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उत्तराखंड के करीब साढ़े तीन लाख कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर

कर्मचारियों की प्रमुख मांगें-आवास भत्ते में 8,12,16 प्रतिशत वृद्धि, पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली, सरकारी अस्पतालों में रेफर करने की व्यवस्था समाप्त हो, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 4200 ग्रेड-पे, वाहन चालकों को 4800 ग्रेड-पे दिया जाए

उत्तराखंड
साभार- गूगल

उत्तराखंड के करीब साढ़े तीन लाख कर्मचारी आज सामूहिक अवकाश पर हैं। राज्य सरकार से लगातार कई दौर की बातचीत के बाद भी मांगे पूरी नहीं होते देख कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया। देहरादून में कर्मचारी आज सचिवालय में पहुंचे, हाजिरी लगाई और प्रदर्शन करने लगे। जिससे सचिवालय में कामकाज ठप रहा। इसी तरह दूसरे विभागों में भी आज कामकाज नहीं हुआ।

इसके साथ ही चार फरवरी को देहरादून में एक महारैली भी प्रस्तावित है। राज्य सरकार ने कर्मचारियों को हड़ताल न करने की चेतावनी दी, साथ ही बातचीत के लिए बुलाया। बातचीत का रास्ता खुलने के बाद कर्मचारियों ने जरूरी सेवाओं को आज के सामूहिक अवकाश से मुक्त कर दिया। जिसमें पेयजल, परिवहन, स्वास्थ्य और उर्जा विभाग में आम जनता से जुड़ी सीधी सेवाएं शामिल हैं।

सातवें वेतनमान के भत्तों समेत दस सूत्रीय मांगों पर राज्य के वित्त मंत्री प्रकाश पंत के साथ उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति की बैठक हुई। बैठक के बाद समिति के संयोजक दीपक जोशी ने बताया कि कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार फॉर्मुला तैयार कर रही है। जिसे देखने के बाद वे आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री ने समिति को आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। फिर कैबिनेट के फैसले पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

कर्मचारियों की हड़ताल को टालने के लिए इससे पहले बुधवार को भी राधा रतूड़ी जी के साथ समिति के सदस्यों की अनौपचरिक बैठक हुई। लेकिन कर्मचारी अपनी मांग पर अटल रहे।

समिति के प्रवक्ता अरुण पांडे ने बताया कि उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति में राज्यभर के कर्मचारी संगठन शामिल हैं। जिसमें राज्य कर्मचारी संघ परिषद, सचिवालय संघ, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ, फेडरेशन, वाहन चालक संघ, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ, निगम कर्मचारी महासंघ, कोषागार संघ, कलेक्ट्रेट मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन, उपनल और आउट सोर्सिंग संगठनों का मोर्चा समेत कई अन्य सगंठन भी एकजुट हुए हैं। ताकि अपनी बात मजबूत तरीके से शासन के समक्ष रख सकें।

समिति के प्रवक्ता अरुण पांडे का कहना है कि पिछले वर्ष एक मई से कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार से बातचीत की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारियों तक उनकी मुलाकातें हो चुकी हैं। लेकिन अब तक उनकी मांगें पूरी करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वे बताते हैं कि पिछले वर्ष 24 मई को मुख्यमंत्री ने समिति के सदस्यों को बातचीत के लिए बुलाया था। उस समय निकाय चुनाव का हवाला देकर मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों से समय मांगा। साथ ही कर्मचारियों से वादा किया कि उऩकी जो भी सुविधाएं वापस ले ली गई हैं, वे वापस दिलाई जाएंगी। इसके बाद मुख्य सचिव के साथ भी बैठक हुई। इससे पहले भी कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार की घोषणा की थी। लेकिन तब राज्य के वित्त मंत्री प्रकाश पंत के साथ बातचीत हुई और आंदोलन को टाल दिया गया।

नैनीताल हाईकोर्ट भी इस मामले में दखल दे चुका है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि सचिवों की एक समिति बनाकर कर्मचारियों की समस्याओं को दूर किया जाए।

प्रवक्ता अरुण पांडे कहते हैं कि इस सबके बावजूद कर्मचारियों की सारी मांगे जस की तस बनी रहीं। इस वर्ष जनवरी में कर्मचारियो को जो आवास भत्ता आया वो ऊंट के मुंह में जीरे समान है। साथ ही कर्मचारियों के 15 भत्ते समाप्त क दिए गए। जिसके बाद कर्मचारी संगठनों की समन्वय समिति ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया।

कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

-आवास भत्ते में 8,12,16 प्रतिशत वृद्धि।

- वर्तमान एसीपी के स्थान पर एसीपी की पूर्व व्यवस्था लागू हो।

- शिथिलीकरण को 2010 के यथावत रखें।

- पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली।

- सरकारी अस्पतालों में रेफर करने की व्यवस्था समाप्त हो।

- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 4200 ग्रेड-पे।

- वाहन चालकों को 4800 ग्रेड-पे दिया जाए।

- उपनल कर्मियों को समान कार्य-समान वेतन।

- 2005 से पहले के निगम कर्मचारियों को स्वायत्तशासी निकायों के समान पेंशन।

इससे पहले बुधवार को राज्य सरकार ने कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर सख्ती दिखाते हुए नो वर्क- नो पे का आदेश जारी कर दिया। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बुधवार को सभी सचिवों और विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाई। बैठक में कहा गया कि हड़ताल पर रहने वाले कर्मचारियों को सचिवालय में नहीं घुसने दिया जाए। सचिवालय में एक एसडीएम और एक पुलिस उपाध्यक्ष की अगुवाई में पुलिस फोर्स की तैनात की गई। हड़तालियों पर सख्त नजर रखने के लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और विडियोग्राफी करायी गई।

अपर मुख्य सचिव कार्मिक और सतर्कता राधा रतूड़ी ने कहा कि कर्मचारियों की हड़ताल राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत प्रतिबन्धित है। उन्होंने इस बारे में नैनीताल हाईकोर्ट के 13 दिसंबर, 2018 को एक जनहित याचिका पर सुनाए गए फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि ये कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने निर्देश दिये कि कर्मचारियों का 31 जनवरी और चार फरवरी को लिया गया अवकाश स्वीकार नहीं किया जाए।

राज्यभर के कर्मचारी संगठनों को मिलाकर बनी समन्यवय समिति का कहना है कि आज उनका सामूहिक अवकाश का कार्यक्रम पूरी तरह सफल रहा। राज्य सरकार कर्मचारियों की मांगों को नहीं मानेगी, तो एक बार फिर वे नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार करेंगे।
 

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