Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

यूपी के चंदौली में 50 दिन से धरने पर बैठा है एक पत्रकार, लेकिन कोई सुनवाई नहीं

विजय विश्वकर्मा नाम के स्थानीय पत्रकार अपने ऊपर लादे गए मुक़दमों के ख़िलाफ़ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उनकी इस लड़ाई में समाज का वह तमाम प्रगतिशील तबका भी साझीदार है जो लगातार एक भ्रष्ट व्यवस्था और अन्याय के ख़िलाफ़ आंदोलनरत है।
journalist has been sitting on dharna for 50 days in Chandauli
चंदौली में न्याय की मांग को लेकर पत्रकार विजय शर्मा का धरना। अन्य लोग भी उन्हें समर्थन दे रहे हैं।

"जो जुर्म मैंने किया ही नहीं उसकी सजा मुझे दी जा रही है। फर्जी मुकदमे लाद दिए गए.... जेल तक हो गई अभी जमानत पर हूं, पर धरना तब तक जारी रहेगा जब तक न्याय नहीं मिल जाता। जरूरत पड़ी तो भूख हड़ताल पर बैठूंगा पर सच के लिए लड़ता रहूंगा..."

यह कहना है,  करीब पचास दिनों से धरने पर बैठे चन्दौली जिले के सकलडीहा बाजार ताजपुर निवासी सत्ताईस वर्षीय विजय विश्वकर्मा का। विजय पेशे से पत्रकार हैं और अपने ऊपर लादे गए मुकदमों के ख़िलाफ़ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उनकी इस लड़ाई में समाज का वह तमाम प्रगतिशील तबका भी साझीदार है जो लगातार एक भ्रष्ट व्यवस्था और अन्याय के ख़िलाफ़ आंदोलनरत है।

दो महीने होने को आए, धरना जारी है लेकिन विजय विश्वकर्मा कहते हैं कि उनके संघर्ष की कहानी करीब 6 महीने पहले  पंचायत चुनाव  से  ही शुरू हो गई थी जब उन्होंने क्षेत्र के उप जिलाधिकारी द्वारा एक प्रत्याशी के साथ किए गए दुर्व्यवहार से संबंधित एक खबर को अपने समाचार पत्र “गांव गिराव” में प्रकाशित किया और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया।

धरने पर बैठने वाले पत्रकार विजय विश्वकर्मा

विजय के मुताबिक चुनावी मतगणना के दौरान एक प्रत्याशी द्वारा मतों की गिनती में धांधली का आरोप लगाया गया था। प्रत्याशी का आरोप था कि मिली भगत से उनकी जीत को हार में बदला जा रहा है, प्रत्याशी द्वारा दोबारा मतों की गिनती की मांग की गई।  शिकायत का प्रत्यावेदन देने के बाद तत्कालीन उपजिलाधिकारी द्वारा प्रत्याशी के साथ अत्यन्त आपत्तिजनक व्यवहार किया गया जबकि प्रत्याशी शांतिपूर्वक अपनी बातें रख रहे थे, चूंकि उस समय वह वहां मौजूद थे तो उन्होंने इसका वीडियो बना दिया और ख़बर भी छापी।

विजय कहते हैं उन्होंने अपने पत्रकार होने का फ़र्ज़ निभाया लेकिन इसके बाद एसडीएम द्वारा उन पर वीडियो डिलीट करने का दबाव बनाया जाने लगा और यहीं से उनके संघर्ष की कहानी शुरू हो गई।

विजय कहते हैं इस घटना के बाद भी उन्होंने जन पक्षीय पत्रकारिता का कर्तव्य नहीं छोड़ा और प्रशासनिक अमले द्वारा किए जाने वाले दमन के ख़िलाफ़ लिखते रहे  और उसी का नतीजा है कि आज उन पर  IPC की धारा 151, 107, 116 और एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज हैं जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा फिलहाल वे जमानत पर बाहर हैं। पर आख़िर उनके ख़िलाफ़ इन धाराओं के तहत मुकदमे किस कसूर में दर्ज किए गए तो इस सवाल के जवाब में विजय कहते हैं कसूर यही है कि उन्होंने एक भ्रष्ट तंत्र के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई।

मुकदमे क्यूं लादे गए, इस बात को साझा करते हुए वे बताते हैं कि उनके सामने दमनात्मक कार्रवाईयों की कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती गईं की उन्हें एसडीएम की ज्यादतियों के ख़िलाफ़ लिखना पड़ा। ये लेखन और वायरल वीडियोज उनके लिए चुनौतियों का सबब बनते गए और अंत में वही हुआ जिसका उन्हें अंदेशा था। इसी बीच करोना काल के समय लॉकडाउन के चलते तंगहाली की मार झेल रहे शहर के एक दुकानदार द्वारा कफ़न बेचने पर उनपर मुकदमा कर दिया गया। विजय कहते हैं कफ़न बेचना क्या इतना बड़ा गुनाह हो गया कि मुकदमा दर्ज कर लिया जाए। इस ख़बर को भी उन्होंने अपने समाचार पत्र में प्रमुखता से छापा।

