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यूपी में एक बार फिर ज़हरीली शराब का क़हर टूटा, योगी सरकार पर उठे सवाल

बाराबंकी जिले के रामनगर क्षेत्र में ज़हरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई। योगी सरकार में अवैध शराब से मौत की 7वीं बड़ी घटना है। शराब पीने से गंभीर रूप से बीमार हुए 16 लोगों को लखनऊ स्थित ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
बाराबंकी का अस्पताल
(फोटो साभार: दैनिक जागरण)

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर ज़हरीली शराब का कहर टूटा है। प्रदेश के बाराबंकी जिले में रामनगर थाना क्षेत्र के रानीगंज में जहरीली शराब से छह लोगों की मौत हो गई जबकि 16 लोगों की हालत गंभीर है जिन्हे लखनऊ स्थित ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है।

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री सिद्घार्थ नाथ सिंह ने बताया, 'अभी तक जो हमारे पास सूचना है, उसके मुताबिक छह लोगों की मौत हो गई है। 16 लोगों को किंग जार्ज मेडिकल कालेज (केजीएमसी) में भर्ती कराया गया है। लापरवाही करने वालों को चिह्नित किया जाएगा और कार्रवाई होगी। इस मामले में राजनीतिक साजिश की जांच होगी।'

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की है। वहीं, मामले की जांच के लिए समिति बनाई गई है जिसके सदस्यों में कमिश्नर, अयोध्या के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) और आबकारी विभाग के आयुक्त शामिल हैं। समिति अगले 48 घंटे में जांच रिपोर्ट देगी।

घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी उदयभानु त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक (एसपी) अजय साहनी ने अन्य अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी। 

एसपी ने प्रभारी निरीक्षक रामनगर, क्षेत्र दारोगा और पांच सिपाहियों को निलंबित कर दिया है। उन्होंने सीओ और आबकारी विभाग के अधिकारियों को निलंबित करते की संस्तुति की है।

देशी शराब के ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। 

हादसे में पिता व उसके तीन पुत्रों समेत एक ही परिवार के चार लोगों की मौत पर पूरे रानीगंज में कोहराम मचा हुआ है।

देशी शराब रामनगर क्षेत्र के ग्राम रानीगंज बाजार स्थित ठेके से खरीदी गई थी। पीने वाले व मरने वालों के बारे में सही आकलन करना मुश्किल हो रहा है। दुकान के अनुज्ञापी व सेल्समैन की गिरफ्तारी के लिए प्रशासन ने टीम गठित कर दी है। 

सीएचसी सूरतगंज से 18 लोगों को जिला चिकित्सालय के लिए रेफर किया गया, जिनमें से कुछ लोग सीएचसी फतेहपुर व कुछ सीएचसी रामनगर पहुंच गए। वहीं, कुछ लोगों को उनके परिजन कहां ले गए, इसकी जानकारी करने में प्रशासन जुटा है। जिला अस्पताल से अब तक 26 लोगों को लखनऊ रेफर किया जा चुका है।

क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि दानवीर सिंह के ठेके से नकली शराब बनाकर बेची जाती थी, उसकी ग्रामीण इलाके में शराब की अवैध फैक्ट्री है। वह यहां पर नकली शराब बनवाकर अपने सरकारी ठेके से बेचता था। कहा जाता है कि सरकार की ओर से आने वाली शराब की बोतलों में उतना फायदा नहीं होता, जितना नकली शराब बनाकर बेचने में होता है, इसलिए वह नकली शराब बनाकर दो से तीन गुना फायदा कमाता था।

सोमवार रात रामनगर थाना क्षेत्र के रानीगंज स्थित सरकारी देशी शराब की दुकान से करीब तीस लोगों ने शराब खरीद कर पी थी। इसके कुछ ही देर बाद सभी की हालत बिगड़ने लगी। मुकेश नाम के व्यक्ति की घर पर ही मौत हो गई। अन्य की हालत बिगड़ने पर उन्हें सीएचसी सूरतगंज, रामनगर और फतेहपुर में भर्ती कराया गया।

पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी के पीआरओ शैलेन्द्र आजाद के मुताबिक, 'मरने वालों में एक ही परिवार के चार लोग- रमेश कुमार, सोनू, मुकेश और छोटेलाल तथा एक अन्य व्यक्ति महेंद्र है।'

रमेश की पत्नी रामावती ने बताया कि घर में शव को कंधा देने वाला भी कोई नहीं बचा।

इस बीच, प्रदेश के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी शिव नारायण दुबे, हलका आबकारी इंस्पेक्टर राम तीरथ मौर्य, तीन हेड कांस्टेबल और पांच सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। 

उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद गंभीर है क्योंकि जिस शराब को पीने से लोगों की मौत हुई वह आबकारी विभाग के पंजीकृत विक्रेता के यहां से ली गई थी और उसमें संभवतः पहले से मिलावट की गई थी।

