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झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से 200 से अधिक सूकरों की मौत

राज्य में पहली बार कांके स्थित पशुपालन विभाग के सूकर फॉर्म में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से अब तक 200 से अधिक सूकरों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी की पुष्टि भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्यूरिटी एनिमल डिजीज (एनआइएचएसएडी) ने की है।
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Image courtesy : Gaon Connection

राज्य में पहली बार कांके स्थित पशुपालन विभाग के सूकर फॉर्म में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से अब तक 200 से अधिक सूकरों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी की पुष्टि भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्यूरिटी एनिमल डिजीज (एनआइएचएसएडी) ने की है। इससे संबंधित पत्र केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के आयुक्त ने राज्य सरकार को भेजा है। रोग से बचने के लिए पशुपालन विभाग को गाइडलाइन भी जारी की गयी है।

प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार बीमारी की पुष्टि के बाद पशुपालन विभाग ने एक्शन प्लान बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए पशुपालन निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बनी है। इसमें दक्षिणी छोटानागपुर प्रक्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निदेशक, कांके स्थित फॉर्म के सूकर विकास पदाधिकारी, पशुपालन विभाग के उप-निदेशक सूकर विकास व एलआरएस के शोध पदाधिकारी (टिशू कल्चर) डॉ संजय कुमार चखैयार को रखा गया है। कमेटी मामले पर नजर रखेगी। कमेटी ने राज्य के सभी जिलों को बीमारी को लेकर सतर्क रहने का निर्देश दिया है। जल्द ही विभागीय स्तर पर भी एडवाइजरी जारी होगी।

रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालन विभाग के कांके स्थित फॉर्म में करीब 20 दिनों से लगातार तेज बुखार के बाद सूकरों की मौत हो रही है। बताया जाता है कि बुखार के कुछ देर बाद ही सूकरों की मौत हो जाती है। विभाग ने सूकरों का पोस्टमार्टम रांची वेटनरी कॉलेज में कराया था।

अखबार के वेबसाइट प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि पशुपालन विभाग ने सूकर फार्म के चिकित्सकों को सावधानी बरतने का आदेश दिया है। राज्य में कई जिलों से सूकरों की मौत की सूचना मिल रही है। वैसे, उनके सैंपल की जांच नहीं हुई है। हाल ही में खलारी और कांके रोड से भी कई सूकरों की अचानक मौत की सूचना मिली थी।

एडवाइजरी में कहा गया है कि पशु चिकित्सक पीपी कीट पहन कर जानवरों के पास जायें। साथ ही बाड़े की साफ-सफाई की जाये। यह बीमारी आदमी में नहीं फैलती है, लेकिन आदमी से यह दूसरे जानवरों में फैल सकती है।

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