विजय विश्वकर्मा के मुताबिक इन सब प्रकरण से पहले उनका और गांव के अन्य किसानों का खेत के इर्द गिर्द बनने वाले चक मार्ग का मामला चल रहा था, जो पंचायत चुनाव के कारण टल गया। वे कहते हैं प्रशासन की नजर में तो वह पहले ही चढ़ गए थे लेकिन गलत तरीके से चक मार्ग का निर्माण करने और किसानों को इस बाबत बातचीत के लिए न बुलाने का विरोध करना फिर उन्हें महंगा पड़ा जिसके बाद उन्हें सबक सिखाने के लिहाज़ से मुकदमों में फंसा दिया गया। विजय के मुताबिक मौके पर मौजूद जिस लेखपाल के साथ बदसलूकी की बात कहकर दलित उत्पीड़न का आरोप लगाया गया और SC/ST act के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया वे तो उस लेखपाल का नाम तक नहीं जानते थे जाति जानने की बात तो दूर है। वे कहते हैं बदसलूकी या मारने पीटने जैसी बात उन्होंने कभी कही ही नहीं। अन्य मौजूद लोग इसके गवाह हैं।

SC/ ST  एक्ट  में उनके खिलाफ मात्र 12 दिन के अंदर ही चार्जशीट पेश कर दी गई विजय कहते हैं चार्जशीट पेश करने से पहले उनसे कोई बातचीत भी नहीं की गई। किस आधार पर चार्जशीट बनाई गई उन्हें मालूम भी नहीं। सीधे यह लिख दिया गया कि मैं यानी विजय विश्वकर्मा न्यायालय में ही अपना पक्ष रखेंगे जबकि उन्होंने ऐसा कभी कहा ही नहीं। विजय कहते हैं जब विभिन्न धाराओं के के अंतर्गत उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए तो उन्होंने प्रशासन के उच्च स्तर तक अपनी बेगुनाही और फर्जी मुकदमे लादने ने की गुहार लगाई लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई उन्हें ऐसे जुर्म के लिए जेल की सजा भी काटनी पड़ी जो उन्होंने किया ही नहीं उनका केवल एक ही कसूर था कि उन्होंने सच कहा और सच ही लिखा। विजय कहते हैं आखिर मेरी बात कोई क्यों सुनता मुझे तो कह दिया गया कि आपने एक उच्च पद पर बैठे व्यक्ति से मुसीबत मोल ली है तो अब उसका परिणाम भुगतो। उन्हें दुख इस बात का है कि जब उनके साथ यह सब कुछ हो रहा था तो कुछ स्थानीय पत्रकारों ने भी उनका साथ नहीं दिया। विजय कहते हैं यह उनकी मजबूरी हो सकती है क्योंकि उन्हें अपनी जीविका भी चलानी है।

न्याय की मांग को लेकर जिला प्रशासन का पुतला दहन किया गया।

विजय विश्वकर्मा ने अपने ख़िलाफ़ हुई इन ज्यादतियों की शिकायत मानवाधिकार आयोग से भी की है। इस लड़ाई में इंकलाबी नौजवान सभा (इनौस) पूरी तरह से उनके साथ खड़ा है और लगातार जारी अनिश्चितकालीन धरने का हिस्सा भी बना हुआ। हाल ही में इनौस द्वारा जिला प्रशासन के पुतला दहन का भी कार्यक्रम किया गया। उनके मुताबिक 2 महीना होने को आया लेकिन प्रशासन की ओर से उनके धरने को लेकर कोई सकारात्मक पहल नजर नहीं आ रही कुल मिलाकर उनकी इस लड़ाई को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है वे कहते हैं अब बहुत हो चुका अगर अनिश्चितकालीन धरने से बात नहीं बनी तो वे भूख हड़ताल करेंगे लेकिन न्याय की लड़ाई को नहीं छोड़ेंगे। विजय कहते हैं उनकी मांग है कि एक स्वतंत्र एजेंसी से उनके मामलों की जांच कराई जाए तभी उनकी बेगुनाही साबित हो पाएगी।

बहरहाल विजय विश्वकर्मा अपने ख़िलाफ़ हुए अन्याय के विरुद्ध लगातार संघर्षरत हैं। वे कहते हैं यदि मैं सच में दोषी हूं तो मैं हर सजा के लिए तैयार हूं लेकिन बिना गुनाह के फर्जी मुकदमों में फसा देना जीवन तबाह हो जाने के बराबर हैं फिर भी वे हार नहीं मानेंगे और अपनी लड़ाई जारी रखेंगे विजय कहते हैं उन्हें विश्वास है की जीत सत्य की ही होगी। जब इस पत्रकार ने उनसे यह सवाल किया कि जिला प्रशासन द्वारा उनके इस आंदोलन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा तो क्या ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि वे अपनी इस लड़ाई को अंजाम तक ले जा पाएंगे इस सवाल के जवाब में भगत सिंह और अम्बेडकर को अपना आदर्श मानने वाले विजय बुलन्द आवाज़ में कहते हैं मैं तो हमेशा  केवल एक ही बात कहता हूं कि सच कहने और मेहनत करने वालों की हार नहीं होती।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest