों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए स्कूल में कथित तौर पर एक ‘शुद्धिकरण अनुष्ठान’ भी किया।
किताब में कई धर्मों से संबंधित हैं प्रार्थनाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सवालों के घेरे में आई प्रार्थना पुस्तक में कई धर्मों से संबंधित प्रार्थनाएं है, जिनमें गायत्री मंत्र, सांची वाणी और भारत से संबद्धता से जुड़ी शपथ भी हैं। एक वीडियो बयान में स्कूल की प्रिंसिपल श्रद्धा शर्मा ने कहा है कि साल 2003 में स्कूल की स्थापना के बाद से बहु-धार्मिक प्रार्थनाएं सुबह की सभा का हिस्सा थीं, लेकिन कुछ अभिभावकों द्वारा इस्लामिक प्रार्थनाओं के होने पर आपत्ति जताने के बाद प्रबंधन ने अब केवल राष्ट्रगान का पाठ कराने का फैसला किया है। उन्होंने आगे कहा कि हम किसी एक विशेष धर्म की नहीं, बल्कि सभी धर्मों की प्रार्थनाओं का पाठ करते चले आ रहे थे, ऐसा पिछले 12-13 सालों से चल रहा था।
In UP's Kanpur, parents objected to recitation of Islamic prayer during morning prayer at a school. Pincipal says prayers from all religions- Hinduism, Islam, Sikhism & Christianity are recited. After objection to Islamic prayers, now only national anthem will be sung. pic.twitter.com/ut2soslNpa
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) August 1, 2022
वहीं स्कूल प्रबंधन का कहना है कि स्कूल में पिछले कई सालों से सर्व धर्म सद्भावना की शिक्षा दी जा रही है। अभी तक कोई शिकायत ऐसी नहीं मिली थी। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से कई अभिभावकों ने एतराज जताया था और इसके वीडियो भी वायरल कर दिए। इसके बाद स्कूल में यह प्रार्थना बंद करा दी गई थी और सिर्फ राष्ट्रगान कराया जाना शुरू किया गया। अब इस पर जबरदस्ती का कलमा को पढ़ाये जाने पर मुद्दा बनाया जा रहा है।
ज़रूरी मुद्दों को नज़रअंदाज कर सांप्रदायिकता में उलझे लोग
गौरतलब है कि बीते कुछ समय से कभी स्कूल यूनिफार्म को लेकर, तो कभी किताबी सिलेबस को लेकर और अब प्रार्थना को लेकर विवाद को तूल देते देखा जा रहा है। जिस देश में शिक्षा की पहुंच तक सबको पहुंचाना अभी भी असल मुद्दा हो, जहां सरकारी स्कूलों की हालात खस्ता और शिक्षक नदारद हों वहां ऐसे जरूरी मुद्दों को नजरअंदाज कर सांप्रदायिकता की आग में लोगों को जलाना कट्टरपंथियों का नया हथियार बन गया है।
बहरहाल, धर्म के नाम पर शिक्षा में हस्तक्षेप, कक्षाओं को सांप्रदायिक बनाना अब सिर्फ एक खतरा नहीं रह गया है बल्कि ये हजारों लाखों बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ की तरह हो गया है, क्योंकि इससे न केवल उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है अपितु ये सारी घटनाएं उनके दिलों दिमाग में लंबे समय के लिए गहरा असर भी छोड़ जाती हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि मदरसों, कॉन्वेंट स्कूलों और हिंदुओं के सरस्वती शिक्षा मंदिर में बच्चों को एक खास तरह के आचरण में ढाला जाता है, उन्हें समाज में अन्य लोगों के साथ भी वैसा ही व्यवहार करने की बात सिखाई जाती है, लेकिन आज हमारे सामने प्रमाण है कि जो स्कूल केवल शिक्षा को धर्म मानते हैं उनके बच्चे आज समाज में अलग कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उनकी सोच किसी विशेष समुदाय को लेकर रूढ़ीवादी नहीं है और न ही वे ऐसे आचरण के अनुयायी हैं, जो दो समुदायों में भेद करता है।
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