महिलाओं के साथ ज़ुल्म-ज़्यादती के ख़िलाफ़ बीएचयू गेट पर ऐपवा का ज़ोरदार प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश में महिला और दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के ख़िलाफ़ अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) मंगलवार को वाराणसी के लंका स्थित बीएचयू गेट पर प्रदर्शन किया। घरेलू महिला हिंसा, लैंगिक भेदभाव, यौन उत्पीड़न के विरोध में महिलाओं ने जनाक्रोश रैली भी निकाली।
प्रदर्शन के दौरान महिलाओं को संबोधित करते हुए ऐपवा की राज्य सचिव कुसुम वर्मा ने महिला उत्पीड़न के मामले में एनसीआरबी के आंकड़ों को नकार दिया और कहा, "यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने छह महीने के कार्यकाल के विकास के कसीदे पढ़ रहे हैं अपराध पर काबू पाने के दावे भी कर रहे हैं और महिला हिंसा, हत्या, बलात्कार को नियंत्रित करने के लिए अपनी पीठ भी थपथपा रहे हैं, लेकिन स्थिति जस की तस है। हाल यह है कि अभी तक हाथरस की दलित लड़की को न्याय नहीं मिला। लखीमपुरखीरी, पीलीभीत, बंदायू, मुरादाबाद आदि जिलों की शर्मनाक घटनाएं चीख-चीखकर गवाही दे रही हैं कि यूपी में अपराधियों व बलात्कारियों के मंसूबे बढ़े हुए हैं और उन्हें कानून का कोई भय नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति अपनाने की बात कही थी। मामला चाहे महिलाओं की सुरक्षा का हो, दलितों के उत्पीड़न का हो, मानवाधिकार हनन का हो, हिरासत में मौत का हो, हत्या का हो अथवा नागरिक अधिकारों के हनन का, सभी में यूपी पहले पायदान पर है।"
कुसुम ने यह भी कहा, "महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के मामले में यूपी टॉप पर है। केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध यूपी में हो रहा है। दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध में भी यह राज्य अव्वल है। हिरासत में मौत के मामलों में भी उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है। मानवाधिकार का हाल यह है कि वह गुनहगारों के आगे घुटने टेक चुका है। पिछले तीन वित्त वर्षों से 31 अक्टूबर 2021 तक आए मानवाधिकार उल्लंघन के कुल मामलों के तक़रीबन 40 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। यानी पूरे देश में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उल्लंघन योगी शासित उत्तर प्रदेश में हो रहा है।"
महिलाओं को संबोधित करते हुए स्वतंत्र पत्रकार एवं रंगकर्मी अपर्णा श्रीवास्तव ने कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में पुरुषसत्तात्मक, वर्चस्ववादी, जातिवादी, अहंकारी बुलडोजर राजनीति के प्रतीक बन गए हैं। प्रदेश में महिला सम्मान की कोई जगह नहीं बची है। पूरे प्रदेश में गरीबों, दलितों, महिलाओं के हक हकूक को कुचला जा रहा है।" सूबे में लगातार बिगड़ती जा रही कानून व्यवस्था पर ऐपवा की जिला सचिव स्मिता बागड़े ने कहा, "मुख्यमंत्री यूपी में कानून का राज होने की बात करते हैं, लेकिन महिला उत्पीड़न के ज्यादातर मामलों में थानों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पा रही है। उल्टे क़ई थानों में रिपोर्ट लिखवाने गई महिलाओं के साथ बद्सलूकी की घटनाओं तक की खबरें हाल के दिनों में सुर्खियां बनी हैं। इन अपराधों के लिए थानेदारों पर कोई कड़ी कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। जाहिर बात है कि यूपी में सिर्फ महिला सशक्तिकरण का ढोंग किया जा रहा है।"
ऐपवा की जिला उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर ने कहा कि आंकड़े बता रहे है कि यूपी में दलित उत्पीड़न की घटनाओं में शर्मनाक ढंग से इजाफा हुआ है। राजस्थान के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की ही तरह उत्तर प्रदेश के औरैया में कक्षा 10 के छात्र की पीटकर हत्या कर दी गई और मुख्यमंत्री खामोश बैठे हैं। घरेलू कामगार मोर्चे की सचिव धनशीला और विमल ने कहा कि हम दलित महिलाओं को समाज में दोहरी मार का शिकार होना पड़ता है। आज भाजपा राज में दलित परिवारों की बेटियां डर के साये में जिंदगी बिता रही हैं। ऐपवा सदस्य नगीना ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने दलितों और महिलाओं को उनका हक-हकूक दिलाने के लिए संविधान में व्यवस्था की। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि डबल इंजन की सरकार उसे खत्म कर रही है। बेटी बचाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार में आज बेटियां सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं।
बीएचयू की छात्रा चंदा यादव ने कहा, "योगीराज में गरीबों के आर्थिक विकास का कोई मॉडल काम नहीं कर रहा है। यूपी में ऐसी हृदयविदारक घटनाएं भी घट रही हैं जहां महिलाएं आर्थिक तंगी से अपने बच्चों समेत आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रही हैं। महिलाओं के सम्मानजनक रोजगार की कोई गारंटी नहीं है, बल्कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों की महंगी फीस ने नौजवान महिलाओं के बड़े हिस्से को उच्च शिक्षा से महरूम कर रही है।" सभा में वरिष्ठ साहित्यकार रामजी यादव, ऐपवा की वरिष्ठ सदस्य विभा वाही, किसान सभा के कृपा वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता अनिल, मिठाईलाल के अलावा बीएचयू के कई स्टूडेंट्स और प्रबुद्धजनों ने महिला अत्याचार पर सरकार को आड़ेहाथ लिया।
कार्यक्रम में जनगीतकार यौधेश ने महिला समानता और एकता पर क़ई गीतों की प्रस्तुति दी। ऐपवा सदस्य अनीता और सरिता ने महिला आज़ादी और न्याय के गीत पेश किए। कार्यक्रम के आखिर में औरैया के दलित छात्र निखित कुमार की दर्दनाक मौत पर मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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