आबकारी विभाग समय-समय पर पंजीकृत विक्रेताओं के यहां जांच करवाता रहता है ताकि शराब में किसी भी तरह की मिलावट ना होने पाए। ऐसे में यह मामला बेहद गंभीर है। सिंह ने कहा कि इस मामले के दोषियों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। 

इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहरीली शराब से हुई मौतों पर गहरा अफसोस जाहिर करते हुए इस घटना के दोषी लोगों के खिलाफ बेहद सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। 

योगी सरकार में अवैध शराब से मौत की 7वीं बड़ी घटना 

उत्तर प्रदेश में पिछले दो साल में शराब से होने वाली मौत की ये सातवीं बड़ी घटना है। इससे पहले इसी साल फरवरी में सहारनपुर और आसपास के इलाकों में जहरीली शराब पीने से करीब 50 लोगों की मौत हो गई थी। फरवरी में ही कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से 10 लोगों की मौत हो गई थी।  

इससे पहले 11 जनवरी 2018 को बाराबंकी के देवा और रामनगर क्षेत्र में 24 घंटे के अंदर 11 लोगों की मौत हुई थी।  

पिछले साल मई में कानपुर के सचेंडी और कानपुर देहात में जहरीली शराब पीने से एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, जुलाई 2017 में आजमगढ़ में अवैध शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले एटा में 2016 में जहरीली शराब पीने से 24 लोगों की मौत हुई थी। 

बड़े अधिकारियों पर नहीं होती है कार्रवाई 

जहरीली शराब से मौत के मामले वक्त के साथ दफन हो जाते हैं। अगर हादसा बड़ा होता है तो कुछ कार्रवाई की जाती है और अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ अभियान भी चलाया जाता है लेकिन बड़ी कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। 

दोषी लोग अक्सर या तो हल्की-फुल्की सजा पाकर बच जाते हैं या फिर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है। जानकारों के मुताबिक, अब तक ऐसे मामले में किसी भी दोषी को कोई बड़ी सजा नहीं दी गई है और यही वजह है कि ऐसी घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। खुले में शीरे और पुराने गुड़ आदि में केमिकल मिलाकर बनाई जाने वाली शराब में कई बार जहरीले तत्व पैदा हो जाते हैं जिसे पीने से इस तरह के हादसे होते हैं। इसका व्यापार करने वालों के निशाने पर गांव के साथ शहरी क्षेत्र के गरीब लोग भी रहते हैं।

अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल बाराबंकी में जहरीली शराब पीने से नौ लोगों की मौत के मामले में मामला रफा दफा कर दिया गया था। इस मामले में इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया था। जबकि शासन स्तर पर तर्क दिया गया कि मौत स्प्रिट पीने से हुई, न कि अवैध शराब पीने से। लिहाजा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। 

इसी तरह आजमगढ़ में अवैध शराब पीने से 25 लोगों की जान गई थी। इस मामले में भी यह कहकर अधिकारियों को बख्श दिया गया था कि जिले में उनकी नियुक्ति कुछ दिन पूर्व की गई थी। हालांकि कानपुर की घटना में कुछ बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई जरूर हुई थी, मगर आंच लखनऊ तक नहीं पहुंच सकी। 

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 19 सितंबर 2017 को अध्यादेश जारी कर 107 साल पुराने आबकारी अधिनियम में संशोधन किया था। इसमें एक नई धारा जोड़ते हुए अवैध शराब से मौत होने या स्थायी अपंगता होने पर आजीवन कारावास या 10 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों या मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया। वहीं, अधिकारियों के अधिकारों में भी बढ़ोतरी की गई थी। साथ ही उनकी भूमिका पाए जाने पर बर्खास्तगी तक का प्रावधान किया गया था। 

फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देश के बाद शराब माफिया के खिलाफ राज्य सरकार सघन अभियान छेड़े हुए है लेकिन जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ता ही जा रहा है।

देश में कोई राष्ट्रीय आबकारी नीति नहीं

आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि भारत में कोई भी राष्ट्रीय आबकारी नीति नहीं है। आजादी के 72 साल बाद भी केंद्र सरकार ने इस पर कोई काम नहीं किया है। जबकि शराब पीकर मरने वाले लोगों में बड़ी संख्या में गरीब आदमी शामिल होते हैं। इसके लिए बस सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय ने एक एल्कोहल एंड ड्रग डिमांड रिडक्सन एंड प्रिवेंशन पॉलिसी बना रखी है। जबकि शराब की रोकथाम को लेकर काम करने वाले लोग राष्ट्रीय आबकारी नीति की सख्त जरूरत की बात करते हैं। 

आपको बता दें कि तंबाकू और ड्रग्स को लेकर राष्ट्रीय नीति हैं लेकिन शराब का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों के जिम्मे हैं। भारत में शराब को लेकर हर राज्य के पास अपना कानून है। 

