कोरोना संकट के दौरान 40 प्रतिशत देश छात्रों की सहायता करने में विफल रहे: यूनेस्को
नई दिल्ली: यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीईएम) रिपोर्ट 2020 के अनुसार विश्व में अल्प और मध्यम आय वाले कम से कम चालीस प्रतिशत देश कोविड-19 से उपजे संकट के कारण लागू लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने के दौरान छात्रों को पढ़ने का उचित माध्यम उपलब्ध कराने में नाकाम रहे। मंगलवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट के चौथे संस्करण में यह भी कहा गया कि विश्व भर में दस प्रतिशत से भी कम देशों में ऐसे कानून हैं जो शिक्षा में पूर्ण समावेश सुनिश्चित करते हैं।
जीईएम रिपोर्ट के निदेशक मनोस अंतोनिनिस ने कहा, “कोविड-19 ने हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था के बारे में फिर से सोचने का अवसर दिया है। लेकिन विविधता का स्वागत करने वाली और उसका मोल समझने वाली दुनिया में हम रातोंरात नहीं पहुंच सकते। सभी बच्चों को एक ही छत के नीचे पढ़ाने और ऐसा वातावरण विकसित करने में अंतर है जहां बच्चा अच्छे से पढ़ सके। लेकिन कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि यदि हम सोचें तो चीजों को अलग तरह से भी किया जा सकता है।”
रिपोर्ट में कहा गया कि शिक्षा व्यवस्था अमूमन छात्रों की विशेष जरूरतों को पूरा करने में असफल रहती है। रिपोर्ट में कहा गया, “विश्व के केवल 41 देशों में आधिकारिक रूप से सांकेतिक भाषा को मान्यता दी गई है और दुनियाभर के स्कूल इंटरनेट की सुविधा के अधिक आग्रही हैं बजाय इसके कि वे विकलांग छात्रों को सीखने का माध्यम उपलब्ध करा सकें। साढ़े तैंतीस करोड़ लड़कियां ऐसे स्कूलों में गईं जहां उन्हें पानी, साफ सफाई उपलब्ध नहीं था।”
जीईएम रिपोर्ट एक स्वतंत्र दल द्वारा तैयार की गई है और इसे यूनेस्को ने प्रकाशित किया है। रिपोर्ट में कहा गया, “कम और मध्यम आय वाले लगभग आधे देशों ने विकलांग बच्चों की शिक्षा के बारे में पर्याप्त आंकड़े एकत्रित नहीं किए।”
यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 फैलने की वजह से बंद किए गए शैक्षणिक संस्थानों के कारण 154 करोड़ छात्र गंभीर रूप से प्रभावित हुए।
समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।