दिलचस्प यह है कि इन कानूनों में कोई भी समानता नहीं हैं। नॉर्मली सभी राज्यों में आपको शराब बेचने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। हालांकि उम्र से लेकर बाकी हर सुविधाएं राज्यों ने अपने हिसाब से तय की है।

कुछ राज्यों में शराब पीने की उम्र 18 साल तय है। इसमें अंडमान निकोबार, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, पुडुचेरी, राजस्थान, सिक्किम शामिल हैं। 

इसी तरह कुछ राज्यों में यह सीमा 21 साल है। इसमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, दादरा नगर हवेली, गोवा, दमन दीव, जम्मू कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल शामिल हैं। 

केरल में शराब पीने की उम्र 23 साल है तो कुछ राज्यों में यह सीमा 25 साल है। इसमें चडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, मेघालय, पंजाब, महाराष्ट्र शामिल हैं। 

जबकि बिहार, गुजरात, लक्षद्वीप, मणिपुर, नगालैंड जैसे राज्यों में शराब पूरी तरह से बैन है। आपको यह भी बता दें कि शराब पीना मौलिक अधिकार के दायरे में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट और केरल हाईकोर्ट ने अपने विभिन्न फैसलों में यह साफ किया है कि भारत में शराब पीना मौलिक अधिकार के दायरे में नहीं आता है।

फिलहाल जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद भारत में शराब को लेकर राष्ट्रीय नीति बनाने को लेकर लोकसभा में चर्चा हुई है लेकिन अभी तक यह बनाई नहीं गई है। 2009 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास ने लोकसभा में कहा था कि शराब के सेवन पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रीय शराब नीति बननी चाहिए।

जानकारों का कहना है कि सभी राज्यों में अलग अलग कानून होने से दूसरे राज्यों से अवैध तरीके से शराब का कारोबार होता है। इसके चलते शराब माफिया, पुलिस और आबकारी विभाग का एक नेटवर्क बनता है। जिससे जहरीली शराब पर भी लगाम लगाने में दिक्कत आती है। इस पर रोकथाम लगाने के लिए राष्ट्रीय नीति जरूरी है। सबसे पहले शराब की बिक्री और इसके इस्तेमाल को रेगुलेट किया जाना चाहिए।

बाकी देशों में क्या है पॉलिसी 

भारत की तरह संघीय ढांचे वाले अमेरिका में शराब को लेकर एक राष्ट्रीय नीति है। इस नीति के तहत ही राज्यों को अपने हिसाब से कानून बनाने की छूट है।

नेपाल में राष्ट्रीय स्तर पर शराब को लेकर एक नीति है। इसके तहत सुबह पांच से शाम सात बजे तक शराब की बिक्री नहीं होगी। एक दिन में एक व्यक्ति को एक लीटर से अधिक शराब नहीं मिलेगी। इसके अलावा 21 साल से कम उम्र के युवक व गर्भवती महिलाएं खरीदारी नहीं कर सकेंगे। 

बांग्लादेश में भी शराब की बिक्री और खपत प्रतिबंधित है। हालांकि देश के गैर-मुसलमानों और यहां आने वाले पर्यटकों को इसमें छूट है। ये लोग निजी स्थान पर शराब का सेवन कर सकते हैं। देश के प्रमुख पर्यटकों केंद्रों पर स्थित रेस्त्रां, होटल आदि में शराब बेचने की अनुमति है।

पाकिस्तान में मुस्लिमों के लिये शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है। लेकिन गैर-मुस्लिम लोग शराब को सरकार से लाइसेंस प्राप्त कर खरीद सकते हैं। गैर-मुस्लिम विदेशियों को कुछ होटलों में शराब सेवन की अनुमति है।

मालदीव में समंदर के तटों और विश्व स्तरीय रिसॉर्ट्स वाले देश मालदीव में स्थानीय लोगों को शराब के सेवन की अनुमति नहीं है। देश में केवल कुछ रिसॉर्ट्स और होटल ही एक खास परमिट लेने के बाद ही विदेशी पर्यटकों को शराब बेच सकते हैं।

ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, लीबिया, सूडान, सउदी अरब, यमन जैसे कई इस्लामिक देशों में शराब पीना प्रतिबंधित है। हालांकि इनमें से कई देशों के गैर-मुसलमानों और यहां आने वाले पर्यटकों को इसमें छूट है।

आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लूएचओ के मुताबिक शराब के कारण हर साल 2.6 लाख भारतीयों की मौत हो रही है। भारत में पिछले 10 साल में शराब की खपत दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2005 में प्रति व्यक्ति शराब की खपत 2.4 लीटर थी, जो 2016 में बढ़कर 5.7 लीटर हो गई। 2025 तक 7.9 लीटर हो जाने की संभावना है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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